भारतीय जनता पार्टी ने 25 अक्टूबर को एक तथ्य-जांच वीडियो पोस्ट करके दावा किया कि राहुल गांधी ने “ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग को लेकर नकली खबर चलाई।” (अनुवाद)
Rahul Gandhi peddles fakes news to be in news. His lie on India’s ranking in the Global Hunger Index is busted here. pic.twitter.com/RLaQpF2hPO
— BJP (@BJP4India) October 25, 2018
भाजपा कांग्रेस अध्यक्ष के 15 अक्टूबर के ट्वीट का जिक्र कर रही थी जिसमें उन्होंने दैनिक भास्कर की रिपोर्ट शेयर की थी। इस लेख के मुताबिक, भारत की ग्लोबल हंगर इंडेक्स रैंकिंग 2014 से 2018 तक, 55 से गिरकर 103 हो गई है। यह गलत है। इसकी तथ्य जांच ऑल्ट न्यूज द्वारा पहले एक लेख में की गई थी।
चौकीदार ने भाषण खूब दिया,
पेट का आसन भूल गये।योग-भोग सब खूब किया,
जनता का राशन भूल गये।https://t.co/RTlyKbKeZl— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 15, 2018
भारतीय जनता पार्टी की तथ्य-जांच सुगमतापूर्वक हुई। उन्होंने 2008 और 2018 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index: GHI) स्कोर की तुलना की और दावा किया कि देश की स्थिति में सुधार हुआ है। वीडियो में कहा गया कि भारत का 2008 का GHI स्कोर 35.6 था जो 2018 में, 31.1 हो गया। भाजपा ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में देश के GHI स्कोर में 4.5 अंक का सुधार (निम्न GHI स्कोर बेहतर प्रदर्शन का संकेत है) हुआ है।
हालाँकि, भारतीय जनता पार्टी ने यहां गलती की।
GHI डेटा की पिछले साल की रिपोर्ट से तुलना नहीं की जा सकती
बीजेपी ने GHI 2017 की रिपोर्ट से 35.6 मूल्य उठाया और इसकी तुलना भारत के 2018 GHI स्कोर के साथ की, जो 31.1 है। हालांकि, 2018 की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि GHI स्कोर प्रत्येक वर्ष की रिपोर्ट के भीतर तुलनीय हैं, नाकि विभिन्न वर्षों की रिपोर्ट के बीच, क्योंकि प्रत्येक वर्ष स्कोर संशोधित होते हैं।
2018 की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि “प्रत्येक रिपोर्ट में फोकस वर्ष के अलावा तीन संदर्भ वर्षों के GHI स्कोर और सूचक डेटा शामिल हैं। इस रिपोर्ट में, 2018 GHI स्कोर की तुलना सीधे तीन संदर्भ वर्ष- 2000, 2005 और 2010 के लिए दिए गए GHIस्कोर के साथ की जा सकती है।”
इसके विपरीत, 2017 की रिपोर्ट में संदर्भ वर्ष 1992, 2000 और 2008 थे।
2017 की रिपोर्ट में 2008 का संशोधित आंकड़ा 35.6 था और बीजेपी ने इस साल की तुलना में मौजूदा साल के स्कोर (31.1) की, सुधार दिखाने के लिए, तुलना की थी।
GHI रैंक/स्कोर कारकों की एक बड़ी संख्या पर आधारित होती है और पिछले वर्षों से रिपोर्ट की तुलना किसी सटीक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी देश की बिगड़ती रैंकिंग न तो अनिवार्य रूप से इसके सूचकांक स्कोर में गिरावट का संकेत देती है, और न ही सूचकांक स्कोर में गिरावट, बिगड़ती रैंकिंग का। उदाहरण के लिए, 2017 में भारत का GHI स्कोर 31.4 था और इसका वर्तमान स्कोर 31.1 है। 0.3 अंक सुधार के साथ भी, भारत का रैंक तीन स्थान नीचे आ गया। इसके लिए अन्य देशों के बेहतर प्रदर्शन सहित विभिन्न कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
हालांकि, जैसा कि GHI स्पष्ट करता है, पिछले वर्षों के सूचकांक स्कोर उसी वर्ष की रिपोर्ट के भीतर तुलनीय हैं। भाजपा केवल 2018 की रिपोर्ट को संदर्भित कर सकती थी और 2000, 2005 या 2010 के संशोधित सूचकांक स्कोर की तुलना में और सुधार के लिए चालू वर्ष के स्कोर (31.1) के साथ तुलना कर सकती थी। इसकी बजाए, पार्टी ने अलग ही रिपोर्ट से डेटा उठाया।
यह जानकारी भ्रामक है कि भारत का भूख स्तर “खतरनाक नहीं है”
भाजपा द्वारा अपने तथ्य-जांच वीडियो में दी गई एक और जानकारी भ्रामक थी कि वह 31.1 के भारत के वर्तमान GHI स्कोर को “खतरनाक नहीं” बता रही थी। 34.9 से ऊपर के स्कोर वाले सभी देशों में भूख का स्तर “खतरनाक” है। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि 34.9 से नीचे के स्कोर “खतरनाक नहीं हैं”। भारत का 2018 GHI स्कोर “गंभीर श्रेणी की उच्च सीमा” पर है। GHI 2018 की रिपोर्ट इंडेक्स स्कोर 20.0 से 34.9 को भूख के “गंभीर” स्तर के रूप में वर्गीकृत करती है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘तथ्यों की जांच’ करने का प्रयास करते हुए, भारतीय जनता पार्टी ने खुद भी तथ्यात्मक गड़बड़ियां कीं।
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