सबरीमाला प्रकरण में केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने मासिक धर्म में महिलाओं के मंदिरों में प्रवेश को लेकर अपनी एक टिप्पणी से नया विवाद खड़ा कर दिया। 23 अक्टूबर को ORF द्वारा आयोजित यंग थिंकर्स कॉन्फेंस में उन्होंने कहा, “मैं सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर बात नहीं करती क्योंकि अभी मैं कैबिनेट मंत्री हूं। लेकिन ये तो सिर्फ़ कॉमन सेंस की बात है। क्या आप पीरियड्स के ख़ून में भीगा सैनिटरी नैपकिन लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? आप नहीं जा सकतीं। और फिर आप सोचती हैं कि भगवान के घर में ऐसा करना सम्मानजनक होगा? हमें इसी अंतर को समझना होगा। मुझे पूजा करने का अधिकार है लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है। यह मेरी व्यक्तिगत राय है।” (अनुवाद)
We are in conversation with Union Minister of textiles,Smt Smriti Irani; Moderated by Mr Samir Saran, President, Observer Research Foundation at the #YTC2018
Posted by ORF Mumbai on Monday, 22 October 2018
इसके तुरंत बाद, सोशल मीडिया ईरानी की टिप्पणियों की आलोचना करने वालों से भर गया, जिस पर उन्होंने दावा किया कि “नकली खबर” थी।
Fake news …… calling you out on it. Will post my video soon. https://t.co/ZZzJ26KBXa
— Smriti Z Irani (@smritiirani) October 23, 2018
इसके बाद, कई पत्रकारों ने ईरानी को बताया कि वो खुद नकली खबर की फेर में फंसी थी, क्योंकि कोई रिपोर्ट नहीं बताती कि महिलाएं सबरीमाला में खून से भरे सैनिटरी पैड के साथ प्रवेश करती हैं।
Dear Ms Irani, it’s you who seems to be falling for fake news. Can you point at one credible news source that says women wanted to take sanitary pads, blood-soaked or unused, to #Sabarimala? Where is this suggestion coming from? https://t.co/1LIsb9YupG
— Manisha Pande (@MnshaP) October 23, 2018
एक काल्पनिक कथा
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की टिप्पणी, ऐसा लगता है कि अफवाहों का नतीजा था, जिनमें दावा किया गया था कि सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फातिमा ‘इरुमुदिक्केट्टू’ (भगवान को प्रार्थना की पेशकश) में रक्त से भरा सैनिटरी नैपकिन सबरीमाला ले गई थीं।
न्यूजलॉन्ड्री के अनुसार भाजपा-समर्थक केरल मीडिया संस्थान जनम टीवी (Janam TV) ने इस अफवाह को जन्म दिया। 19 अक्टूबर को प्रकाशित एक लेख में, जनम टीवी ने उपरोक्त दावा किया जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। (1, 2, 3, 4)
हालांकि, जैसा कि ज्यादातर अफवाहों के साथ होता है, इस मामले के तूल पकड़ने के साथ ही इसका मूल संस्करण बदल गया। ईरानी की टिप्पणी के बाद, कई दक्षिणपंथी ट्विटर हैंडल केंद्रीय मंत्री के समर्थन में आए और आरोप लगाया कि फातिमा ने अपने सिर पर गीला पैड रखा था।
Fatima Rehana was allegedly carrying a blood stained sanitary pad on her head.
Is that where women menstruate from? From the head?
Would u go visit your God (Kejri) with a blood stained pad on your head? https://t.co/4BLgYZ8xai
— Eminent Intellectual (@padhalikha) October 23, 2018
लेकिन ईरानी ने अपने स्पष्टीकरण में संकेत दिया कि वह गलत जानकारी की शिकार नहीं हुई थीं। मंत्री ने ट्वीट किया कि उन्हें “अभी भी ऐसे व्यक्ति की खोज है, जो अकेले दोस्त को छोड़िए, किसी को भी, देने के लिए खून से भरा नैपकिन ले जाता/जाती है।” (अनुवाद)
As far as those who jump the gun regarding women visiting friend’s place with a sanitary napkin dipped in menstrual blood — I am yet to find a person who ‘takes’ a blood soaked napkin to ‘offer’ to any one let alone a friend.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) October 23, 2018
फिर केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने युवा सम्मेलन में वह टिप्पणी क्यों की?
एक नकली खबर से बनता है झूठ का समंदर
रेहाना फातिमा से जुड़ी कथित घटना के संदर्भ के अलावा खून-भरे सैनिटरी नैपकिन के बारे में स्मृति ईरानी के बयान के लिए कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं है। इसके अलावा, किसी महिला द्वारा मंदिर में, कभी भी, या उस मामले के लिए कहीं भी, गीला पैड ले जाने के बारे में किसी मामले का रिकॉर्ड नहीं है।
जब ऑल्ट न्यूज़ ने रहाना फातिमा से संपर्क किया, तो उन्होंने अफवाहों को “नकली खबर” करार दिया और कहा कि वह विरोध के लिए नहीं, बल्कि प्रार्थना करने के लिए सबरीमाला का दौरा कर रही थीं। पुष्टि के लिए हमने केरल पुलिस से भी संपर्क किया तो उन्होंने किसी भी कार्यकर्ता या महिला के सैनिटरी पैड – इस्तेमाल किया या अप्रयुक्त – लेकर, मंदिर के अंदर जाने से इनकार किया।
भाजपा सांसद और मंत्री ने अपने ट्वीट में संकेत दिया कि वह गलत जानकारी में नहीं फंसी थीं, लेकिन आडम्बरपूर्ण शब्दों में उनके स्पष्टीकरण से उन्हें दोषमुक्त नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एक भी ऐसी घटना का उल्लेख कहीं नहीं था कि महिलाएं मंदिरों के अंदर खून-भरा पैड ले जा सकती हैं।
इसके अलावा, पारसी धर्म को समानांतर रखकर जहां रजस्वला महिलाओं को अगियारी (पारसियों के धर्मस्थल) में जाने की अनुमति नहीं होती, ईरानी द्वारा दिए गए दूसरे बयान भी, महिलाओं के लिए धार्मिक नियमों को तर्कसंगत बताने के प्रयास थे। इससे प्रार्थना स्थलों में रजस्वला महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ केंद्रीय मंत्री के विचार का संकेत भी मिला।
I respect that stand by the Zoroastrian community / priests and do not approach any court for a right to pray as a mother of 2 Zoroastrian children. Similarly Parsi or non Parsi menstruating women irrespective of age DO NOT go to a Fire Temple.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) October 23, 2018
आज तक की कार्यकारी निदेशक श्वेता सिंह भी अर्थहीन रेस में शामिल
स्मृति ईरानी की टिप्पणी के बारे में द वायर के सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा ट्वीट करने के बाद, आज तक की कार्यकारी निदेशक स्वेता सिंह ईरानी के समर्थन में आ गई और ट्वीट किया कि “वेटिकन में भी मिनी स्कर्ट की अनुमति नहीं है”। जब वरदराजन ने बताया कि महिलाओं द्वारा गंदे सैनिटरी नैपकिन फेंक दिए जाते हैं और किसी यात्रा (tour) में ले जाए नहीं जाते, तो सिंह ने टिप्पणी की कि अगर वरदराजन ‘यात्रा (tour)’ से अनजान थे जिसका स्मृति ईरानी ने जिक्र किया था, तो उन्हें इस विषय पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए था। हालांकि, सिंह ‘यात्रा (tour)’ का जिक्र करने में नाकाम रहीं जिसके बारे में वह बात कर रही थीं।
माफ़ करिए मुझे नहीं मालूम था आपको सैनिटरी पैड पहनने का अधिक अनुभव है। पर आगे से इस्तेमाल किए पैड फेंक दीजिएगा। और अगर आपने नहीं सुना कि ‘इस्तेमाल किया पैड’ किस ‘tour’ पे ले जाया गया तो @smritiirani के बयान पे टिप्पणी क्यों की? हद से ज़्यादा मासूम निकले आप तो। https://t.co/OPZyb1Bby3
— Sweta Singh (@SwetaSinghAT) October 24, 2018
पुलिस बयान के बावजूद कि स्वच्छता पैड – उपयोग की हुई या अप्रयुक्त – ले जाने की कोई घटना नहीं हुई, सबसे लोकप्रिय समाचार संगठनों में से एक के कार्यकारी निदेशक स्मृति ईरानी के जैसे ही गलत सूचना के चक्कर में पड़ गई।
प्रधानमंत्री के केंद्रीय मंत्रिमंडल में 26 मंत्री हैं, जिनमें से केवल चार महिलाएं हैं। इस कम संख्या में से एक, स्मृति ईरानी के हाल के वक्तव्यों से एक खतरनाक उदाहरण स्थापित हुआ, क्योंकि उनके विचार को, महिलाओं के मुद्दों के प्रति सरकार के दृष्टिकोण के लिए, बैरोमीटर के रूप में देखा जा सकता है। वह न केवल सोशल मीडिया के अफवाह में आ गईं, बल्कि सबरीमाला में मासिक धर्म वाली महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ अपने विचार के लिए इस गलत जानकारी का इस्तेमाल किया।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.