एक भाषण का हिस्सा जो माना जाता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दिया है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रसारित किया जा रहा है। कथित रूप से ड्यूमा (रूसी संसद) में दिए गए इस भाषण के अनुसार, श्री पुतिन ने दृढ़ता से कहा था कि रूस में मुसलमानों को रूस की भाषा सीखनी चाहिए और इस देश के कानूनों का सम्मान करना चाहिए, यह कहते हुए कि रूसी समाज में शरिया कानून के लिए कोई जगह नहीं है और यह कि अल्पसंख्यकों को रूस की जरूरत है और कोई दूसरा रास्ता नहीं है। लेख में पुतिन को यह कहते हुए उद्धृत किया गया कि देश के कानूनों को रूसी राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिए और मुस्लिम अल्पसंख्यक रूसी नहीं हैं। इस भाषण के अनुसार, पुतिन ने कहा, “मुस्लिम रूस पर कब्जा नहीं कर पाएंगे।”- (अनुवाद) इस कथित भाषण का समापन करते हुए बताया गया कि इस भाषण के लिए ड्यूमा में राष्ट्रपति का उत्साहपूर्ण स्वागत किया गया। इस पूरे संदेश का हिंदी अनुवाद नीचे दिया गया है।

👌👌👌 *व्लादिमीर पुतिन का भाषण – अब तक का सबसे छोटा भाषण।* 😟😟😟😟 *आपको भी पढ़ना और सोचना होगा*

*रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ड्यूमा, (रूसी संसद), को संबोधित किया, और रूस में अल्पसंख्यकों के साथ तनाव के बारे में भाषण दिया:*

*”रूस में, रूसियों की तरह ही रहें। कोई भी अल्पसंख्यक, कहीं का भी, अगर वह रूस में रहना चाहता है, रूस में काम करने और खाने के लिए, उसे रूसी बोलना चाहिए, और रूसी कानूनों का सम्मान करना चाहिए। यदि वे शरिया कानून पसंद करते हैं, और मुस्लिमों का जीवन जीते हैं, तो हम उन्हें उन स्थानों पर जाने की सलाह देते हैं, जहां उनके जैसी राज्य के कानून की व्यवस्था हो।*

*”रूस को मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आवश्यकता नहीं है। अल्पसंख्यकों को रूस की आवश्यकता है, और हम उन्हें विशेष विशेषाधिकार प्रदान नहीं करेंगे, या उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए हमारे कानूनों में बदलाव की कोशिश नहीं करेंगे, भले ही वे कितना भी ‘भेदभाव’ के बारे में आवाज़ उठाए। हम अपनी रूसी संस्कृति का अनादर बर्दाश्त नहीं करेंगे। यदि हम एक राष्ट्र के रूप में जीवित रहना चाहते हैं, तो हम अमेरिका, इंग्लैंड, हॉलैंड और फ्रांस में हुए धमाकों से बेहतर तरीके से सीख सकते हैं। मुसलमान उन देशों पर हावी हो रहे हैं और वे रूस पर हावी नहीं हो सकते। रूसी रीति-रिवाज और परंपराए, सांस्कृतिक कमी या शरिया कानून और मुसलमानों के आदिम तरीकों के अनुकूल नहीं हैं।*

*”जब यह माननीय विधानसभा नए कानून बनाने के बारे में सोचता है, तो उसे रूसी राष्ट्रीय हित को पहले ध्यान में रखना चाहिए, यह देखते हुए कि मुस्लिम अल्पसंख्यक रूसी नहीं हैं।”*

*ड्यूमा में राजनेताओं ने पांच मिनट तक खड़े होकर पुतिन को अपने भाषण के लिए सम्मानित किया।*

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इस संदेश को कई व्यक्तिगत फेसबुक उपयोगकर्ताओं ने अपनी टाइमलाइन पर साझा किया है। कई देशों के लोगों ने इस वायरल संदेश को पोस्ट किया है।

इसे कई पेजों और समूहों में भी साझा किया गया है। इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह संदेश 2013 से ही सोशल मीडिया में साझा किया जा रहा है। ऐसे ही संदेश के एक अन्य संस्करण के अनुसार, पुतिन ने यह भाषण 4 अगस्त, 2013 को दिया था।

यह संदेश पिछले कुछ वर्षों से ट्विटर पर भी मुख्य रूप से साझा किया जा रहा है।

अमेरिकी लेखक जैनी जॉनसन ने हाल ही में शरिया कानून पर पुतिन के नाम से एक उद्धरण ट्वीट किया था।

ऐसे किसी भाषण का कोई रिकॉर्ड नहीं

ऑल्ट न्यूज़ ने अगस्त 2013 के समय (जैसा कि वायरल संदेश में दावा किया गया है) के लिए रूस सरकार की वेबसाइट के टेप और भाषण (transcripts and speeches) के हिस्से की खोज की, लेकिन व्लादिमीर पुतिन द्वारा दिए गए इस आशय का एक भी भाषण नहीं मिला। ऑल्ट न्यूज़ को अन्य समय सीमा का इस्तेमाल करके भी ऐसा कोई भाषण नहीं मिला। इसके अलावा, इस कथित ‘भाषण’ से संबंधित एक भी समाचार रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है और अगर उन्होंने ऐसा कुछ कहा होता, तो इस तरह के किसी विवादास्पद संबोधन को वैश्विक मीडिया द्वारा प्रकाशित ना करना असंभव है।

आप्रवासन पर पुतिन का दृष्टिकोण

प्रवासियों पर रूसी राष्ट्रपति का दृष्टिकोण किसी से छिपा नहीं है। हाल के जून 2019 में, जापान के ओसाका में समाप्त हुई जी-20 शिखर सम्मेलन में, पुतिन ने ‘पश्चिमी उदारवाद’ की आलोचना की थी, जिसमें कहा था कि प्रवासियों के जैसी नीतियां राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचा रही हैं।

2013 में व्लादिमीर पुतिन, रसिया टुडे में पत्रकारों के साथ एक चर्चा में दिखाई दिए थे, जिसमें उन्होंने रूसी अप्रवासन नीति के लिए रूसी संस्कृति और लोकाचार में विभिन्न नस्लों के प्रवासियों के एकीकरण पर अधिक ज़ोर देने की आवश्यकता के साथ-साथ रूसी परंपराओं और कानूनों के सम्मान की आवश्यकता पर बात की थी। पुतिन ने कहा था, “यूरोपीय संघ और अमेरिका ऐसे लोगों के साथ काम कर रहे हैं जो पूरी तरह से अलग देशों से आते हैं… वे [अप्रवासी] कई वर्षों तक नई भाषा सीखना शुरू नहीं करते हैं और इस कारण श्रम बाजार में आत्मसात नहीं हो सकते हैं … हमारे यहां [रूस में] भी इसी तरह की समस्या चल रही है – लेकिन इसे उतना ज्यादा महसूस नहीं किया गया है और यह उतना खतरनाक नहीं है जितना यूरोप या अमेरिका में है। जब हम आप्रवासन के बारे में बात करते हैं, तो हम मुख्य रूप से पूर्व सोवियत गणराज्यों के बारे में बात कर रहे हैं। भले ही युवा पीढ़ी आवश्यक रूप से अच्छी तरह से रूसी नहीं बोल सकती है, लेकिन परिवार में कोई व्यक्ति बोलता है… हमारे पास एक सामान्य ऐतिहासिक स्मृति भी है… विभिन्न जातीय समूहों के लिए [रूस में] इसे एकीकृत करना आसान है।” – (अनुवाद)

वह आगे कहते हैं, “…लेकिन फिर भी, अपने नए नागरिकों में, या जो रूस में आना चाहते हैं, उनमें, ज़िम्मेदारी की भावना का अहसास कराना चाहिए, हमें उनमें इस समझ का अहसास कराना होगा कि वे अब दूसरे देश में आए हैं, और उन्हें हमारी परंपराओं और हमारे कानूनों का सम्मान करना ही चाहिए, उन्हें हमारी संस्कृति और हमारे इतिहास का सम्मान करना ही चाहिए।” – (अनुवाद)

वह वीडियो नीचे पोस्ट किया गया है।

अमेरिकी तथ्य-जांच वेबसाइट स्नोप्स के अनुसार, जनवरी 2012 में व्लादिमीर पुतिन ने बोर्ड ऑफ फेडरल माइग्रेशन सर्विस की बैठक में अपनी परिचयात्मक टिप्पणी में, इसी तरह की भावनाओं का संकेत दिया था। यहां, वायरल संदेश के समान, उन्होंने रूसी सीखने और रूसी संस्कृति का सम्मान करने के लिए अप्रवासियों की आवश्यकता के बारे में बात की थी। इस भाषण का अनुवाद कहता है, “हमें अप्रवासियों के लिए, सामान्य रूप से हमारे समाज में एकीकृत होने, रूसी सीखने और निश्चित रूप से, हमारी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करने और रूसी कानून का पालन करने, की शर्तें बनानी चाहिए। इस संबंध में, मेरा मानना ​​है कि रूसी भाषा को अनिवार्य रूप से सीखने और परीक्षाओं के प्रशासन का निर्णय अच्छे से समझना है।” इसके पुरे हिस्से को आप यहां पर देख सकते है।

वायरल संदेश जैसे कुछ अंशों को पढ़ने के बावजूद, राष्ट्रपति मुसलमानों को देश से बाहर करने का ज़िक्र नहीं करते हैं। इस संबोधन में और रसिया टुडे के साथ अपने साक्षात्कार में, पुतिन ने अप्रवासी और जातीय अल्पसंख्यकों को रूसी समाज में एकीकृत करने के रुख को बनाए रखा है। वह मुस्लिम विरोधी या इस्लाम विरोधी टिप्पणी नहीं करते हैं।

जूलिया गिलार्ड के नाम से ऐसा ही संदेश

सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्मों पर ऐसा ही एक संदेश प्रसारित किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व ऑस्ट्रेलियाई पीएम जूलिया गिलार्ड ने मुसलमानों से देश छोड़ने के लिए कहा था अगर वे स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुकूल होने से इनकार करते हैं। जूलिया गिलार्ड के इस झूठे दावे पर ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहाँ पढ़ी जा सकती है।

व्लादिमीर पुतिन का रूसी अप्रवासन नीति पर एक मजबूत और स्पष्ट दृष्टिकोण है, जिसे उन्होंने अतीत में और हाल में भी, सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया है। तब भी, यह दोहराया जा सकता है कि रूस के राष्ट्रपति का रूस और उसके मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर उस तरह के भाषण का कोई रिकॉर्ड नहीं है, जैसा कि वायरल संदेश में कहा गया है। इसके अलावा, अब यह संदेश कई वर्षों से ऑनलाइन प्रसारित है और स्नोप्स और पॉलिटिफैक्ट द्वारा इसकी पहले भी तथ्य-जांच की गई है।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.