“सुना है कि ब्रह्मांड के इकलौते ईमानदार पत्रकार रविश कुमार की बहन भ्रष्टाचार मामले में नौकरी से सस्पेंड हो गई है। बेचारे का भाई पहले ही सेक्स रैकेट में आरोपी है।”
यह वह संदेश है जिसे फेसबुक पेज इंडिया 272+ जो बीजेपी के 2014 के चुनाव अभियान का हिस्सा था, द्वारा पोस्ट किया गया है। 20 सितंबर को इसे पोस्ट किए जाने के बाद 14,000 से अधिक बार शेयर और 8,400 से अधिक बार ‘लाइक’ किया गया है।
ब्रह्मांड के इकलौते ईमानदार पत्रकार
Posted by India272+ on Thursday, 20 September 2018
कई फेसबुक यूजर्स ने भी वही दावा शेयर किया है।
2017 में ही खारिज
ऑल्ट न्यूज ने पिछले साल अप्रैल में ही रवीश कुमार की बहन के भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित होने के बारे में किए गए दावे को खारिज कर दिया था। तब न्यूजलूज (Newsloose), ट्रोलइंडियनपॉलिटिक्स (TrollIindianpolitics) और दैनिक भारत जैसे नकली समाचार वेबसाइटों ने यह झूठी खबर प्रसारित किए थे।
नीता पांडे, जिसके रवीश कुमार की बहन होने और भ्रष्टाचार के लिए निलंबित किए जाने का दावा किया गया था, उनके भाई मधुकर पांडे ने ऑल्ट न्यूज़ के साथ बातचीत में कहा कि इस तस्वीर में दिखलाई गई महिला उनकी बड़ी बहन हैं और किसी भी तरह से रवीश कुमार से संबंधित नहीं हैं। मधुकर पांडे ने इसे अपने फेसबुक अकाउंट पर भी स्पष्ट किया था।
सोशल मीडिया पर अक्सर गलत जानकारी फ़ैलाने वाले प्रशांत पटेल उमराव ने भी उसी दावे को ट्वीट किया था, जिसे उन्होंने अभी तक नहीं हटाया है।
Nita Kumari Pandey, Sister of Ravish Kumar who was working as District Program Officer in Muzaffarpur, is suspended on Corruption charges.
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) April 1, 2017
रवीश कुमार के भाई को अंतरिम जमानत
रवीश कुमार के भाई के सेक्स रैकेट में शामिल होने का आरोप लगाते हुए यह पेज संभवतः ब्रजेश कुमार के खिलाफ पंजीकृत यौन अपराध का जिक्र कर रहा है। बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा 30 अक्टूबर, 2017 को प्रकाशित एक लेख में बताया गया था, “दिसंबर 2016 को कथित पीड़िता ने उत्पीड़न, आपराधिक धमकी और आईपीसी, एससी/एसटी अधिनियम और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में जांच के दौरान ब्रजेश कुमार का नाम शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए बयान से आया।” सुप्रीम कोर्ट ने रवीश कुमार के भाई ब्रजेश कुमार को इस आधार पर अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी कि एफआईआर में उनके नाम का उल्लेख नहीं किया गया था। इसके अलावा, जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की पीठ ने कहा था कि अभियुक्त के खिलाफ अग्रिम जमानत की राहत देने से उसे अयोग्य घोषित करने के लिए सबूत की कमी थी। फ़िलहाल मामला कोर्ट के विचाराधीन है।
रवीश कुमार को नियमित रूप से निशाना बनाया जाता रहा है, जो सोशल मीडिया में उनके विरुद्ध झूठे बयान फैलाते रहते हैं। सोशल मीडिया के दक्षिणपंथी यूजर्स रवीश कुमार को बदनाम करने के लिए ओवरटाइम काम करते है। अक्सर एक ही झूठे दावे को थोड़े-थोड़े समय पर पोस्ट करते रहते है, जिसे बाद में हजारों सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं द्वारा शेयर किया जाता है। इन सबके विरुद्ध स्पष्टीकरण के बावजूद, यह गतिविधि बिना रुके जारी है।
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