16 अप्रैल को कई सोशल मीडिया यूज़र्स (@ParwalPriyanka, @Sabhapa30724463, @Adodwaria, @PratapKerti) ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें पुलिस कुछ महिलाओं को ग़िरफ्तार करते हुए दिख रही है. ये दावा किया जा रहा है कि इन महिलाओं ने रामनवमी के दिन जुलूस पर ‘पथराव’ किया था.

फ़ेसबुक पेज ‘जय बांगर पेज‘ और ‘द ग्रेट लीडर मोदी‘ ने भी इसी तरह के दावे के साथ ये वीडियो शेयर किया. इसे 39 हज़ार से ज़्यादा व्यूज मिले हैं.

 

रामनवमीं की शोभायात्रा पर पत्थर रूपी पुष्प फेंकनें वाली अप्सराओं की विदाई धूमधाम से सरकारी गाड़ी से की जा रही हैं😁😁😁
#JayBangarBHILWARA

Posted by Jay Bangar page on Friday, 15 April 2022

फ़ैक्ट-चेक

वीडियो के एक फ़्रेम का रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को अलग-अलग पोस्ट मिले. इनके मुताबिक, वायरल हो रहा ये वीडियो 2020 का था. इंडिया ब्लूम्स न्यूज़ सर्विस की एक रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो यूपी के मुरादाबाद का है और इसे COVID-19 लॉकडाउन के दौरान लिया गया था.

वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में बुधवार को एक COVID ​​​​-19 पॉज़िटिव व्यक्ति की क्वारंटाइन फ़ैसिलिटी में मौत हो गई थी. इसके बाद डॉक्टर्स और चिकित्सा कर्मचारियों की एक टीम पॉज़िटिव व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों की जांच कर उन्हें क्वारंटीन करने उस एरिया का दौरा कर रहे थे. इस दौरान उन पर हमला किया गया.”

वायरल पार्ट 25 सेकेंड का है.

इस वीडियो में 47 सेकंड के पर PPE किट पहने एक मेडिकल प्रोफ़ेशनल ने इंडिया ब्लूम्स न्यूज़ सर्विस को बताया, “बहुत मारा है हम लोगों को… जान बचा के बागे है वहां से… एक दूसरा मेडिकल प्रोफ़ेशनल कहता है, “ऐसी नौकरी हमें नहीं करनी”. हमें कोई सुरक्षा नहीं दी गई… सिर्फ 4 पुलिसवाले खड़े थे वहां पे और वहां हज़ारों की संख्यां में पब्लिक थी…”

इंडिया टुडे और द हिंदू ने भी इस घटना की जानकारी दी थी. मुरादाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने मीडिया को बताया कि जब एक मेडिकल टीम मृतक के परिवार को क्वारंटीन के लिए ले जा रही थी. उसी समय करीब 150 लोगों की भीड़ ने एंबुलेंस पर हमला कर दिया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बयान जारी कर कहा कि ऐसे मामलों में उपद्रवियों के खिलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम और राष्ट्रीय आपदा अधिनियम, 2005 लागू किया जाएगा और सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई उनसे की जाएगी.

कुल मिलाकर, 2020 का एक वीडियो इस झूठे दावे के साथ शेयर किया गया कि ये हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद की गई गिरफ़्तारी का दृश्य है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.