व्हाट्सऐप पर एक लंबा मेसेज वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया गया है कि जापान के नोबेल प्राइज़ विजेता प्रतिरक्षा वैज्ञानिक तासुकू होंजो ने कहा कि कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं है, बल्कि इसे चीन ने बनाया है. इस मेसेज के साथ होंजो के विकीपीडिया पेज का लिंक भी शेयर किया जा रहा है.

पूरा मेसेज इस प्रकार है –

“Physiology और Medicine में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले जापान के प्रोफ़ेसर, डॉक्टर तासुकू होंजो ने आज मीडिया के सामने यह बोल कर सनसनी फैला दी…कि कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं है, यदि ये प्राकृतिक होता तो पूरी दुनिया में ये यूं तबाही नहीं मचाता, क्योंकि विश्व के हर देश में अलग-अलग टेंपरेचर होता है.

यदि ये कोरोना वायरस प्राकृतिक होता तो चीन जैसे अन्य देश, जहां चीन जैसा ही टेंपरेचर है या वातावरण है, वहीं दबंगई मचाता. ये स्विट्रज़लैंड जैसे देश मैं फैल रहा है…ठीक वैसे ही यह रेगिस्तानी इलाकों में भी फैल रहा है, जबकि यह प्राकृतिक होता तो ठंडे स्थानों पर फैलता परंतु गर्म स्थानों पर जाकर दम तोड़ देता..

मैंने जीव जंतु और वायरस पर चालीस साल रिसर्च किया है, ये प्राकृतिक नहीं है…ये बनाया गया वायरस पूरी तरह से आर्टिफ़िशियल है. चीन की मुहं लेबोरेटरी में मैंने चार साल काम किया है, उस लेबोरेटरी के सारे स्टाफ़ से में पूरी तरह परिचित हूं, कोरोना हादसे के बाद से मैं सब को फोन लगा रहा हूं, लेकिन सभी मेंबर्स के फ़ोन तीन महीने से बन्द आ रहे हैं. और अब पता चल रहा है कि सारे लेब टेक्नीशियन की मौत हो चुकी है…!

मैं आज तक की अपनी सारी जानकारियों और रिसर्च के आधार पर यह शत-प्रतिशत दावे के साथ कह सकता हूं कि कोरोना प्राकृतिक नहीं है और ये चमगादड़ से नहीं फैला। यह चीन ने बनाया है…यदि मेरी बात जो मैं आज बोल रहा हूं वो आज या मेरे मरने के बाद भी झूठी हो तो, मेरा नोबेल पुरस्कार सरकार वापस ले सकती है।

परंतु चीन झूठ बोल रहा है और यह सच्चाई एक दिन सबके सामने आएगी…!!!

हमें हर समय अजीब-अजीब मेसेज मिलते रहते हैं, इसकी सत्यता का दावा तो नहीं करता लेकि इसकी कुछ बातों में दम तो है https://en.m.wikipedia.org/wiki/Tasuku_Honjo

इस मेसेज का फ़ैक्ट-चेक करने के लिए हमारे व्हॉट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) और ऑफ़िशियल एंड्रॉयड ऐप पर कई रिक्वेस्ट्स मिलीं.

फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस मेसेज को शेयर किया है.

दावा

  1. मेसेज में लिखे गए दावे तासुकू होंजो ने किए.
  2. होंजो ने चार साल वुहान की लैब में काम किया.
  3. कोरोना वायरस को चीन ने बनाया है. ये चमगादड़ों से नहीं फैला है.

नतीजा

ये तीनों दावे झूठे हैं.

फ़ैक्ट-चेक

1. तासुकू होंजो ने कभी ऐसा बयान नहीं दिया

गूगल पर कीवर्ड सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें होंजो ने कोरोना वायरस के इंसानों द्वारा बनाए जाने का दावा किया हो. अगर मेडिसिन में नोबेल जीतने वाला वैज्ञानिक ऐसा बयान देता, तो वो न्यूज़ चैनलों की सुर्खियों में होता. हालांकि, इस मामले में ऐसा कुछ नहीं था.

इसके अलावा, 10 अप्रैल को, निक्केई एशियन रिव्यू के साथ एक इंटरव्यू में, होंजो से पूछा गया – “चिकित्सा के क्षेत्र में हुआ विकास इस संक्रामक बीमारी को मिटाने में कामयाब क्यों नहीं हो रहा है?” उन्होंने जवाब दिया, “पिछले 20 सालों की तुलना में चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव आए हैं, लेकिन हर नए वायरस से लड़ाई के लिए नया रास्ता ढूंढ़ना होता है. फ़िजिक्स और केमिस्ट्री ने सिद्धांत स्थापित कर लिए हैं, लेकिन बायोलॉजी एक ऐसा विज्ञान है जिसमें लगातार विकास हो रहा है, और इसमें बहुत कुछ ऐसा है जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते. इसलिए एक नया वायरस पूरी दुनिया में तहलका मचा सकता है. बहुत से लोगों को आश्चर्य होगा कि ऐसा क्यों होता है, लेकिन यही सच्चाई है. संक्रमण से फैलने वाली बीमारियां कैंसर जैसे रोग से अलग होती हैं. संक्रामक बीमारियां बहुत तेज़ी से बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच सकती हैं.”

मीडिया के साथ हाल में हुई किसी बातचीत में होंजो ने ये नहीं कहा कि कोरोना वायरस इंसानों द्वारा बनाया गया है.

25 अप्रैल को ‘न्यूज़मीटर’ ने होंजो के ईमेल स्टेटमेंट के साथ एक फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट पब्लिश की. “जब न्यूज़मीटर ने प्रोफ़ेसर से संपर्क किया, उन्होंने सभी दावों को ख़ारिज़ कर दिया. एक ईमेल में, प्रोफ़ेसर के अंडर रिसर्च कर रहे एक पीएचडी छात्र ने उनकी तरफ़ से बयान दिया कि “प्रोफ़ेसर होंजो ने कभी ऐसा स्टेटमेंट नहीं दिया. इस पोस्ट का हर एक वाक्य सरासर झूठा है और इसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं है.”

2. तासुकू होंजो ने वुहान की लैब में कभी काम नहीं किया

क्योटो यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज़ (KUIAS) की वेबसाइट के अनुसार, होंजो यूनिवर्सिटी में डिप्टी डायरेक्टर-जनरल के पद पर काम कर रहे हैं. नोबेल प्राइज़ की वेबसाइट के अनुसार, 2018 में होंजो और जेम्स एलिसन को निगेटिव इम्यून रेगुलेशन के अवरोध के जरिए कैंसर का इलाज खोजने के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

KUIAS की वेबसाइट पर 1966 से होंजो की जीवन-यात्रा की जानकारी मौजूद है. इसमें कहीं नहीं लिखा कि उन्होंने वुहान में चार साल काम किया.

25 अप्रैल को, ‘न्यूज़मीटर’ को दिए ईमेल स्टेटमेंट में प्रोफ़ेसर होंजो ने साफ़ किया कि उन्होंने कभी वुहान की लैब में काम नहीं किया. स्टेटमेंट में लिखा है, “उन्होंने वहां कभी काम नहीं किया (वायरल मेसेज में दावा है कि होंजो ने चीनी लैब के अपने साथियों को कॉल किया लेकिन उनके फ़ोन बंद थे). होंजो वायरस की शुरुआत और उसके कार्यों और अन्य संबंधित विषयों पर काम नहीं करते. मेसेज में लिखी एक-एक बात मनगढ़ंत है.”

3. दुनियाभर के वैज्ञानिक इस तथ्य पर सहमत हैं कि कोविड-19 इंसानों द्वारा नहीं बनाया गया

‘द लेंसेट’ में पब्लिश हुए पब्लिक हेल्थ साइंटिस्ट्स के स्टेटमेंट के अनुसार, “हम उन सभी साज़िश वाली थ्योरीज़ को खारिज करते हैं जिसमें ये कहा जा रहा है कि COVID-19 प्राकृतिक नहीं है. दुनिया के अलग-अलग देशों के वैज्ञानिकों ने संक्रमण फैलाने वाले कारक, सीवियर एक्यूट रिस्पायरेट्री सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (SARS-CoV-2) के जीनोम्स का अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट्सं पब्लिश की है. इस अध्ययन से स्पष्ट है कि कोरोना वायरस वन्यजीव में पैदा हुआ और भी कई रोगजनकों का पता चला है.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि चमगादड़ नोवेल कोरोना वायरस के सबसे मुफ़ीद केंद्र हो सकते हैं और अवैध तरीके से तस्करी किए जाने वाले पेंगुलिन इंटरमीडियरी होस्ट हो सकते हैं. हालांकि, वर्ल्ड इकॉनमिक फ़ोरम द्वारा जारी किए गए अपडेट के अनुसार, “शुरुआती दौर में, वैज्ञानिकों ने भरोसा किया था कि ये वायरस चमगादड़ों के बाद पेंगुलिन में पनपा. हालांकि, जीनोमिक तुलना बताती है कि SARS-CoV-2 दो अलग-अलग वायरसों का पुनर्मिश्रण है. इसका मतलब हुआ कि इस वायरस के असली सोर्स का अभी तक सटीक उत्तर नहीं मिला है.”

ऑल्ट न्यूज़ ने पिछले महीने – 14 मार्च और 28 मार्च – को दो रिपोर्ट्स के ज़रिए इस दावे का फ़ैक्ट-चेक किया था.

निष्कर्ष

इसलिए, इस वायरल मेसेज में किए गए दावे झूठे हैं. नोबेल विजेता वैज्ञानिक तासुकू होंजो ने कभी नहीं कहा कि कोरोना वायरस चीन की लैब में बनाया गया. इसके अलावा, इस दावे को सच मानने के लिए कोई सबूत नहीं है कि नोवेल कोरोना वायरस इंसानों के द्वारा बनाया गया है.

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About the Author

🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.