ट्विटर यूज़र, रितेश कुमार ने तस्वीरों का एक कोलाज पोस्ट किया, जिसमें एक रोड शो में, पत्रकार रवीश कुमार और सीपीआई के बेगूसराय उम्मीदवार कन्हैया कुमार हैं। तस्वीरों के इस संग्रह के साथ पोस्ट किए गए संदेश में एक दावा करने की कोशिश की गई है, जिसके अनुसार, रवीश कुमार की मौजूदगी में कन्हैया को माला पहनाने के लिए एक व्यक्ति को सेट किया गया। नीचे दिए गए ट्वीट में तीन तस्वीरें हैं, जिनके, उन घटनाओं का, क्रमानुसार प्रतिनिधित्व करने का दावा किया गया है। इस क्रम के अनुसार, एक कार्यकर्ता [स्वयंसेवक] भाजपा की टोपी छिपा रहा था, जिसे बाद में कुमार के सामने खड़े एक व्यक्ति को दिया गया था। इसमें आगे दावा किया गया है कि उस व्यक्ति ने कन्हैया कुमार को माला पहनाने से ठीक पहले भाजपा की टोपी पहनी। पूरे प्रकरण को “प्रचार” कहते हुए, इस पोस्ट में पत्रकार की विश्वसनीयता को धूमिल करने का प्रयास किया गया।
ऊपर पोस्ट की गई घटनाक्रम की तस्वीरें एक मीम (प्रसारण की चीज) में बदल दी गईं और ट्विटर व फेसबुक पर कई लोगों ने इसे शेयर किया है।
#RavishKumarMC साहेब आप जन्मजात बेशर्म हैं या बड़ा होने के बाद कोई कोर्स किया है ?#BloodyPrestituteTraitor pic.twitter.com/ep8yWRICzX
— Bhaiyya ji [ Chowkidar ] (@shrialokmishra) April 12, 2019
इस मीम को उसी संदेश के साथ पोस्ट करने वालों में एक, फेसबुक यूज़र गंधार अग्रवाल थे। इसे अब तक 2,000 से अधिक बार शेयर किया गया है। इस पोस्ट के अर्काइव्ड संस्करण तक यहाँ पहुँचा जा सकता है।
तथ्य-जांच
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि सोशल मीडिया में चल रहा संदेश झूठा है। तस्वीरों के संग्रह में बताया गया घटनाओं का क्रम, वास्तव में उल्टा है।
रवीश कुमार हाल ही में कन्हैया कुमार के चुनाव प्रचार अभियान को कवर करने के लिए बेगूसराय, बिहार का दौरा किए थे। ऑल्ट न्यूज़ ने वरिष्ठ पत्रकार से घटना के बारे में पूछताछ करने के लिए संपर्क किया।
हमने उक्त घटना की रिकॉर्डिंग हासिल की। उसमें भाजपा की टोपी और स्कार्फ पहने एक व्यक्ति कन्हैया कुमार के पास जाता है और उन्हें माला पहनाता है। नीचे दिए गए वीडियो में, यह स्पष्ट है। जब वह व्यक्ति बेगूसराय प्रत्याशी कन्हैया कुमार से मिला उस वक्त वह पहले से टोपी पहने हुए था। जब कन्हैया कुमार के समर्थकों ने उससे आग्रह किया, तब उसने उसे हटाया। इस प्रकार यह आरोप कि पूरी घटना पहले से सेट थी, झूठा है। झूठा दावा करने के लिए घटनाओं का क्रम उलट दिया गया।
पहले भी, रवीश कुमार ने अक्सर खुद को — उनकी विश्वसनीयता धूमिल करने के प्रयास के तहत — गलत सूचनाओं के पैरोकारों के निशाने पर पाया है। कन्हैया भी लगातार भ्रामक सूचनाओं के द्वारा सोशल मीडिया में निशाने पर रहे हैं।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.