सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर हो रहा है जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि केरला में नकली काजू बनाकर बेचा जा रहा है. वीडियो में सफ़ेद शीट से काजू के शेप वाली सामग्री बनती दिख रही है.

ये वीडियो कुछ दिनों पहले अलग मेसेज के साथ शेयर हो रहा था. ट्विटर यूज़र @ProfMKay ने लिखा, “मेरे एक दोस्त ने ये वीडियो पोस्ट करने के लिए भेजा. अब हमारे पास एक और परेशानी आ गयी है. कृपया काजू खरीदने से पहले चेक करें. सीख: किसी चीज़ पर आसानी से भरोसा न करें.” ये वीडियो 3,000 से ज़्यादा बार देखा गया. (यहां देखें)

एक फे़सबुक यूज़र गुरविंदर सिंह सरपंच साब ने भी इस वीडियो को पोस्ट किया और लिखा, “कटनी में इमली के बीजों से बनाए जाते हैं नक़ली काजू और सभी होटल में यही चलते हैं खाने में । बहुत सस्ते में मिलते हैं होटल वालों को , भारी मात्रा में खपत है इन नक़ली काजू की ।सही दाम देकर सही माल खरीदे.” इसे 2,500 से ज्यादा बार देखा गया. (यहां देखें)

ऑल्ट न्यूज़ को इसके फ़ैक्ट चेक के लिए व्हाट्सऐप (+917600011160) और ऑफ़िशियल एंड्रॉइड ऐप पर कई रिक्वेस्ट भेजी गयीं.

फै़क्ट-चेक

हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया और ऐसे कई वीडियो मिले जिसमें काजू के आकार की कोई चीज़ बनाई जा रही है. एक यूज़र तुषार पंड्या ने भी ऐसा ही वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया है.

ऑल्ट न्यूज़ ने तुषार से फ़ोन पर बात की. मालूम पड़ा कि तुषार भारत में स्नैक्स बनाने वाली मशीनें बनाते हैं. मुंबई स्थित उनकी कंपनी के यूट्यूब चैनल पर ऐसे बहुत सारे वीडियो हैं जिनमें और भी अलग-अलग स्नैक्स बनते हुए देखे जा सकते हैं. पंड्या ने बताया, “मुझे पता है सोशल मीडिया पर एक भ्रामक वीडियो वायरल हो रहा है. कुछ दिनों में और भी कई लोगों ने मुझे कॉल किया है. यह दावा गलत है कि मशीन में काजू बनाया जा रहा है. वीडियो में मशीन काजू के आकार का बिस्किट्स बना रही है. इसे खाने के लिए तैयार होने से पहले भूना जाता है.”

@ProfMKay के ट्वीट के रिप्लाई में एक यूज़र ने कहा, “ये नकली काजू नहीं हैं. ये काजू के आकार वाले बिस्किट हैं. ये बड़ी सी आटे की शीट है जिसे मशीन काजू के आकार में काट रही है. लग रहा है कोई छोटा, क्षेत्रीय उद्योग है. आप इतनी आसानी से काजू का रंग, टेक्सचर और स्वाद नहीं ला सकते.”

यूट्यूब पर ऐसे भी वीडियो हैं जो काजू के आकार के स्नैक्स घर पर बनाना सिखा रहे हैं.

सोशल मीडिया पर यह दावा कि नकली काजू बनाया जा रहा है, बिल्कुल गलत है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.