योगी आदित्यनाथ की सेना (Yogi Adityanath ki Sena) नामक फेसबुक पेज ने एक तस्वीर पोस्ट की जो किसी हिंदी ई-पेपर के क्लिप से लिए गए लेख की तरह दिखती है। लेख का शीर्षक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बताते हुए एक कथन था- “कश्मीर पर भारत अपना हक छोड़ दे, कश्मीर के लोग आजादी चाहते हैं।” यह पोस्ट 5,800 से ज्यादा बार शेयर किया गया है।
सड़जी आये अपनी औकात पर .
Posted by योगी आदित्यनाथ की सेना on Tuesday, 18 September 2018
एक ट्विटर उपयोगकर्ता @RaviNEGI4BJP जो खुद को भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बताते हैं और रेल मंत्री पियुष गोयल के कार्यालय का ट्विटर हैंडल जिन्हें फॉलो करता है, ने जून 2018 में वही समाचार पत्र का क्लिप शेयर किया था। इसके साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा था – “…कंजरी अली का बस चले तो दिल्ली को भी बेच दे।”
प्रधानमंत्री बनने की सोच रखने वाला कंजरी अली का बस चले तो दिल्ली को भी बेच दी pic.twitter.com/wAxIJkm6Ei
— RaviNEGI4BJP (@ravinegi4bjp) June 23, 2018
पियुष गोयल के कार्यालय द्वारा फॉलो किए जाने वाले दूसरे ट्विटर हैंडल ने जून 2018 में वह समाचार पत्र क्लिप शेयर किया। कुछ अन्य व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं और फेसबुक पेजों/ग्रूपों ने इसे इस साल के शुरुआत में प्रसारित किया था।
2014 से प्रसारित फर्जी ई-पेपर क्लिप
गौर से देखने पर कुछ संकेत मिल जाते हैं जो इस फर्जी ई-पेपर क्लिप साबित करते हैं। पहले तो इसमें कोई तारीख नहीं है और दूसरे इसमें व्याकरण की कुछ गंभीर गड़बड़ियां हैं। पहले अनुच्छेद में, लेख सीएम केजरीवाल को “केजरी” कहकर संबोधित किया गया है जो मुख्यधारा के समाचार पत्र के लिए अस्वाभाविक है। बाद के अनुच्छेद में, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बयान को सीधे उद्धरण के रूप में नहीं लिखा गया है। इसे आगे पढ़ा जाए तो उसी अनादर की पहचान की जा सकती है। हालांकि, क्लिप की झूठी बात का सबसे महत्वपूर्ण संकेत यह तथ्य है कि यह केजरीवाल के बयान के बारे में कुछ भी नहीं कहता; केवल शीर्षक में इसका उल्लेख किया गया है।
ऑल्ट न्यूज़ ने नकली क्लिप की संभावित उत्पति ट्विटर पर पाई। 2014 में, ऋषि बागरी ने इसी तरह की क्लिप को बदले हुए शीर्षक के साथ पोस्ट किया था जिसमें केजरीवाल की तस्वीर के जगह पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की तस्वीर थी।
Arvind Kejriwal has got invite to speak on Kashmir issue from Pakistan PM Nawaz Sharif
Guess Why no invite 2 Modi ? pic.twitter.com/mUxdgoVEfG— Rishi Bagree 🇮🇳 (@rishibagree) February 7, 2014
दोनों क्लिपों को एकसाथ देखने पर, असमानता स्पष्ट हो जाती है। यह न केवल एक ही लेख है, बल्कि दाईं ओर का लेख – “पाकिस्तान में जलाए गए भारतीय ध्वज” – भी वही है।
चूँकि एक ही समाचार के दो क्लिप प्रसारित किए जा रहे हैं, तो दो संभावना है कि या तो यह क्लिप पूरी तरह से फोटोशॉप है या फिर असली न्यूज़ क्लिप को एक से ज्यादा बार बदला गया हो। ऑल्ट न्यूज़ ने यह पता लगाने के लिए कि यह यह फोटोशॉप है या नहीं, कुछ की वर्ड्स जैसे “कश्मीर पर बातचीत के लिए न्योता” लेकर गूगल पर खोज की तो हमें दैनिक जागरण का 5 फरवरी, 2014 का एक लेख मिला। यह लेख और वायरल क्लिप में काफी समानता है। इस लेख के तुरंत बाद 7 फरवरी, 2014 को ऋषि बागरी ने अलग शीर्षक वाले क्लिप के साथ ट्वीट किया।
जागरण की रिपोर्ट पढ़ने से पता चलता है कि इसके ऑनलाइन ई-पेपर संस्करण को फोटोशॉप कर के फेर-बदल किया गया है। दैनिक जागरण का लेख पूरा उस क्लिप से मेल खाता है बस कुछ शब्दों के साथ हेर-फेर की गई है। लेख में “भारत” के जगह “केजरी” कर दिया गया है। जब उस वायरल क्लिप और जागरण के लेख को एकसाथ रखा गया तो अंतर साफ़ देखा जा सकता है।
इस तरह हमने पाया कि ई-पेपर क्लिप नकली थी जिसे गलत सूचना का प्रचार करने के लिए बनाकर फैलाया गया था। 2016 में Mobilenews24.com जैसी वेबसाइटों ने भी इस पर लेख लिखे थे लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया था। यही नहीं एक बार फिर ऋषि बागरी ने 2016 में भी इसी पेपर के क्लिप को ट्वीट किया था।
Another GreatWork #सेक्युलरबाप #AAPtard @TheDeepUpreti कश्मीर पर भारत अपना हक़ छोड़ दे,कश्मीर पाक का:@ArvindKejriwal https://t.co/hvvITsZuXW
— Sunil Joshi(A Rebel) (@suniljoshi002) July 11, 2016
एक ट्विटर उपयोगकर्ता जिन्हें पियुष गोयल का कार्यालय और नकली समाचार वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज ट्विटर अकाउंट फॉलो करते हैं, ने पिछले साल इस समाचार क्लिप को शेयर किया था।
कश्मीर पर भारत अपना हक छोड दे कश्मीरी लोग आजादी चाहते है : केजरीवल
#ISIKejriNexus pic.twitter.com/8jSR4n1NW9— जय जगन्नाथ (@jagannathdas801) January 30, 2017
पहली बार नहीं
विघटनकारी सूचनाएं फैलाने के लिए सोशल मीडिया में प्रसारित, बनाए हुए ई-पेपर क्लिप की यह कोई पहली घटना नहीं थी। जुलाई 2017 में, भाजपा सांसद प्रताप सिन्हा ने टाइम्स ऑफ इंडिया के लेख को बदले हुए शीर्षक के साथ ट्वीट किया था। इससे पहले जून में, बनाए हुए समाचार पत्र क्लिप का उपयोग करके पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के नाम से नकली उद्धरण दिया गया था। उसी महीने, एक अन्य फर्जी ई-पेपर क्लिप को हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रोहित वेमुला के नाम से प्रसारित किया गया था।
इंटरनेट पर दैनिक समाचार के उपभोक्ताओं के रूप में, हम ई-पेपर क्लिप पर विश्वास करने के अभ्यस्त हैं क्योंकि उनमें वास्तविकता अंतर्निहित रहती है। फिर भी, सोशल मीडिया में चलने वाले, बनाए या हेर-फेर किए हुए समाचार क्लिप के उदाहरणों के मद्देनज़र, खुद से एक तथ्य-जांच जरूरी है। इस तरह की क्लिप की प्रामाणिकता देखने के लिए, क्लिप के लेख से कोई भी वाक्य लेकर उसे गूगल पर खोजा जा सकता है। ई-पेपर वाले अधिकांश मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट के ऑनलाइन संस्करण होते हैं और यदि खबर वास्तविक होगी तो ये दिखाई देंगे।
गलत जानकारी फैलाना आसान है, मगर एक त्वरित तथ्य-जांच से नकली समाचार के आगे संचलन पर रोक लगेगी।
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