किसान आंदोलन से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल कह रहे हैं कि मंदिर की वजह से मोदी का ग्राफ बहुत ऊंचा हो गया है, उसका नुकसान और उसे कैसे डाउन किया जा सकता है, मौका बहुत कम है और ग्राफ बहुत ऊंचा है और दिन बहुत कम है हमारे पास, थोड़े दिनों में ग्राफ को डाउन कर देंगे.

इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, राइट विंग इनफ़्लूएंसर्स और मीडिया चैनल्स ने इस किसान आंदोलन का मकसद सिर्फ मोदी सरकार की छवि धूमिल करना बताया.

न्यूज़18 चैनल पर रूबिका लियाकत ने यही वीडियो चलाते हुए कहा कि किसान आंदोलन की मंशा राजनीतिक है.

न्यूज़18 के एंकर अमीश देवगन ने वायरल वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि राम मंदिर के बाद मोदी का ग्राफ बढ़ गया है उसे कम करने के लिए ये किसान आंदोलन है.

इंडिया टीवी पर एंकर मीनाक्षी जोशी ने वायरल वीडियो चलाते हुए दावा किया कि किसान आंदोलन को नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कम करने के लिए शुरू किया गया है. इसके साथ ही मीनाक्षी ने दावा किया कि ये वीडियो किसान आंदोलन शुरू होने से कुछ दिन पहले का है.

ज़ी न्यूज़ की एंकर शिवांगी ठाकुर ने वायरल वीडियो चलाते हुए सवाल उठाया कि क्या किसानों का दिल्ली कूच को लेकर जारी प्रदर्शन की वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का बढ़ता ग्राफ है? बाद में इसी रिपोर्ट में एंकर ने कहा कि ज़ी न्यूज़ इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता.

टाइम्स नाऊ नवभारत के एंकर हिमांशु दीक्षित ने वायरल वीडियो चलाते हुए दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नुकसान करना और उनकी लोकप्रियता के ग्राफ़ को नीचे करना ही किसान आंदोलन का मकसद है. वहीं टाइम्स नाऊ नवभारत के नेशनल एडिटर अमित कुमार ने वायरल वीडियो के आधार पर कहा कि जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं उनका अजेंडा किसानों को लेकर नहीं है, असल में चुनाव से ठीक पहले उन्हें नरेंद्र मोदी का ग्राफ़ नीचे करना है जिससे दूसरी राजनीतिक पार्टियों को फायदा मिलेगा, ये आंदोलन उन्हीं को फायदा पहुंचाने के लिए है.

इंडिया टुडे पर एंकर नबीला जमाल ने वायरल वीडियो चलाते हुए कहा कि किसान नेता ने जो टिप्पणी की है, वह किसानों के वास्तविक एजेंडे के खिलाफ है. किसान एमएसपी कानून पर जमा हुए हैं और डल्लेवाल कह रहे हैं कि हमें मोदी के ग्राफ को कम करना चाहिए, वास्तव में इनका एजेंडा क्या है?

रिपब्लिक टीवी ने वायरल वीडियो चलाते हुए सवाल खड़ा किया कि क्या किसान सचमुच अपने हकों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं या उनकी मंशा कुछ और है?

ANI ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का एक बयान ट्वीट किया जिसमें वायरल वीडियो के आधार पर मुख्यमंत्री से रिएक्शन लिया गया. इस वीडियो में पहले रिपोर्टर सीएम को बताता है कि किसान नेता डल्लेवाल ने एक इन्टरव्यू के दौरान कहा कि जब से राम मंदिर का निर्माण हुआ है, मोदी जी का ग्राफ बहुत बढ़ गया है और अब उस ग्राफ को नीचे लाने का यही समय था इसलिए यह आंदोलन शुरू किया. और इसके बाद इसपर सीएम खट्टर का रिएक्शन मांगा गया.

अक्सर गलत जानकारी फैलाने वाले भारत सरकार के सीनियर एड्वाइज़र कंचन गुप्ता, चंडीगढ़ भाजपा समेत कई राइट-विंग इनफ़्लूएंसर अकाउंट्स ने ये वीडियो इसी दावे के साथ ट्वीट किया जिसमें अंशुल सक्सेना, रौशन सिन्हा (@MrSinha_), Pun Facts, इत्यादि ने भी शामिल है.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने वायरल वीडियो के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पंजाबी की-वर्ड्स के साथ फ़ेसबुक पर सर्च किया. इसी क्रम में हमें इस वीडियो का 26 मिनट 24 सेकेंड का पूरा हिस्सा ‘The Unmute’ नाम के फ़ेसबुक पेज पर मिला. इस वीडियो में 18 मिनट 40 सेकेंड पर वायरल वीडियो वाला हिस्सा चलता है. हमने पाया कि वायरल वीडियो एडिट किया गया था, इसी वीडियो के कुछ हिस्सों को काटकर उन्हें जोड़ा गया और इसे शेयर कर अलग रंग देने की कोशिश की गई है.

ਕਿਸਾਨ ਆਗੂ ਜਗਜੀਤ ਸਿੰਘ ਡੱਲੇਵਾਲ ਦਾ Unmute Special Interview

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ਅੱਧੀ ਰਾਤ ਨੂੰ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਨਾਲ ਫਿਰ ਹੋਈ ਗੱਲਬਾਤ!
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Posted by The Unmute on Tuesday, 13 February 2024

हमने पाया कि मूल वीडियो के कुछ हिस्सों को इस प्रकार काटा गया है जिससे ऐसा लगता है कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल किसान आंदोलन का मकसद प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को कम करने और उनके ग्राफ को नीचे करने का बता रहे हैं. जबकि असल में किसान नेता डल्लेवाल कह रहे थे कि “मंदिर को लेकर मोदी का ग्राफ बहुत ऊपर चढ़ गया है, कोई भी राजनीतिक व्यक्ति तब मांगें मानती है जब उन्हें लगता है कि इससे मेरा राजनीतिक नुकसान हो सकता है जिनका कोई नुकसान नहीं होता वो मांगों को तवज्जो नहीं देते. हमारा कहना है कि वो ग्राफ कैसे नीचे आ सकता है. ग्राफ बहुत ऊंचा है और हमारे पास बहुत कम दिन हैं. अगर इनका ग्राफ नीचे नहीं होगा, ये मांगें नहीं मानेंगे.” असल वीडियो में मौजूद इस पूरे संदर्भ के साथ छेड़छाड़ कर इसके कुछ हिस्सों को काटकर एक एडिटेड क्लिप बनाई गई और बिना संदर्भ के साथ सोशल मीडिया और टीवी चैनल्स पर चलाया गया. आगे, दी गई कंपेरिज़न में एडिटेड वीडियो और मूल वीडियो प्ले होता है. इससे साफ होगा कि मूल वीडियो के कुछ हिस्सों को काटकर बिना संदर्भ के शेयर किया गया और किसान नेता के बयान को अलग रंग देने की कोशिश की गई.

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी वायरल वीडियो के मामले में सफाई दी और कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और इसका वह मतलब बिल्कुल नहीं था जिस तरह पेश किया जा रहा है.

कुल मिलाकर, कई टीवी चैनल्स, पत्रकारों, राइट-विंग इनफ़्लूएंसर्स और भाजपा समेत भारत सरकार के सीनियर एड्वाइज़र ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का एडिटिड वीडियो बिना संदभ के शेयर किया और उसके साथ झूठा दावा किया.

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About the Author

Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).