प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान न्यूज़ 18 की एंकर रुबिका लियाकत ने 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में उनके द्वारा दिए गए भाषण में मुसलमानों के बारे में कमेंट्स पर पीएम से सवाल किया. रुबिका ने पीएम मोदी से पूछा, “स्टेज पर जब आपने मुसलमानों का ज़िक्र किया तो घुसपैठिया, ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाला..इसकी क्या ज़रूरत आन पड़ी?” मोदी ने उनके सवाल का जवाब देते हुए कहा, ”मैं हैरान हूं कि किसने आपको कहा कि ज़्यादा बच्चों की बात होती है तो सिर्फ मुसलमानों का नाम जोड़ देते हैं. क्यों मुसलमान के साथ अन्याय करते हैं आप? हमारे यहां गरीब परिवारों में भी ये हाल है जी. उनके बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहे हैं, किसी भी समाज के हों गरीबी जहां ज़्यादा है वहां बच्चे भी ज़्यादा हैं.

इसके बाद पत्रकार ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या उनके भाषण में ‘मुसलमानों’ और ‘ज़्यादा बच्चे पैदा करने वालों’ के बीच कोई संबंध नहीं था. इस पर पीएम ने मुसलमानों के बारे में बोलने के सभी आरोपों का खंडन किया. “मैंने न हिंदू कहा है न मुसलमान कहा है, मैंने कहा है कि भई आप उतने बच्चे हो (करो), जिसका आप लालन-पालन कर सकें. सरकार को करना पड़े ऐसी स्थिति मत करो.” जब उनसे पूछा गया कि क्या मुसलमान उन्हें वोट देंगे तो उन्होंने कहा, ‘मैं ये मानता हूं मेरे देश के लोग मुझे वोट देंगे. मैं जिस दिन हिंदू-मुसलमान करूंगा न उस दिन मैं सार्वजानिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहूंगा. और मैं हिंदू-मुसलमान नहीं करूंगा, ये मेरा संकल्प है.” उन्होंने ‘100% डिलीवरी’ के बारे में बात की, जिसका मतलब है कि पीएम मोदी समाज के हर व्यक्ति को उनके धर्म की परवाह किए बिना बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे. उन्होंने इसे ‘सच्ची धर्मनिरपेक्षता’ बताया. इसके बाद पत्रकार रुबिका लियाकत ने खुद को एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल करते हुए मुसलमानों को मिलने वाली बुनियादी सुविधाओं की सूची बनाना शुरू कर दिया.

कुल मिलाकर, मुसलमानों के बारे में अपने बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने 1 मिनट 52 सेकेंड के बयान में ये दो दावे किए:

  • उन्होंने ‘ज़्यादा बच्चे पैदा करने वालों’ और ‘घुसपैठियों’ के बारे में बोलते हुए मुसलमानों का ज़िक्र नहीं किया था.
  • उन्होंने अपने भाषणों में कभी भी हिंदू-मुस्लिम बयानबाज़ी नहीं की है.

दावा I: “मुसलमानों का ज़िक्र नहीं किया”

21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में पीएम मोदी ने ‘जिनके ज़्यादा बच्चे हैं’ और ‘घुसपैठिए’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था, जिसे खुले तौर पर सांप्रदायिक भाषण माना गया था. इस इंटरव्यू में दोनों सवाल का जवाब देते समय, प्रधानमंत्री ने न सिर्फ उस वाकये का ज़िक्र किया बल्कि इस बात पर भी जोर दिया कि ‘जो ज़्यादा बच्चे पैदा करते हैं’ कहते वक्त उन्होंने मुसलमानों का ज़िक्र नहीं किया था. लेकिन अपने जवाब में मोदी ने ‘घुसपैठिए’ वाले बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की.

अपने बांसवाड़ा भाषण में लगभग 35 मिनट 17 सेकेंड पर, पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के घोषणापत्र में आबादी के बीच संपत्ति के वितरण के बारे में बात की गई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जनता का सोना और मंगलसूत्र छीन लेगी. करीब 36 मिनट 50 सेकेंड पर मोदी ने कहा, ”जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने कहा था कि राज्य की संपत्तियों पर मुसलमानों का पहला अधिकार है. इसका मतलब ये है कि वे इन संपत्तियों को जमा करेंगे और उन्हें ज़्यादा बच्चे पैदा करने वालों को दे देंगे.” संदर्भ में रखने पर, ये साफ हो जाता है कि पीएम मोदी ने ‘जो ज़्यादा बच्चे पैदा करते हैं’ कहते वक्त मुसलमानों का ज़िक्र किया था.

फिर उन्होंने आगे कहा, “वे इसे घुसपैठियों को दे देंगे. क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंज़ूर है ये? ये कांग्रेस का मेनिफ़ेस्टो कह रहा है – कि वो माताओं, बहनों के सोने का हिसाब करेंगे.. उसकी जानकारी लेंगे, और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे. और उनको बांटेंगे जिनको (मुस्कुराते हुए) मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्तियों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. भाइयों और बहनों, ये शहरीअर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओं-बहनों, ये आपका ‘मंगलसूत्र’ भी बचने नहीं देंगें. ये इस हद तक जायेंगे.”

पीएम मोदी के भाषण को ध्यान से सुनने पर, ये साफ हो जाता है कि बांसवाड़ा कार्यक्रम में उनका बयान सांप्रदायिक और विभाजनकारी था, और दोनों शब्द/वाक्य ‘घूसपेठिए’ और ‘जिनके ज़्यादा बच्चे हैं’ मुसलमानों को संदर्भित करते हुए किए गए थे. इसलिए, न्यूज़ 18 इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी का दावा झूठा है.

दावा II: “मैं हिंदू मुसलमान नहीं करूंगा”

बांसवाड़ा एकमात्र अवसर नहीं था जहां मोदी ने अपने भाषणों में मुसलमानों को अपमानित किया. 14 मई को ऐसा बयान देने के तुरंत बाद 15 मई को नासिक की एक रैली में पीएम मोदी ने कहा, “बाबा साहेब धर्म के आधार पर आरक्षण के ख़िलाफ़ थे. लेकिन कांग्रेस कह रही है कि एसटी, एससी, ओबीसी और ग़रीबों का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे देंगे. कांग्रेस आपकी संपत्ति को भी ज़ब्त करके अपने वोट बैंक को देने की तैयारी में हैं.”

न्यूज़ 18 इंटरव्यू से तीन दिन पहले उन्होंने झारखंड के चतरा में भाषण दिया था, जहां उन्होंने खुलेआम मुसलमानों पर निशाना साधा था. भाजपा के ऑफ़िशियल यूट्यूब चैनल ने भाषण के एक हिस्से वाला एक वीडियो अपलोड किया, जिसका टाइटल था, “झारखंड में तेज़ी से बढ़ रही घुसपैठियों की संख्या” क्लिप में वो सबसे पहले ये कहते हुए डराने की कोशिश करते हैं कि विपक्षी गठबंधन , SC, ST और OBC से आरक्षण छीन लेगा और मुसलमानों को दे देगा. कुछ मिनट बाद, उन्होंने मुसलमानों को ‘घुसपैठियो’ या ‘घुसपैठिए’ कहा.

बांसवाड़ा भाषण के दो दिन बाद, मोदी ने राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर निर्वाचन क्षेत्र में एक रैली को संबोधित किया, जहां उन्होंने 35 मिनट तक चले भाषण में 15 मिनट से ज़्यादा समय तक कांग्रेस-मुस्लिम गठजोड़ के सिद्धांत पर चर्चा की. गौरतलब है कि कांग्रेस के घोषणापत्र के प्रकाशन के तुरंत बाद मोदी ने इसे मुस्लिम लीग का घोषणापत्र कहा था. टोंक में उन्होंने अपने दर्शकों से भाजपा को वोट देने का आग्रह किया ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि राज्य में रामनवमी मनाई जाएगी और हनुमान चालीसा गाई जा सकेगी. उन्होंने ये भी कहा, ”आप जानते हैं कि उन्होंने घोषणापत्र में लिखा है कि हमारी माताओं और बहनों के ‘स्त्री-धन’ और ‘मंगलसूत्र’ का एक्सरे होगा… और फिर आपकी सारी संपत्ति जो आपकी ज़रूरत से ज़्यादा है ज़ब्त कर बांट दिया जाएगा. अगर आपके पास दो घर हैं, तो एक छीन लिया जाएगा.”

7 मई को मध्य प्रदेश के खरगोन में एक चुनावी रैली में मोदी ने फिर से कहा कि लोगों को चुनना होगा कि क्या “वोट जिहाद” या “राम राज्य” देश के लिए आगे का रास्ता होना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि एक खास धर्म के लोगों को एकजुट होकर मोदी के खिलाफ़ वोट करने के लिए कहा जा रहा है.

उन्होंने अपने भाषण के दौरान समाजवादी पार्टी नेता मारिया आलम की ‘वोट जिहाद’ की विवादास्पद अपील की ओर इशारा करते हुए कहा, “पाकिस्तान में आतंकवादी भारत के खिलाफ़ जिहाद की धमकी दे रहे हैं. इधर, कांग्रेस के लोगों ने भी मोदी के खिलाफ वोट जिहाद करने का ऐलान कर दिया है…यानी, एक खास धर्म के लोगों को एकजुट होकर मोदी के खिलाफ वोट करने को कहा जा रहा है. कल्पना कीजिए कि कांग्रेस किस स्तर तक गिर गई है.”

दरअसल, पीएम मोदी की ‘मुसलमान ज़्यादा बच्चे पैदा करते हैं’ की बयानबाज़ी 2002 में भी देखी जा सकती है. उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री, मोदी ने मुस्लिम राहत आश्रयों को “बच्चे पैदा करने वाली फ़ैक्ट्री” कहा था. 9 सितंबर को मेहसाना ज़िले में अपनी गौरव यात्रा के दौरान एक सार्वजनिक बैठक में मोदी ने कहा, “क्या भाइयों, क्या हमें राहत शिविर चलाना चाहिए? (दंगा प्रभावित मुसलमानों के लिए राहत शिविरों का ज़िक्र करते हुए) क्या मुझे वहां बच्चे पैदा करने के केंद्र यानी राहत शिविर शुरू करने चाहिए? हम परिवार नियोजन की नीति को दृढ़ संकल्प के साथ अपनाकर प्रगति हासिल करना चाहते हैं. हम 5 और हमारे 25! (अमे पंच, अमारा पंच, मुसलमानों के एक वर्ग के बीच बहुविवाह की प्रथा का ज़िक्र करते हुए) ऐसा विकास किसके नाम पर किया जाता है? क्या गुजरात परिवार नियोजन लागू नहीं कर सकता? किसकी रुकावटें हमारे रास्ते में आ रही हैं? कौन सा धार्मिक संप्रदाय आड़े आ रहा है? गरीबों तक पैसा क्यों नहीं पहुंच रहा? अगर कुछ लोग बच्चे पैदा करते रहेंगे तो बच्चे साइकिल का पंक्चर ही बनाएंगे?”

फिर 2019 में, झारखंड में 2019 विधानसभा चुनावों से पहले दुमका में एक सार्वजनिक रैली के दौरान, मुसलमानों के खिलाफ़ बात करते हुए, मोदी ने कहा कि जो लोग CAA के खिलाफ़ विरोध कर रहे थे, उन्हें उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता था. “ये कांग्रेसवाले और उसके साथी… हल्ला मचा रहे हैं, तूफान खड़ा कर रहे हैं. और उनकी बात चलती नहीं है तो आगजनी फैला रहे हैं. टीवी पर उनके जो दृश्य आ रहे हैं, ये आग लगाने वाले कौन हैं, वो उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है.” दुमका राज्य की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक थी क्योंकि कांग्रेस-JMM-RJD गठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार हेमंत सोरेन उस सीट के साथ-साथ बरहेट से भी चुनाव लड़ रहे थे.

फिर, 2019 के आम चुनावों से पहले, 6 अप्रैल को नांदेड़ में एक रैली में मोदी ने मुस्लिम कार्ड खेला, जब उन्होंने वायनाड से चुनाव लड़ने के लिए राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा, “कांग्रेस के नामदार ने माइक्रोस्कोप लेकर भारत में एक ऐसी” सीट खोजी है जहां पर मुकाबला करने की ताकत रख सके. सीट भी ऐसी जहां देश की बहुसंख्यक अल्पसंख्यक में है.”

इसलिए, न्यूज़18 की रुबिका लियाकत के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया दूसरा दावा भी ग़लत है कि वो कभी भी हिंदू-मुस्लिम बयानबाज़ी में शामिल नहीं हुए हैं.

पहले की रिपोर्ट्स में ऑल्ट न्यूज़ ने डॉक्यूमेंटेशन किया था कि कैसे प्रधानमंत्री के बांसवाड़ा संबोधन में ग़लत सूचनाएं थीं जिसे हेट स्पीच और घोर सम्प्रदायिकरण के एक उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है.

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About the Author

Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.