ऑल्ट न्यूज़ ने एक लेख प्रकाशित की थी जिसमें दिखाया गया था कि कैसे सोशल मीडिया पर ‘हिंदुत्व वार्ता’ नामक एक पेज 100 से अधिक अंतर-जातीय वैवाहिक जोड़े की एक सूची बनाकर टारगेट कर रहा है। इस पेज ने खुले रूप से सूची में नामित इन प्रोफाइल के फेसबुक लिंक साझा कर हिंदुओं से इन मुस्लिम लड़कों को ‘खोजने और उनका शिकार करने’ को कहा था।

hindutvavaarta

ऑल्ट न्यूज़ ने इस भयानक अपराधी की पहचान की है। ‘हिंदुत्व वार्ता‘ नाम से फेसबुक पेज ने सोशल मीडिया पर लोगों से हिंदू महिलाओं के साथ संबंध रखने वाले मुसलमानों को खोजने और उनका शिकार करने के लिए आग्रह किया था। सतीश मेलावरापू नामक एक व्यक्ति ने इस पेज के एडमिन होने की बात जाहिर की।

मेलावरापू सोशल मीडिया पर खुले तौर पर एक विशेष समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध धमकियों को पोस्ट करते है और इस तरह हिंसा को उकसाने की भरपूर कोशिश करते रहते हैं। इनकी इस प्रवृति का अनुमान इन्ही के एक ट्वीट से लगाया जा सकता है कि वह खुलेआम नथुराम गोडसे को श्रद्धांजलि देते है और दावा करते हैं कि गोडसे ने देश को बचाया। निम्नलिखित गोडसे की तस्वीर के साथ इन्होंने ट्वीट किया है “रघुपति राघव राजा राम, देश बचा गए नाथूराम”

मेलावरापू के कई ट्वीट में जातीय समुदायों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ जातिवध की मांग करते हुए देखा जा सकता है।

निम्नलिखित ट्वीट में, इन्होंने सिख समुदाय (खालसा) के सदस्यों से इस्लाम को कुचलने का आग्रह किया है।

उनकी कट्टरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अंकित सक्सेना को भी नहीं बख्शा। अंकित सक्सेना जिस मुस्लिम महिला से प्यार करता था उसी के परिवार वाले अंकित के मौत के जिम्म्मेदार हैं। अंकित की हत्या को न्यायसंगत ठहराते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि यह विकृत भारतीय संविधान है जो उसकी (अंकित) मृत्यु का कारण है, नाकि इस्लाम।

अंतर-धार्मिक सूची के बारे में ऑल्ट न्यूज़ के लेख के बाद इनका फेसबुक पेज ‘हिंदुत्व वार्ता’ को निलंबित कर दिया गया। हालांकि, मेलावरापू का फेसबुक पेज बंद कर दिए जाने के बाद भी मानो इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा।

जो लोग खुले तौर पर सार्वजनिक रूप से ऐसी हिंसक सामग्री जारी कर रहे हैं, उन लोगों का यह कारनामा चिंता का एक गंभीर विषय है। ऐसी धमकियां राज्य के प्राधिकरण का प्रत्यक्ष रूप से अपमान करती हैं, जो इन सब तत्वों की चुनोतियों से निपटने की भरपूर कोशिश में लगी रहती है। इसके अलावा, ‘खोज के शिकार करे’ कहकर सिर्फ मुस्लिम लड़कों को निशाना नहीं बनाया जा रहा बल्कि इस तरह से सामान्य नागरिकों को हिंसक रणनीति अपनाने का आह्वान किया जा रहा है, जो खुले तौर पर सांप्रदायिक तनाव और हिंसा को बढ़ावा देता है।

अनुवाद: Priyanka jha

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