15 मई को स्वराज अभियान के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने बुलंदशहर पुलिस द्वारा जारी किया गया एक नोटिस ट्वीट किया. नोटिस ट्वीट करते हुए योगेंद्र यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की और कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार सड़क के किनारे रहने वाले, सामने से गुजरते अप्रवासी मजदूरों को खाना और रहने की जगह देने वाले नेकदिल लोगों को चेतावनी दे रही है, कानून के डंडे का डर दिखा रही है कि मजदूरों की सहायता न करें, न दूसरों को करने दें.” ट्वीट को 900 से ज़्यादा लोगों ने रिट्वीट किया है. (ट्वीट का आर्काइव)

नोटिस में लिखा है, “प्रायः देखने में आ रहा है कि आपके द्वारा पैदल चल रह प्रवासी मजदूरों को अपने आवास के सामने रोक लिया जाता है. इस आशय की गोपनीय जानकारी प्राप्त हुई है कि आपके द्वारा रास्ते में मजदूरों को अपने आवास पर खाने-पीने की वस्तुओं को वितरित करने का लालच देकर बुलाया जाता है. इससे कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन हो रहा है. आप सचेत हों, भविष्य में आपके द्वारा इस प्रकार से कोविड-19 नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर महामारी अधिनियम के अनुसार आपके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.

ट्विटर यूज़र नदीम खान ने भी उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट किया, “जिनके घर हाइवे पर हैं और वो हाइवे पर पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों की खाना और पानी देकर मदद कर रहे हैं, उन्हें नोटिस देकर परेशान किया जा रहा है.”

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह नोटिस श्री भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित नाम के एक व्यक्ति को जारी किया गया था. वे उत्तर प्रदेश की देबई विधानसभा के पूर्व विधायक हैं. बुलंदशहर पुलिस ने एक ट्वीट में जानकारी दी कि नोटिस शर्मा के नाम जारी किया गया था जिन्होंने पुलिस के मुताबिक लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन किया है.

SSP संतोष कुमार ने भी पुष्टि की कि नोटिस गुड्डू पंडित के खिलाफ जारी किया गया था और उनके खिलाफ लॉकडाउन के दौरान नियम तोड़ने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने के कुछ मामले भी दर्ज किए गए हैं. उन्होंने जानकारी दी कि गुड्डू पंडित को अपने घर पर खाने का लालच देकर लोगों को रोकने के लिए, सोशल डिस्टेंसिंग में बाधा पहुंचाने और लॉकडाउन नियम तोड़ने के लिए ये नोटिस बुलंदशहर पुलिस स्टेशन इंचार्ज द्वारा दिया गया. उन्होंने दावा किया कि नोटिस में जहां उनका (गुड्डू पंडित) का नाम लिखा था, वह हिस्सा मिटाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया गया. उन्होंने कहा कि नोटिस को संदर्भ से हटाकर सोशल मीडिया पर शेयर करना पुलिस को बदनाम करने की कोशिश है.

हालांकि उत्तर प्रदेश के एक क्राइम रिपोर्टर सचिन गुप्ता का कहना है कि पुलिस जिस गुड्डू पंडित का नाम नोटिस से मिटाने की बात कर ही है, असल में वह नोटिस पर था ही नहीं.

बाद में पुलिस ने जानकारी दी, “आउटपोस्ट इंचार्ज के खिलाफ कार्रवाई की गई है क्योंकि उन्होंने जो नोटिस भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित के खिलाफ लॉकडाउन का उल्लंघन करने के लिए जारी किया था, उसमें नाम नहीं लिखा था. इसी वजह से सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने नोटिस का दुरुपयोग किया. अगर नोटिस की भाषा स्पष्ट होती और उसमें नाम लिखा रहता तो जिला पुलिस की छवि खराब होने की कोशिश नाकाम हो जाती.”

नीचे दिए गए वीडियो में गुड्डू पंडित को बहस करते सुना जा सकता है कि पुलिस ने उन्हें लोगों को अपने घर बुलाकर खाना और पानी देने के लिए नोटिस दिया है. यह सुना जा सकता है कि गुड्डू पंडित पुलिस से नोटिस लेने से इनकार कर रहे हैं.

यानी बुलंदशहर पुलिस द्वारा पूर्व विधायक को कथित रूप से लोगों को अपने घर पर खाना और जरूरी चीजों का लालच देकर बुलाने के लिए नोटिस जारी किया. पुलिस ने उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन न करते, लॉकडाउन तोड़ते पाया. कई लोगों द्वारा उस नोटिस को गलत दावे के साथ शेयर किया कि पुलिस ने नेकदिल लोगों को प्रवासी मजदूरों की मदद न करने को कहा है, क्योंकि उस नोटिस पर कोई नाम नहीं था.

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Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.