तिरंगे में लिपटे हुए ताबूतों की तस्वीर को इस दावे के साथ शेयर किया गया कि ये हाल ही में लद्दाख में चीन से हुई झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के हैं. पाकिस्तानी मीडिया संस्थान ARY न्यूज़ से जुड़े पत्रकार अरशद शरीफ़ ने यह तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “कम से कम 50 भारतीय सैनिकों की जान गलवान वैली में चीनी सेना से लड़ते हुए गई. मोदी ने केवल 20 मौतों की बात स्वीकार की. बाकी जिन्होंने भारत के लिए बलिदान दिया उनके बलिदान का अपमान किया. खून से भरी 50 तस्वीरें देखिए…” उनके ट्वीट को 1,200 से ज़्यादा बार रिट्वीट किया गया है.
भारत के ख़िलाफ़ प्रोपेगैंडा फैलाने वाले कई अन्य अकाउंट्स से दोनों तस्वीरें शेयर की गई हैं. नीचे दिया गया ट्वीट जिस यूज़र ने किया है उसके बायो में लिखा है, “नेपाल देश भारत का विनाश करने के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा है.”
Atleast 50 #Indian soldiers were killed in clashes with #Chinese forces in #Galwan valley. #Modi acknowledged only 20 killed, disgracing the sacrifice of other soldiers who sacrificed life for #India.
The gory pics of all 50 available.
How many coffins ⚰️ u can count?#Galwan pic.twitter.com/L2X128uSQQ— irmak idoya🇳🇵 (@irmaknepal2) June 21, 2020
दूसरी तस्वीर TV9 भारतवर्ष के एक आर्टिकल में फ़ीचर इमेज के रूप में लगी थी जो गलवान वैली में शहीद हुए 20 जवानों पर था.
पुरानी तस्वीरें
पहली तस्वीर
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें पहली तस्वीर फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस के एक आर्टिकल में लगी मिली जो फ़रवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद लगी थी. उस आत्मघाती हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हुए थे. फ़ोटो के बारे में लिखा था, “राजनैतिक विचारधारा को किनारे रखते हुए नेता CRPF के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए नई दिल्ली के पालम टेक्निकल एयरपोर्ट पर इकट्ठा हुए.” इस तस्वीर का क्रेडिट PTI को दिया गया था.
दूसरी तस्वीर
दूसरी तस्वीर की जांच करने पर वह भी 14 फ़रवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले के बाद की निकली. नीचे 17 फ़रवरी 2019 का एक फ़ेसबुक पोस्ट है. मीडिया रिपोर्ट्स में भले ही हमें यह तस्वीर नहीं मिली लेकिन जनवरी 2019 के पोस्ट ने ये ज़रूर सुनिश्चित किया है कि यह तस्वीर गलवान वैली में हुए हमले के बाद की नहीं है.
यानी पुरानी तस्वीर इस झूठे दावे के साथ शेयर की जा रही है कि ये गलवान वैली में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के ताबूत हैं.
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