विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रावास में फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव के बाद राष्ट्रीय राजधानी में जेएनयू के विद्यार्थियों का विरोध प्रदर्शन ज़ोरो से चल रहा है। जैसा कि हर महत्वपूर्ण समाचार के विकसित होने के साथ होता है, यह मुद्दा भी सोशल मीडिया में गलत सूचनाएं फ़ैलाने का कारण बन गया है। पिछले कुछ दिनों में इन विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में पुरानी और/या असंबंधित तस्वीरें फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर प्रसारित की गई हैं। अधिकांश मामलों में, जेएनयू के छात्र इन गलत सूचनाओं के निशाने पर रहे हैं।

1. JNU विरोध-प्रदर्शन को बदनाम करने के लिए इंटरनेट से उठाई गई लड़कियों की पुरानी तस्वीरें

एक हाथ में शराब की बोतल और दूसरे हाथ में सिगरेट लिए एक युवती की तस्वीर इस दावे के साथ साझा की गई है कि वह जेएनयू की छात्रा है।

दूसरी लड़की की एक अन्य तस्वीर जिसने अपने बाल कंडोम से बांध रखे हैं, उसे भी जेएनयू की प्रदर्शनकारी छात्रा के रूप में साझा किया गया है। इस तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है, “जेएनयू की गिरावट को इससे बेहतर नहीं बताया जा सकता – बालों को बांधने के लिए कंडोम और नग्न विरोध-प्रदर्शन”। – (अनुवाद)

ऑल्ट न्यूज़ ने दोनों तस्वीरों की रिवर्स-सर्च करने पर पाया कि उनका जेएनयू के प्रदर्शनकारियों से कोई संबंध नहीं है। शराब की बोतल वाली महिला की तस्वीर अगस्त 2016 के एक ब्लॉग में साझा की गई है। जहां तक कंडोम वाली तस्वीर की बात है, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने इसे दिसंबर 2017 में ट्वीट किया था।

2. CPI नेता एनी राजा की तस्वीर, पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए JNU छात्रा के रूप में साझा

एक बुज़ुर्ग महिला की तस्वीर फेसबुक और ट्विटर पर व्यापक रूप से इस दावे से साझा की गई कि वह जेएनयू की छात्र हैं। इसके साथ के साझा किये गए संदेश का लहज़ा व्यंग्यात्मक था।

हमने जांच में पाया कि तस्वीर में दिख रही महिला जेएनयू की छात्रा नहीं, बल्कि सीपीआई नेता एनी राजा हैं। एनी राजा की ये तस्वीर तब ली गई थी जब वह और उनके जैसी अन्य महिलाऐं पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोपों से क्लीनचीट देने को लेकर मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।

3. 23-वर्षीय छात्र को 45-वर्षीय कांग्रेस नेता और JNU छात्र अब्दुल रज़ा बताया गया

एक अन्य उदाहरण में, प्रदर्शनकारी छात्रों को निशाना बनाते हुए एक तस्वीर सोशल मीडिया में साझा की गई। एक छात्र की तस्वीर इस दावे के साथ प्रसारित की गई कि वह 45-वर्षीय कांग्रेस नेता अब्दुल रज़ा है, जो अभी भी विश्वविद्यालय के छात्र हैं। यह तस्वीर इस संदेश के साथ साझा की गई -“ये JNU का छात्र निकला 45 वर्ष का जानते हैं कौन है अब्दुल रजा कांग्रेस का मण्डल अध्यक्ष कुछ समझे” और तस्वीर के साथ हैशटैग #ShutDownJNU का भी इस्तेमाल किया गया था।

सोशल मीडिया का दावा, एक बार फिर झूठा निकला। तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति जेएनयू का 23-वर्षीय छात्र शुभम बोकडे है, जो भाषाविज्ञान में एमए की पढ़ाई कर रहा है। ऑल्ट न्यूज़ से हुई बातचीत में बोकडे ने कहा, “सबसे पहले तो यह कि प्रसारित की गई पोस्ट फ़र्ज़ी है। मुझे लगता है कि प्रसारित किया गया दावा भी समस्याओं से भरपूर है। यह स्पष्ट रूप से इस्लामोफोबिक है।दूसरी बात, मान लीजिए कि जैसा कि फर्जी समाचार का दावा है, अगर मैं 45-वर्षीय अब्दुल रज़ा हूं, तो सवाल है कि क्या एक 45-वर्षीय व्यक्ति का सस्ती शिक्षा प्राप्त करने की कोशिश करना गलत है। शिक्षा का विचार, विश्वविद्यालय के स्थानों को विशिष्ट बनाने में नहीं, बल्कि अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का होता है।” (अनुवाद)

4. मुहर्रम मातम में घायल महिला की तस्वीर, JNU विरोध-प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में साझा

एक युवती के सिर से खून बहते हुए दिख रही तस्वीर के साथ सरकार को निशाना बनाने वाले एक दावे को सोशल मीडिया में प्रसारित किया गया। राष्ट्रीय राजधानी में छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी, जिसमें 15 छात्र घायल हुए थे। इस तस्वी को इसी झड़प के संदर्भ से साझा किया गया था।

उपरोक्त तस्वीर भारत की नहीं है। शिया न्यूज़ वेबसाइट JafariyaNews.com द्वारा फरवरी 2005 में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, ये तस्वीरें मुहर्रम के दसवें दिन यानि कि आशूरा दिन को दर्शाती हैं। इसलिए, यह कहना कि यह तस्वीर फीस वृद्धि पर छात्रों के हाल के विरोध प्रदर्शन के दौरान ली गई थी, झूठा है।

5. JNU के 30-वर्षीय छात्र की तस्वीर 47-वर्षीय छात्र मोइनुद्दीन के रूप में वायरल

ऐसे ही एक अन्य उदाहरण में, एक तस्वीर जेएनयू के 47-वर्षीय छात्र मोइनुद्दीन की कहानी के साथ फैलाई गई। सोशल मीडिया के दावे के अनुसार, मोइनुद्दीन ने तीस साल पहले यानी 1989 में विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। तस्वीर के साथ साझा संदेश इस प्रकार है- “यह गंजा ऐसा लगता है कि वह काफी समय से वहां पर ही है… ₹10 में कमरा, मुफ्त भोजन, उदार छात्रवृत्ति, कंडोम वेंडिंग मशीन .. एक ‘क्रांतिकारी’ और क्या चाहता है?” (अनुवादित)

यह दावा झूठा है। तस्वीर में दिख रहा शख्स पंकज मिश्रा है, जो वास्तव में जेएनयू के छात्र हैं, लेकिन उनकी उम्र 47 साल नहीं हैं, जैसा कि दावा किया गया है। मिश्रा 30 वर्ष के हैं और विश्वविद्यालय में एमफिल के छात्र हैं।

6. हैदराबाद में गिरफ्तार महिला की पुरानी तस्वीर, JNU छात्रा के रूप में साझा

“जिस उम्र में लोग बृद्धा पेंशन लेते है उस उम्र में ये आँटी कौन सा ज्ञान ले रही है ,😂😂😂#JNU” यह ट्वीट, एक उपयोगकर्ता ने एक महिला की तस्वीर के साथ किया था, जिसे पुलिस बलपूर्वक ले जा रही है। यही तस्वीर एक अन्य अकाउंट से इस संदेश के साथ पोस्ट की गई, “ई कवन पढ़ाई पढ़े ली JNU में ..!😊”। दोनों ट्वीट को व्यापक रूप से रीट्वीट किया गया।

इस तस्वीर की गूगल रिवर्स इमेज सर्च से पता चला कि यह JNU छात्रों के विरोध-प्रदर्शन से संबंधित नहीं है। आउटलुक द्वारा प्रकाशित इस तस्वीर का कैप्शन है, “हैदराबाद में पुलिस ने एक महिला को गिरफ्तार किया जो श्रम आयुक्त कार्यालय में न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रही थी” (अनुवाद)। इस मीडिया संगठन के अनुसार, 19 सितंबर, 2017 की यह तस्वीर पीटीआई द्वारा ली गई थी।

7. निर्भया मामले में विरोध-प्रदर्शन कर रही लड़की की पुरानी तस्वीर को JNU छात्रों पर दबंगई बताया

एक युवती पर लाठी से हमला करते पुलिसकर्मी की तस्वीर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने व्यापक रूप से साझा की, जिन्होंने विरोध-प्रदर्शन कर रहे जेएनयू छात्रों पर यह कहते हुए कटाक्ष किया, “ये पड़ा धोनी का 6 और गेंद स्टेडियम से बाहर”। तस्वीर को फेसबुक और ट्विटर दोनों पर पोस्ट किया गया।

विचाराधीन तस्वीर 2012 में निर्भया के निर्मम बलात्कार और हत्या को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान ली गई थी।

8. फीस वृद्धि का विरोध करती 23 वर्षीय छात्रा को 43-वर्षीया छात्रा बताया

ज़ी न्यूज़ के प्रसारण का एक स्क्रीनग्रैब, जिसमें एक महिला को भीड़ के बीच खड़े देखा जा सकता है, सोशल मीडिया में साझा किया गया। कनक मिश्रा ने तस्वीर को इस दावे के साथ पोस्ट किया कि यह महिला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की 43-वर्षीया छात्रा हैं, जिनकी बेटी भी उसी संस्थान में पढ़ रही है।

मोहर्तमा JNU की 43 साल की छात्रा है, और कमाल की
बात उनकी बेटी मोना भी 12 वी में JNU में ही पड़ती है🙄🙄🙄 #muftkhori_Zindabad 😃😃

Posted by कनक मिश्र on Sunday, 17 November 2019

यह भी दावा झूठा है। यह छात्रा विश्वविद्यालय की 23-वर्षीया छात्रा शांभवी सिद्धि है, जो फ्रेंच साहित्य में मास्टर्स कर रही है।

9. दिल्ली के एक PG कमरें की तस्वीर को JNU छात्रावास का कमरा बताया गया

दो सिंगल बेड वाले एक रूम की तस्वीर सोशल मीडिया में इस दावे से वायरल है कि यह दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्रावास का कमरा है। फेसबुक पेज ‘I Support PM’ ने इस तस्वीर को पोस्ट किया है। तस्वीर में अंकित संदेश के अनुसार, “आज 10Rs.में चाय समोसा नहीं मिलता और JNU के इन मुफ्तखोटों को दिल्ली जैसे शहर में 10Rs.में कमरा मिला हुआ है वो भी हमारे टेक्स के पैसों से !!!”

यह दावा भी झूठा निकला, इस तस्वीर को यांडेक्स पर रिवर्स सर्च करने से हमें इस तस्वीर को शामिल करने वाली एक वेबसाइट मिली, जिसमें इसी रूम की दूसरे एंगल से ली गई एक तस्वीर प्रकाशित की गई थी, जिसके विवरण में लिखा है –“स्टूडेंट्स इन हाउसिंग”, जो दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्रों में PG सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। इस समान तस्वीर को 16 मई, 2018 को पोस्ट किया गया था।

 

10. RSS के खिलाफ 2016 में छात्रों के प्रदर्शन को हालिया JNU प्रदर्शन बताया

हाथ में आरएसएस विरोधी नारो वाले बोर्ड पकड़े एक महिला की तस्वीर इंडिया विथ आरएसएस ने पोस्ट किया है। ट्वीट में लिखा गया है कि, “फीस बढ़ोतरी और आरएसएस के बीच क्या संबंध है?” किसी एक विचारधारा के तहत राजनितिक रूप से प्रेरित अभियान।” -(अनुवाद) कई यूज़र्स ने इसे पोस्ट करते हुए लिखा है, “ये प्रोटेस्ट तो फीस बढ़ोतरी के विरोध में था, तो फिर ये RSS की तख्ती क्यों…?

 

13

यह तस्वीर 2016 की है, ऑल्ट न्यूज़ को 2 फरवरी, 2016 को प्रकाशित कैच न्यूज़ का एक लेख मिला। लेख के शीर्षक के अनुसार, “#RohithVemula: पुलिस द्वारा की गई भयावह हमले की महिला चश्मदीद गवाह।” (अनुवाद) 30 जनवरी को हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के दिवंगत छात्र रोहित वेमुला की 27वे जन्मदिन पर विरोध प्रदर्शन हुआ था। यह विरोध प्रदर्शन महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन मनाया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ छात्र आरएसएस को इन दोनों की हत्या का आरोपी मान रहे थे।

JNU छात्रों के आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया में गलत सूचनाएं काफी व्यापक रूप से जारी की गई हैं। इसका तरीका सरल है- इंटरनेट से, छात्रों के व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्रोफाइल से, या समाचार संगठनों की न्यूज़-फीड से कोई भी तस्वीर उठाना और उन्हें नए व झूठे संदर्भों के साथ साझा कर देना। जैसा कि उल्लेख किया गया है, अधिकांश मामलों में विश्वविद्यालय के छात्रों को निशाना बनाया गया है।

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.