सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर वाले एक करेंसी नोट की तस्वीर सोशल मीडिया में इस दावे के साथ चल रही है कि जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा इस नोट का चलन बंद किया गया था। 22 अक्टूबर को फेसबुक पेज मोदी गवर्नमेंट (Modi Government) ने इस तस्वीर को पोस्ट किया था, जिसे 18,000 से भी अधिक बार शेयर किया जा चुका है।

घटिया और गंदी सोच वाली है कांग्रेस ….

Posted by Modi Government on Sunday, October 21, 2018

इस तस्वीर के साथ संदेश है, “नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर वाला 5 का नोट जिसे नेहरूजी ने बंद करवा दिया था , ताकि भारतीय इस सच्चे स्वतंत्रता सेनानी को भूल जाये लेकिन इसे इतना शेयर करो की सरकार इसे वापस शुरू कर दे”। करेंसी नोट के अनुसार, यह आज़ाद हिंद बैंक द्वारा जारी किया गया है और इसमें अपनी प्रचलित टोपी पहने बोस सलामी की मुद्रा में हैं।

ऑल्ट न्यूज ने पाया कि बोस के करेंसी नोट की एक और तस्वीर सितंबर 2018 में फेसबुक ग्रुप वी सपोर्ट नरेंद्र मोदी में एक फेसबुक यूजर द्वारा पोस्ट की गई थी। इस पोस्ट का दावा है कि यह तस्वीर 10 रुपये का नोट है जिसे नेहरू द्वारा समाप्त कर दिया गया था।

क्या नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार ने सुभाष चंद्र बोस वाली करेंसी का चलन बंद कर दिया था, जैसा कि दावा किया जा रहा है? नहीं, ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि ये करेंसी नोट, जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया में फैल रही हैं, कभी कानूनी करेंसी थीं ही नहीं। उन्हें स्वतंत्रता से पहले के भारत में जारी किया गया था।

आजाद हिंद बैंक

सुभाष चंद्र बोस के करेंसी नोट आजाद हिंद बैंक द्वारा जारी किए गए थे, जिन्हें करेंसी पर लिखा हुआ देखा जा सकता है। कानाईलाल बसु (Kanailal Basu) ने अपनी किताब नेताजी : रीडिस्कवर्ड (Netaji: Rediscovered) में लिखा है कि आजाद हिंद बैंक का गठन ब्रिटिशों के खिलाफ युद्ध के प्रयास के वित्त पोषण के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से अप्रैल 1944 में बर्मा (अब म्यांमार) के रंगून (अब यांगून) में हुआ था। बैंक ने भारतीय करेंसी नोट छापे और दुनियाभर के भारतीयों से योगदान का प्रबंध किया। आजाद हिंद बैंक का उल्लेख शॉन टर्नेल (Sean Turnell) की किताब फेयरी ड्रेगन्स : बैंक, मनीलेंडर एंड माइक्रोफाइनेंस इन बर्मा (Fiery Dragons: Banks, Moneylenders and Microfinance in Burma) में भी मिलता है।

Extract from Fiery Dragons: Banks, Moneylenders and Microfinance in Burma

सुभाष चंद्र बोस वाले कई करेंसी नोट हैं जिन्हें आजाद हिंद बैंक (जिसे Bank of Independence भी कहा जाता है) द्वारा स्वतंत्रता से पहले जारी किया गया था। इनमें से कुछ नोट सार्वजनिक उपयोग में आए, मुख्य रूप से लोगों के निजी संग्रह का हिस्सा बनकर। द हिंदू ने जनवरी 2010 में रिपोर्ट छापी थी कि ऐसा एक करेंसी नोट सार्वजनिक किया गया था।

Image courtesy: The Hindu

हालिया रिपोर्ट में द टेलीग्राफ (The Telegraph) ने कहा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मस्थान ओडिशा के कटक स्थित संग्रहालय में आजाद हिंद बैंक द्वारा जारी किए गए सिक्कों और करेंसी नोटों का दुर्लभ संग्रह है। वास्तव में, 2016 में केंद्र सरकार को एक विचित्र अनुरोध किया गया था, जब कई उधारकर्ताओं ने वित्त मंत्रालय में याचिका दायर कर अपने ऋण आजाद हिंद बैंक द्वारा जारी करेंसी से चुकाने की मांग की थी। यह अनुरोध बोस से संबंधित फाइलों को गोपनीयता सूची से हटाने की घोषणा के बाद किया गया था। द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “हमें उन लोगों का प्रतिनिधित्व प्राप्त है जो आजाद हिंद बैंक या इसी तरह के अन्य द्वारा जारी करेंसी की कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता चाहते हैं,” उनमें से एक ने कहा। “उनमें से कुछ यह भी चाहते हैं कि उनके मौजूदा ऋणों को इन करेंसी नोटों से चुकाया जाए।” दूसरे अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा था कि इसके अस्तित्व का कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए इस करेंसी को कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती।” (अनुवाद)

यह दावा कि नेहरू सरकार ने सुभाष चंद्र बोस वाले इन करेंसी नोटों का चलन बंद किया, साफतौर पर गलत है। इन नोटों को ब्रिटिश भारत सरकार द्वारा या आजादी के बाद की भारतीय सरकार द्वारा कभी मान्यता नहीं थी, क्योंकि इन्हें 1943 में बोस द्वारा स्थापित ‘स्वतंत्र भारत की अनंतिम सरकार’ के आजाद हिंद बैंक द्वारा जारी किया गया था।

हाल ही, सोशल मीडिया में संदिग्ध प्रामाणिकता वाला एक ‘पत्र’ खूब शेयर किया गया जिसके अनुसार नेहरू ने बोस को ‘युद्ध अपराधी’ लिखा था। सोशल मीडिया में निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा जवाहरलाल नेहरू को सुभाष चंद्र बोस के रूबरू खड़ा कर खराब साबित करने के खूब प्रयास होते रहे हैं, और कोई साक्ष्य कहीं भी नहीं दिखने के बाबजूद, भारत के पहले प्रधानमंत्री पर बोस की विरासत को खत्म करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.