‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने एक पत्र ट्वीट किया. इस पर कोई साइन नहीं है. ये पत्र कथित तौर पर पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर-ए-इस्लाम ने जारी किया है. इस पत्र में कश्मीर के ‘काफिरों’ (धर्म में विश्वास नहीं करने वाले) को मारने की धमकी दी गई है. लेटर में लिखा है, “अल्लाह को मानने वाले आपको देख रहे हैं. आप लोगों ने कश्मीर के लोगों के साथ धोखा किया है.” इसमें ये भी लिखा है, “हर कश्मीरी पंडित कश्मीर और कुरान के लिए खतरा है.” इस आर्टिकल के लिखे जाने तक विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट को 9 हज़ार से ज़्यादा बार रिट्वीट किया गया.

न्यूज़रूम पोस्ट ने विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट के आधार पर एक आर्टिकल पब्लिश किया. आउटलेट ने लिखा, “विवेक अग्निहोत्री ने एक ज़हरीले पत्र को सबके सामने लाया है.” (आर्काइव्ड लिंक)

इसी तरह की रिपोर्ट अमर उजाला और लोकमत न्यूज़ ने भी पब्लिश की थी.

न्यूज़18 के अमीश देवगन ने एक शो में एंकरिंग करते हुए विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट के आधार पर इसे “ब्रेकिंग न्यूज़” कहा और अपने दर्शकों को चिल्लाते हुए बताया – “लश्कर-ए-इस्लाम ने कश्मीरी पंडितों को बहुत बड़ी धमकी दी है.”

भाजपा समर्थक प्रचार संगठन ऑप इंडिया ने कुलगाम में नागरिक सतीश कुमार सिंह की हत्या पर रिपोर्ट करते हुए ये दावा किया कि ये पत्र लश्कर-ए-इस्लाम ने जारी किया है.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि विवेक अग्निहोत्री से कुछ घंटे पहले विजय रैना ने यही पत्र ट्वीट किया था. विजय रैना ने दावा किया कि पत्र बारामूला के वीरवन पंडित कॉलोनी में मिला था और इसे “डाक से भेजा गया था.”

ऑल्ट न्यूज़ को मालूम चला कि इस पत्र को लेकर ये सबसे पहला ट्वीट था. हमने कुलगाम के सरपंच विजय रैना से बात की. उन्होंने कहा, “मैं पीएम पैकेज की नौकरियों के तहत कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडित बस्तियों के संपर्क में हूं. मुझे बारामूला ज़िले में वीरवन कॉलोनी के एक निवासी का पत्रर मिला है.” साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी जानकारी के मुताबिक, पत्र एक डाकिया ने दिया था.

टाइम्स नाउ ने ख़बर दी कि वीरवन कॉलोनी में ये पत्र सामने आया है. चैनल ने लिखा, “कश्मीरी हिंदुओं के लगभग 150-200 परिवार बारामूला, वीरवन में रहते हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में पुनर्वास योजना के तहत प्रधानमंत्री रोजगार योजना में सरकारी नौकरी हासिल की है.”

रिपोर्ट में आगे लिखा है, “मंगलवार शाम को कॉलोनी के सुरक्षा विवरण के लिए धमकी भरा लेटर पोस्ट के माध्यम से आया था”. साथ ही ये भी लिखा था, “हालांकि, ये असली नहीं लगता, पुलिस के अनुसार, इस फ़ैक्ट को ध्यान में रखते हुए कि इस आतंकवादी संगठन का कोई अस्तित्व है भी या नहीं. फिर भी पुलिस ने आश्वासन दिया कि कड़ी सावधानी और सुरक्षा के उपाय किए गए हैं.”

पत्र में कुछ और भी चीजें हैं जिससे इसके असली होने पर शक पैदा होता है.

  1. पत्र पर कोई साइन नहीं है.

लश्कर-ए-इस्लाम के कमांडर के नाम और साइन नहीं है. पत्र के अंत में सिर्फ “कमांडर” लिखा है.

  1. लश्कर-ए-इस्लाम ग़लत लिखा गया है

पत्र में “लश्कर” शब्द को “लश्केर” लिखा गया है. ये बात कल्पना से परे है कि संगठन अपने आधिकारिक लेटरहेड पर अपना नाम ग़लत लिखेगा. पाकिस्तान ने 30 जून, 2008 को लश्कर-ए-इस्लाम पर बैन लगा दिया था. एक सरकारी दस्तावेज जिसमें उन संगठनों की लिस्ट है, जिन्हें बैन किया गया है, उसमें “लश्कर” शब्द सही लिखा गया है. गौरतलब है कि संगठन का नाम अंग्रेजी में ट्रांसलिटरेटेड कर “लश्कर-ए-इस्लामी” के रूप में भी लिखा गया है. ये पाकिस्तान के नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी (NACTA) द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज़ में दी गई स्पेलिंग है. हालांकि, “इस्लाम” और “इस्लामी” दोनों का इस्तेमाल पाकिस्तानी सरकारी वेबसाइटों पर भी किया जाता है. “लश्कर” के साथ ऐसा नहीं है. पाठकों से अनुरोध है कि वे गूगल पर “लशकर” site:gov.pk सर्च कर खुद इसे चेक कर लें.

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  1. पत्र के ऊपरी बाएं कोने पर लोगो जमात-ए-दावा पाकिस्तान का है

लेटरहेड के बाईं ओर एक लोगो है जो एक दूसरे आतंकी समूह ‘जमात-ए-दावा’ (JuD) से संबंधित है. इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र ने 2008 में बैन कर दिया था जिसे प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी ग्रुप के उपनाम के रूप में पहचाना गया था.

वायरल लेटर से लोगो को क्रॉप करके इसका रिवर्स-इमेज सर्च करने से पता चला कि लोगो JuD का है. इसके अलावा, लोगो के सर्कल में दो तलवारों के नीचे उर्दू टेक्स्ट में भी “जमात-उद-दावा पाकिस्तान” लिखा है. (काले रंग से मार्क किया गया)

हमने लश्कर-ए-इस्लाम के मार्क को कंफ़र्म करने के लिए पाकिस्तानी पत्रकार जर्रार खुहरो से बात की. खुहरो ने संगठन द्वारा जारी किया गया एक असली लेटर हमारे साथ शेयर किया जिसमें इसका झंडा ऊपर दाईं तरफ देखा जा सकता है. ये वायरल लेटर में दिख रहे लोगो से मेल नहीं खाता. इसके अलावा, ये पत्र उर्दू में है, इस पर साइन भी किया गया है और इसमें पूरी तरह से अलग लेटरहेड है जिसमें JUD नहीं, “लश्कर-ए-इस्लाम” लिखा है.

नीचे लश्कर-ए-इस्लाम के झंडे की एक तस्वीर है जो बिल्कुल जर्रार खुहरो द्वारा शेयर किए गए लेटर की तरह है. तस्वीर का क्रेडिट AFP को दिया गया है.

दोनों झंडों के बीच में उर्दू टेक्स्ट “लश्कर-ए-इस्लाम” लिखा है. (एक खुहरो द्वारा शेयर किए गए लेटर और दूसरा AFP की तस्वीर में)

  1. 2016 में इसी तरह के लेटरहेड वाला एक पत्र वायरल हुआ था

2016 में लश्कर-ए-इस्लाम द्वारा जारी किए गए इसी तरह के एक पत्र को DNA ने पब्लिश किया था. इस पत्र के मुताबिक, आतंकी संगठन ने कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ने या मरने की धमकी दी थी. इसमें भी बाईं ओर जमात-उद-दावा का लोगो है और “लश्कर” को ग़लत तरीके से “लश्केर” लिखा है.

हालांकि, 2016 में वायरल हुए पत्र में पहली चीज़ जो फ़ेक लगती है, वो अधूरा अभिवादन है. इसमें लिखा है, “आ सलाम आलाई कुम – वा बरकत ए हो” और बीच में “वा रहमत उल्लाही” को अधूरा छोड़ दिया गया है. पंक्ति या तो सिर्फ “अस सलामू अलैकुम” (आपको शांति मिले) या पूरा वाक्य “अस सलामू अलैकुम वा रहमत उल्लाही वा बरकतुह” (आपको शांति और अल्लाह की दया और आशीर्वाद मिले) होता है.

7 अगस्त 2016 को हिंदुस्तान टाइम्स ने रिपोर्ट किया कि पत्र दक्षिण कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों के लिए ट्रांजिट आवास के पास मिला. हालांकि, पुलिस ने एक पोस्टर होने का भी दावा किया था. पुलवामा के SP रईस मोहम्मद भट ने कहा, “हमें लगता है कि ये उन बदमाशों का काम है जो अल्पसंख्यक समुदाय के बीच डर पैदा करना चाहते हैं.”

  1. पत्र में कुछ फ़ैक्चुअल गलतियां भी हैं

लेटर के एक हिस्से में लिखा है, “हमने 1990 में जिसे छोड़ा था उसे शुरू किया है. हमने काफ़िर निश्चल ज्वैलर्स और काफ़िर बिंदारू की हत्या के साथ इसे फिर से शुरू किया.”

पिछले साल जनवरी में 70 साल के सतपाल निश्चल को आतंकवादियों ने श्रीनगर में “कथित तौर पर नए अधिवास कानून के तहत उस प्रमाण पत्र होने की वजह से मार दिया था जिससे जम्मू-कश्मीर में 15 साल से ज़्यादा समय तक रहने वाले लोगों को अचल संपत्ति खरीदने के अधिकार की अनुमति मिलती है.” इस हमले की ज़िम्मेदारी रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी. निश्चल पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले थे.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, फ़ार्मेसी के मालिक 68 साल के माखन लाल बिंदरू अक्टूबर 2021 में जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों में मारे गए थे. हालांकि, पुलिस ने किसी विशिष्ट आतंकी ग्रुप की पहचान नहीं की थी, लेकिन TRAF ने माखन लाल बिंदरू को गोली मारने की ज़िम्मेदारी ली थी. बिंदरू एक कश्मीरी पंडित थे.

ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जिसमें ये बताया गया हो कि लश्कर-ए-इस्लाम ने पत्र में ज़िक्र किए गए किसी भी हमले की ज़िम्मेदारी ली थी.

कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर वायरल ये पत्र लश्कर-ए-इस्लाम द्वारा की गई कोई असली पत्र नहीं बल्कि संदेहपूर्ण है.

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