बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और BJP सांसद सुशील कुमार मोदी ने 3 मार्च को राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कई ट्वीट्स किए. इनमें से एक ट्वीट में उन्होंने राहुल गांधी से सवाल करते हुए लिखा कि भारत के पहले पांच शिक्षा मंत्री एक ही समुदाय से क्यूं बनाये गए? उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि क्या भारत का विकृत इतिहास पढ़ाये जाने और राम का अस्तित्व नकारने के लिए कांग्रेस कभी माफ़ी मांगेगी? (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

इस ट्वीट के पीछे उनका कहना था कि देश के पहले पांच शिक्षा मंत्री मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते थे इसीलिए उन्होंने इतिहास के साथ छेड़छाड़ की और राम के अस्तित्व को नकारा.

इस ट्वीट को एक अख़बार ने ख़बर बनाकर छाप दिया. इसका स्क्रीनशॉट सुशील कुमार मोदी ने 4 मार्च को ट्वीट किया.

फ़ैक्ट-चेक

सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट करने से पहले अगर एक बार गूगल सर्च कर लिया होता तो ये ग़लत दावा नहीं करते. भारत के पहले पांच शिक्षा मंत्रियों के नाम इस तरह हैं.

1. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
2. कालू लाल श्रीमाली
3. हुमायूं कबीर
4. मोहम्मद करीम चांगला
5. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद

इनमें कालू लाल श्रीमाली दो बार 1958 और 1962 में शिक्षा मंत्री के पद पर थे. और उनके बाद हुमायूं कबीर सिर्फ 3 महीने के लिए ही शिक्षा मंत्री बने थे. पांचवे शिक्षा मंत्री फ़ख़रुद्दीन अली अहमद भी सिर्फ 4 महीने के लिए पद पर थे.

यानी, सुशील कुमार मोदी ने कांग्रेस पर निशाना बनाते हुए ये कह दिया कि देश के पहले पांच शिक्षा मंत्री मुस्लिम समुदाय से थे. जबकि देश के दूसरे शिक्षा मंत्री कालू लाल श्रीमाली हिन्दू धर्म से थे और दो बार शिक्षा मंत्री के पद पर थे. उन्होंने ये भी जताने की कोशिश की कि एक ही धर्म से ताल्लुक रखने वाले मिनिस्टर्स ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ की. ये ग़लत दावा अक्सर सोशल मीडिया पर किया जाता है. एक तस्वीर हर कुछ दिन बाद वायरल होती है और ग़लत दावा किया जाता है कि कुछ मुस्लिम छात्र हिन्दू धर्मग्रंथों में छेड़छाड़ कर रहे हैं.


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Priyanka Jha specialises in monitoring and researching mis/disinformation at Alt News. She also manages the Alt News Hindi portal.