भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने अंग्रेज़ी के बड़े अक्षरों में ‘SANSKRIT'(संस्कृत) लिखकर 2 तस्वीरें ट्वीट कीं. ये देहरादून स्टेशन के साइनबोर्ड्स की तस्वीर थीं. पहली तस्वीर में दिख रहे बोर्ड पर शहर का नाम हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू भाषा में लिखा हुआ था. दूसरी तस्वीर में दिख रहे बोर्ड पर ठीक उर्दू की जगह पर संस्कृत में ‘देहरादूनम्’ लिखा हुआ था. स्टोरी लिखे जाने तक इस ट्वीट को 20 हज़ार से ज़्यादा रीट्वीट मिले और 95 हज़ार से ज़्यादा ट्विटर यूज़र्स ने इसे लाइक किया. इस ट्वीट का आर्काइव लिंक यहां मिलेगा.

पात्रा के ट्वीट पर कमेन्ट करने वाले लोग इस बात पर विश्वास करते दिख रहे हैं कि बोर्ड पर उर्दू की जगह संस्कृत में देहरादून हाल ही में लिखा गया है.

फ़ैक्ट चेक

यांडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें हिंदुस्तान टाइम्स की 18 फ़रवरी 2020 की एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में यही तस्वीर दिखाई देती है. तस्वीर के डिस्क्रिप्शन में लिखा हुआ है, “तीन महीने बाद (8 फ़रवरी 2020 को) दोबारा चालू होने के बाद देहरादून रेलवे स्टेशन का दृश्य जिसमें शहर का नाम संस्कृत में लिखा देखा जा सकता है.” इस तस्वीर के लिए फ़ोटोग्राफ़र प्रवीण दंद्रियल को आभार मिला है.

रिपोर्ट के मुताबिक़, “उत्तराखंड में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए रेलवे मिनिस्ट्री ने राज्य में स्टेशनों के नाम इस भाषा में लिखने का फ़ैसला लिया है. जिन साइनबोर्ड्स पर हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू में नाम लिखे हैं, वो अब हिंदी, उर्दू और संस्कृत में लिखे जायेंगे… पिछले हफ़्ते (फ़रवरी 2020 के पहले हफ़्ते में) जब 3 महीने बाद स्टेशन को जनता के लिए दोबारा खोला गया, देहरादून का नाम हिंदी और अंग्रेज़ी के साथ संस्कृत में लिखा गया.”

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है, “रेलवे अधिकारियों के मुताबिक़ ये फ़ैसला रेलवे के मानकों के अनुसार ही लिया गया है जो कहता है कि रेलवे स्टेशन के नाम हिंदी, अंग्रेज़ी और राज्य की दूसरी राजकीय भाषा में लिखा जाना चाहिए.”

2010 के जनवरी महीने में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने संस्कृत को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दिया था. हिंदी अब भी आधिकारिक भाषा है.

2020 की फ़रवरी में एक विवाद ने जन्म लिया जब साइनबोर्ड्स पर उर्दू की जगह संस्कृत को जगह दी गयी. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार मुरादाबाद रेलवे डिविज़न की सीनियर डिविज़नल कमर्शियल मैनेजर रेखा शर्मा ने लोकल मीडिया को बताया, “ये नाम स्टेशन का नवीकरण कर रही एजेंसी ने लिखा. उन्होंने ही संस्कृत में नाम वाले ये बोर्ड लगाए. जैसे मामला हमारे संज्ञान में आया, हमने ये बोर्ड हटवा दिया.” रेखा शर्मा गढ़वाल रीजन में आने वाले रेलवे स्टेशन मैनेज करती थीं.

रेखा शर्मा ने ये भी बताया, “राज्य सरकार ने अभी हमें स्टेशनों के नाम लिखने सम्बन्धी कोई निर्देश नहीं दिए हैं. इन निर्देशों के बाद ही हम रेलवे हेडक्वार्टर से स्टेशन के साइनबोर्ड्स पर चौथी भाषा को जोड़ने सम्बन्धी बात करेंगे.”

7 फ़रवरी को मुरादाबाद डिवीज़न रेलवे मैनेजर (DRM) ने इस पूरे मामले पर अपनी सफ़ाई दी. उनके लिखे लेटर के अनुसार, “भारतीय रेलवे ने न ही उर्दू भाषा को किसी भी स्टेशन से हटाया है और न ही ऐसा करने की फ़िलहाल कोई मंशा है. मौजूदा भाषाओं के साथ संस्कृत भाषा को जोड़ा जा सकता है लेकिन जहां उर्दू मौजूद है वहां से उसे हटाया नहीं जाएगा.”

हालांकि काठगोदाम रेलवे स्टेशन के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, “ऑफ़िशियल ऑर्डर तो नहीं आये हैं लेकिन स्टेशनों पर संस्कृत में नाम लिखे जाने की तैयारी शुरू की जा चुकी है.”

फ़रवरी में ही संस्कृत की जगह उर्दू लिखी गयी थी. आज तक ने 14 फ़रवरी को एक तस्वीर दिखाई थी जिसमें एक शख्स देहरादूनम् के ऊपर उर्दू में लिखे शहर के नाम की पट्टी चिपका रहा था. आज तक ने देहरादून के स्टेशन इंचार्ज गणेश चन्द्र ठाकुर से बात की जिन्होंने साफ़ किया कि रेलवे के मानकों के अनुसार बोर्ड पर मात्र 3 भाषाओं में नाम आ सकता है. उनके अनुसार उर्दू को हटाये जाने का कोई प्लान नहीं था.

आज तक ने स्टेशन से एक ग्राउंड रिपोर्ट दिखाई थी जिसमें संस्कृत में लिखे टेक्स्ट पर उर्दू में लिखा देहरादून देखा जा सकता था.

ऑल्ट न्यूज़ को देहरादून के लोकल्स की मदद से इसी बोर्ड की 13 जुलाई की तस्वीर मिली. इन तस्वीरों में भी बोर्ड पर ऊपर से चिपकी पट्टी साफ़ देखी जा सकती है.

हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर भी ऐसे ही संस्कृत में लिखे नाम के ऊपर उर्दू की पट्टी दिखी.

इस तरह से, भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने देहरादून स्टेशन के साइनबोर्ड की एक पुरानी तस्वीर शेयर की जिसमें उर्दू में लिखे शहर के नाम की जगह संस्कृत में नाम लिखा हुआ था. कुछ दिनों बाद ही इस बोर्ड को वापस पुराने रूप में ला दिया गया था लेकिन पात्रा ने इस जानकारी के बारे में कोई बात नहीं की. आज के वक़्त में इस बोर्ड पर उर्दू में टेक्स्ट लिखा हुआ है. हालांकि आने वाले समय में इस बोर्ड पर उर्दू की जगह संस्कृत में नाम आ सकता है क्यूंकि संस्कृत इस राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा है. संबित पात्रा की फैलाई गयी कई भ्रामक जानकारियों को एक साथ यहां पढ़ा जा सकता है.

संबित पात्रा ने पहले तो देहरादून वाले ट्वीट से लोगों को भ्रमित किया. फिर बाद में 14 जुलाई को ट्वीट करते हुए लिखा, “हंगामा क्यों है बरपा थोड़ी सी “SANSKRIT” जो लिख दी.”

हंगामा और बरपा दोनों ही फ़ारसी शब्द हैं. और इस मूल शेर को लिखने वाले उर्दू के नामी शायर अकबर इलाहाबादी हैं.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.