पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान एक तस्वीर शेयर की जा रही है जिसमें दंगा करती भीड़ नज़र का रही है. दावा किया जा रहा है ये तस्वीर हुगली में हिन्दुओं के खिलाफ़ हिंसा की तस्वीर है. ये तस्वीर शेयर करते हुए लोग #StandWithBengalHindus लिख रहे हैं.
इसे कई ट्विटर यूज़र्स ने शेयर किया है.
बांग्लादेश की पुरानी तस्वीर
इस तस्वीर का एक साधारण रिवर्स इमेज सर्च हमें डेली मेल के 5 मई, 2013 के एक आर्टिकल तक पंहुचा देता है जहां ऐसी ही तस्वीर पब्लिश की गयी है. इसके डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “हाथ में डंडे लिए प्रदर्शनकारी पुलिस के आंसू गैस से भागते हुए: इस्लामिक कट्टरपंथी ईशनिंदा करने वालों के लिए सज़ा-ए-मौत की मांग करते हुए.” इस तस्वीर का क्रेडिट पूर्व फ़ोटो एजेंसी डेमोटिक्स के फ़ोटोग्राफ़र इब्राहिम को दिया गया है.
आर्टिकल के मुताबिक, “बांग्लादेश में ईशनिंदा करने वालों के लिए सज़ा-ए-मौत की मांग कर रहे इस्लामिक कट्टरपंथियों और पुलिस के बीच झड़प में आज 37 लोग मारे गए और सैंकड़ों घायल हुए.”
अल जज़ीरा की रिपोर्ट मुताबिक, ये प्रदर्शन एक इस्लामिस्ट समूह हिफाज़त-ए-इस्लाम के नेतृत्व में किया जा रहा था जिनका मानना था कि कई ब्लॉगर्स ईशनिंदा वाले कॉन्टेंट लिखते हैं. प्रदर्शनकारी ‘अल्लाह-ओ-अकबर-‘ के नारे लगाते हुए ब्लॉगर्स को सूली पर चढ़ाने की मांग कर रहे थे. ये दंगे बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्लामिस्ट समूह की ये मांग ख़ारिज कर दी और कहा कि जो कानून पहले से मौजूद हैं वो ईशनिंदा की सज़ा देने के लिए काफ़ी हैं.
बांग्लादेश में 8 साल पहले हुए एक दंगे की तस्वीर भारतीय सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लोगों ने ग़लत दावा किया कि पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं के खिलाफ़ हिंसा हो रही है.
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