भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम से एक बयान पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन प्रसारित किया गया है। इस उद्धरण के अनुसार, नेहरू ने कहा था, “मैं शिक्षा से अंग्रेज, संस्कृति से मुस्लिम और जन्म से हिंदू हूँ”। ऐसा दावा करने वालों में भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय भी शामिल हैं जिन्होंने 2015 में यह ट्वीट किया था।

सितंबर 2018 में, रिपब्लिक टीवी पर एक बहस में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी यही दावा किया था। वीडियो नीचे पोस्ट किया गया है।

इस उद्धरण के कई संस्करण सोशल मीडिया में चलाए गए, जिनमें सूक्ष्म विविधताएं हैं। मार्च 2018 में द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख में जिसमें शशि थरूर की एक पुस्तक की समीक्षा की गई थी, दलित विद्वान कांचा इलैया शेफर्ड ने दावा किया था कि नेहरू ने ये शब्द कहे थे। वेबसाइट www.india.com द्वारा एक लेख में, जिसमें ‘भारत के पहले प्रधानमंत्री का काला पक्ष’ दिखाया गया था, इस उद्धरण का उल्लेख किया गया है।

यही आरोप, ‘शंखनाद‘ के नाम से वायरल एक पोस्टर में, लगाया गया है, जिसने — एक सेवानिवृत्त नौकरशाह, वी सुंदरम के कार्य — से इस उद्धरण को संदर्भित किया है। ऑल्ट न्यूज़ ने खोज की तो एक ब्लॉग मिला, जिसमें इस लेख का शीर्षक ‘क्राई फॉर ए हिंदू नेशन‘ लिखा था। यहाँ भी, इन शब्दों के लिए जवाहरलाल नेहरू को श्रेय दिया गया है।

उद्धरण की सच्चाई

ऑल्ट न्यूज़ ने इस उद्धरण की ऑनलाइन खोज की तो फ़र्ज़ी समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ का एक लेख सामने आया, जिसने शीर्षक में ही इस उद्धरण का उपयोग किया था। यह लेख 25 फरवरी, 2018 को प्रकाशित हुआ था। पोस्टकार्ड न्यूज़ के अलावा, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि कई ब्लॉगों में भी इस उद्धरण को संदर्भित किया गया था।

आगे और खोजबीन करने पर, हमें बी आर नंदा की पुस्तक ‘द नेहरूज : मोतीलाल एंड जवाहरलाल‘ में इस टिप्पणी का संदर्भ मिला। नंदा, मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू पर पुस्तकों के अलावा, महात्मा गांधी के जीवनी लेखक भी थे। नंदा के अनुसार, यह हिंदू महासभा के नेता एन बी खरे थे, जिन्होंने नेहरू को ‘शिक्षा से अंग्रेज, संस्कृति से मुस्लिम और जन्म की दुर्घटनावश हिंदू’ के रूप में वर्णित किया था।

स्रोत: द नेहरूज: मोतीलाल एंड जवाहरलाल, लेखक: बी आर नंदा

 

नंदा ने एक अन्य पुस्तक, ‘मोतीलाल नेहरू‘ में भी इस उद्धरण का उल्लेख किया है, जिसमें उन्होंने इस उद्धरण को — एक ‘आलोचक’ के कथन, जिन्होंने इन शब्दों में ‘मोतीलाल के पुत्र’ का उल्लेख किया था — के रूप में प्रस्तुत किया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी पुस्तक ‘नेहरू : द इनवेंशन ऑफ इंडिया‘ में इस उद्धरण के लिए एक बार फिर हिंदू महासभा के नेता एन बी खरे के नाम का संकेत किया है। इसकी और अधिक पुष्टि पूर्व पत्रकार और पूर्व मंत्री एमजे अकबर के इस उद्धरण से होती है, जिसे द क्विंट ने उद्धृत किया है– “1950 में हिंदू महासभा के अध्यक्ष, एनबी खरे एक पुरानी कहानी को केवल दोहरा रहे थे जब उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को ‘शिक्षा से अंग्रेज, संस्कृति से मुस्लिम और दुर्घटनावश हिंदू’ कहा था।” -(अनुवाद)

 

स्रोत: नेहरू: द इनवेंशन ऑफ इंडिया, लेखक: शशि थरूर

 

ऊपर प्रस्तुत किए गए इस उद्धरण के दोनों स्रोत बताते हैं कि ये शब्द एन बी खरे के हैं, जवाहरलाल नेहरू के नहीं। खरे ने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की और वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया। खरे, भारत की संविधान सभा के लिए भी चुने गए थे, जिसे संविधान बनाने का काम सौंपा गया था। 1949 में, वे हिंदू महासभा में शामिल हुए और 1951 तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

कब हुई इस अफवाह की उत्पत्ति?

ऑल्ट न्यूज़ ने इस भ्रामक सूचना के स्रोत का पता लगाने के लिए गहरी खोजबीन का फैसला किया। इस प्रक्रिया में, हम 1959 में प्रकाशित रफीक ज़कारिया की ‘ए स्टडी ऑफ़ नेहरू‘ तक पहुंचे। यह पुस्तक नेहरू के बारे में भारत और विदेश की कई प्रतिष्ठित राजनीतिक हस्तियों की टिप्पणियों का संकलन है। इनमें एक योगदानकर्ता एन बी खरे भी हैं।

स्रोत: ए स्टडी ऑफ़ नेहरू (1959)

पुस्तक के पृष्ठ 215 पर ‘द एंग्री एरिस्टोक्रेट‘ शीर्षक से खरे का लेख, नेहरू पर एक आलोचना है। इसमें, उन्होंने दावा किया है कि नेहरू ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि वह (नेहरू) शिक्षा से अंग्रेज, संस्कृति से मुस्लिम और जन्म की दुर्घटनावश हिंदू हैं।

 

स्रोत: ए स्टडी ऑफ़ नेहरू (1959)

 

ऑल्ट न्यूज़ ने जवाहरलाल नेहरू की आत्मकथा में इस कथन की खोज की। दिलचस्प बात है कि उसमें यह कहीं नहीं मिलता है। नीचे उनकी आत्मकथा का एक अंश दिया गया है, जिसमें नेहरू ने ‘मुस्लिम संस्कृति’ के बारे में अपने विचार रखे हैं। वे तर्क देते हैं कि यह कोई अखंड संस्कृति नहीं, बल्कि सदियों के दौरान सांस्कृतिक आदान-प्रदान से विकसित हुई एक समन्वयात्मक परंपरा है।

“लेकिन यह ‘मुस्लिम संस्कृति’ क्या है? क्या यह अरबों, फारसियों, तुर्कों आदि के महान कार्यों की नस्लीय स्मृति है? या भाषा? या कला और संगीत? या रिवाज? मैं वर्तमान समय की मुस्लिम कला या मुस्लिम संगीत की चर्चा करते हुए किसी को नहीं याद कर पाता हूं। भारत में जिन दो भाषाओं ने मुस्लिम सोच को प्रभावित किया है वे अरबी और फारसी हैं, खास तौर से फारसी। लेकिन फ़ारसी के प्रभाव में इसके बारे में धर्म का कोई तत्व नहीं है। फारसी भाषा और कई फारसी रीति-रिवाज और परंपराएं हजारों वर्षों के दौरान भारत में आईं और पूरे उत्तर भारत में खुद को शक्तिशाली रूप से प्रभावित किया। फारस, पूरब का फ्रांस था, अपने सभी पड़ोसियों को अपनी भाषा और संस्कृति भेजता था। यह भारत में हम सभी के लिए आम और अनमोल धरोहर है।” -(अनुवाद)

इससे हम यह निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जवाहरलाल नेहरू की इस कथित टिप्पणी का पहला संदर्भ, 1959 में एन बी खरे ने ही दिया था, जिन्हें नेहरू के बारे में यह टिप्पणी करने के लिए विद्वानों द्वारा भी श्रेय दिया जाता है।

क्या नेहरू ने कभी खुद के हिन्दू पैदा होने का संदर्भ दिया?

1929 में जवाहरलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उसी वर्ष इस संगठन ने ‘पूर्ण स्वराज’ या ब्रिटिश शासन से पूरी आजादी की मांग करते हुए ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया था। लाहौर में आयोजित इस अधिवेशन में, अपने अध्यक्षीय भाषण में, जवाहरलाल नेहरू ने धार्मिक हठधर्मिता छोड़ने की आवश्यकता के बारे में बात की थी, और धर्म के आधार पर राष्ट्रवाद के विचार की बात रखी थी।

एक हिंदू के रूप में अपने जन्म का उल्लेख करते हुए, नेहरू ने कहा था, “मैं हिंदू पैदा हुआ था, लेकिन मुझे नहीं पता कि खुद को हिंदू कहने या हिंदुओं की ओर से बोलने के लिए मैं कितना उचित हूं। लेकिन, इस देश में अभी भी जन्म को गिना जाता है, और जन्म के अधिकार से, मैं हिंदुओं के नेताओं को कहने का उद्यम करता हूं कि उदारता को आगे रखने का उनका विशेषाधिकार होना चाहिए। उदारता न केवल अच्छी नैतिकता है, बल्कि अक्सर अच्छी राजनीति और आज के समय के लिए सबसे उचित है। और यह मेरे लिए अकल्पनीय है कि स्वतंत्र भारत में हिंदू कभी शक्तिहीन हो सकते हैं।” -(अनुवाद)

स्रोत: ग्रेट स्पीचेज ऑफ मॉडर्न इंडिया, लेखक: रुद्रांग्शु मुखर्जी

फ़र्ज़ी उद्धरणों और फोटोशॉप तस्वीरों को शेयर करके जवाहरलाल नेहरू का सोशल मीडिया में लगातार अपमान किया जाता रहा है। इससे पहले, नेहरू द्वारा लिखे होने का झूठा दावा करते हुए एक पत्र व्यापक रूप से शेयर किया गया, जिसमें सुभाष चंद्र बोस को “युद्ध अपराधी” कहा गया था। 2017 में, अपनी बहन विजयलक्ष्मी पंडित के साथ नेहरू की तस्वीर को भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने गलत इशारा करते हुए पोस्ट किया था। ऐसे कई उदाहरण ऑल्ट न्यूज़ द्वारा संग्रहित हैं।

नेहरू की राजनीतिक विचारधारा और उनकी विरासत दक्षिणपंथी सोशल मीडिया नेटवर्क के लिए एक प्रकार का अभिशाप है। अन्य बातों के अलावा, उनकी वंशावली को लेकर अफवाहों से लेकर सुभाष चंद्र बोस से उनके संबंध, उनकी शिक्षा नीति और RSS के साथ उनके समीकरण तक…, भारत के पहले प्रधानमंत्री, अपनी मृत्यु के पांच दशक से अधिक समय बाद भी, राजनीति के इतिहास में एक चर्चित व्यक्तित्व बने हुए हैं।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.