साल 1964 में अमेरिकी टीवी होस्ट अर्नोल्ड माइकलिस ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का इंटरव्यू लिया था. इस इंटरव्यू की एक क्लिप सोशल मीडिया (फ़ेसबुक और ट्विटर) पर वायरल है. कैप्शन के मुताबिक, इस इंटरव्यू के दौरान नेहरू ने कहा था कि विभाजन का निर्णय उनका था.

ये दावा कुछ साल पहले भी शेयर किया गया था. 2019 में ट्विटर यूज़र @indiangujaati1 ने ये वीडियो ट्वीट किया था. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 500 से ज़्यादा बार रिट्वीट किया गया है. हाल ही में और भी कई यूज़र्स ने ये वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है.

इस वीडियो को कई हाई नेटवर्क फ़ेसबुक ग्रुप्स में पोस्ट किया गया है जिनमें भारत रक्षक संगठन [3 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स], कंगना रनौत ग्रुप [2 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स], मोदी लक्ष्य 2024 [लगभग 2 लाख फॉलोअर्स], सुदर्शन न्यूज़ [1 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स], और हिंदू देशभक्त [10 हज़ार से ज़्यादा फॉलोअर्स] शामिल हैं.

ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियल मोबाइल ऐप्लिकेशन पर इस दावे की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट आयी हैं. (iOS और एंड्रॉइड)

क्या है इस दावे का सच?

वायरल वीडियो, 45 मिनट के इंटरव्यू की एक क्लिप है. पूरा इंटरव्यू भारत सरकार के ‘प्रसार भारती आर्काइव्स’ के यूट्यूब चैनल पर मौजूद है. वीडियो के डिस्क्रिप्शन के अनुसार, 27 मई, 1964 को नेहरू की मौत से पहले ये उनका आखिरी इंटरव्यू है. वायरल वीडियो प्रसार भारती आर्काइव्स के वीडियो का हिस्सा है जिसे 14 मिनट 34 सेकेंड के बाद देखा जा सकता है.

वायरल वीडियो में 1 मिनट 6 सेकेंड पर नेहरू कहते हैं, “..आख़िरकार मैंने यह निर्णय लिया”…” जिसका मतलब ये नहीं है कि “विभाजन का निर्णय मैंने ही लिया था”, जैसा कि वायरल वीडियो के कैप्शन में बताया गया है. इससे भी ज़रूरी बात ये है कि ये नेहरू के बयान के एक छोटे से हिस्से से पूरी बात का संदर्भ पता नहीं चलता है.

पूरी बात समझने के लिए वो सवाल जानना चाहिए जो माइकलिस ने वायरल सेगमेंट से पहले पूछा था.

नीचे ‘प्रसार भारती आर्काइव्स’ पर मौजूद वीडियो के ज़रूरी हिस्से को कोट किया गया है.

14 मिनट 34 सेकेंड पर माइकलिस: “अब आप और मिस्टर गांधी और मिस्टर जिन्ना… आप सभी स्वतंत्रता और विभाजन से पहले ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल थे.”

14 मिनट 51 सेकेंड पर नेहरू: “मिस्टर जिन्ना आजादी की लड़ाई में बिल्कुल भी शामिल नहीं थे… दरअसल उन्होंने इसका विरोध किया था. मुझे लगता है, लगभग 1911 में मुस्लिम लीग की शुरुआत हुई थी… ये असल में अंग्रेजों ने शुरू किया था… उन्होंने इसे प्रोत्साहित किया ताकि अलग गुट बनाया जा सके… और वे कुछ हद तक सफल भी हुए. और आखिर में विभाजन हुआ”

15 मिनट 23 सेकेंड पर माइकलिस: “क्या आप और मिस्टर गांधी इसके पक्ष में थे?”

15 मिनट 27 सेकेंड पर नेहरू: “मिस्टर गांधी अंत तक इसके पक्ष में नहीं थे, बल्कि जब ये हुआ तब भी वो इसके पक्ष में नहीं थे. मैं भी इसके पक्ष में नहीं था. लेकिन आख़िरकार बहुत सारे और लोगों की तरह, मैंने तय किया …कि इस निरंतर परेशानी से विभाजन होना बेहतर है. मुस्लिम लीग के नेता बड़े ज़मीनदार थे… जिन्हें भूमि सुधार पसंद नहीं था. हम भूमि सुधार के लिए बहुत उत्सुक थे, जो हमने बाद में किया. और यही एक वज़ह थी कि हम विभाजन के लिए सहमत हुए क्योंकि हमने सोचा कि अगर वे हमारे साथ रहे तो संघर्ष जारी रहेगा. इसके अलावा वे हमारे मेज़र्स का विरोध करेंगे… हमारे कई मेज़र्स का. हमने कहा कि भारत का एक हिस्सा खत्म हो जाना बेहतर है… सुधार के रास्ते में आने वाले नेताओं के साथ बंधे रहने से बेहतर है कि हम हमारे सुधार के कार्यक्रम आदि के साथ आगे बढ़ें.”

नेहरू की इस प्रतिक्रिया के आधार पर ये साफ है कि उन्होंने ये नहीं कहा था कि “मैंने ही विभाजन का निर्णय लिया”. हालांकि, अविभाजित भारत के विभाजन की बारीकियों और नेहरू की भूमिका को बेहतर ढंग से समझने के लिए हमने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेंटर फ़ॉर हिस्टोरिकल स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर सुचेता महाजन से बात की. सुचेता महाजन, 2016 की किताब ‘इंडियाज़ स्ट्रगल फ़ॉर इंडिपेंडेंस’ की सह-लेखक भी हैं.

सुचेता महाजन ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “इसमें कोई शक नहीं है कि विभाजन ब्रिटिश सरकार द्वारा लिया गया एक निर्णय था. कोई भी भारतीय पार्टी, कांग्रेस या मुस्लिम लीग, इसे स्वीकार करने या न करने की स्थिति में नहीं थी. इसलिए नेहरू के ये कहने का कोई सवाल ही नहीं है कि “मैंने ही विभाजन का निर्णय लिया” क्योंकि तब ब्रिटिश सरकार सत्ता में थी. अखंड भारत या विभाजित भारत को सत्ता देने का निर्णय उनका ही था.”

उन्होंने बताया, “अप्रैल/मई 1947 के आसपास, भारत के आखिरी वायसराय लुइस माउंटबेटन ने ब्रिटिश सरकार के परामर्श से निर्णय लिया कि विभाजित भारत ही एकमात्र समाधान है. इन्होंने भारत और पाकिस्तान में ब्रिटिश भारत के विभाजन का निरिक्षण किया था. दो स्वतंत्र प्रदेशों के विभाजन से पहले, माउंटबेटन ने एक ऐसे विभाजन का प्रस्ताव रखा जहां प्रांत और रियासतें स्वतंत्र देश बन सकते थे. नेहरू ने एक पत्र में भारत को अलग करने के इस प्रयास का दृढ़ता से खंडन किया. इसके बाद, दो स्वतंत्र मॉडल के तहत विभाजन किया गया. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इसमें भारतीय पार्टियों का कोई हस्ताक्षर नहीं हैं, इससे पता चलता है कि ये इन पार्टियों के बीच एक समझौता भी नहीं है.”

इस तरह, पिछले कुछ सालों से एक वीडियो क्लिप इस ग़लत दावे के साथ शेयर की गई कि नेहरू ने एक इंटरव्यू में ये स्वीकार किया था कि विभाजन का निर्णय उन्हीं का था.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged:
About the Author

🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.