भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख, अमित शाह का अपनी पोती के साथ खूबसूरत पलों का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। सोशल मीडिया यूजर्स के लिए मनोरंजन का साधन बने इस वीडियो में अमित शाह अपनी पोती को भाजपा की टोपी पहनाने की कोशिश करते और वह बच्ची बार-बार इसे सिर से हटाते हुए दिख रहे हैं। इंडिया टुडे, लोक सत्ता और ABP माझा सहित कई मीडिया संगठनों ने इस पर खबर कीं और वीडियो पोस्ट किए।

“देखिए: अमित शाह की पोती की दादा की भगवा रंग की टोपी में रुचि नहीं।”(अनुवाद) -यह ट्वीट इंडिया टुडे ने 30 मार्च की सुबह 10:48 बजे किया। इस ट्वीट में एक लेख का हाइपरलिंक जोड़ा गया था, जिसका उसी अनुरूप शीर्षक था, “अमित शाह की पोती ने भाजपा की टोपी पहनने से इनकार किया”। एक घंटे बाद, इंडिया टुडे ने उसी वीडियो को दूसरे शीर्षक के साथ एक बार फिर ट्वीट किया था।

इस वीडियो पर सोशल मीडिया में कई तरह की प्रतिक्रियाएं हुईं। कुछ के लिए बच्ची की हरकतें हंसी का अच्छा साधन बनीं तो दूसरों ने एक कदम आगे बढ़कर इसका अमित शाह का मजाक उड़ाने के लिए इस्तेमाल किया। जल्द ही शाह मजाक के पात्र बन गए कि वह अपनी पोती को भाजपा की टोपी पहनने के लिए कैसे नहीं मना सके।

गायब हो गई रिपोर्ट

शाम होते-होते, इंडिया टुडे के ट्वीट्स, लेख और वीडियो गायब हो गए।

ट्वीट्स हटा दिए गए, जबकि लेख को दूसरे वीडियो और दूसरी रिपोर्ट से बदल दिया गया, जिसमें दादा-पोती की कोई घटना नहीं, बल्कि यह अमित शाह की रैली पर केंद्रित है।

नीचे कोलाज में, पुराने लेख का स्क्रीनशॉट, लेख के नए संस्करण के साथ रखा गया है। पुराने लेख का शीर्षक था, “अमित शाह की पोती ने भाजपा की टोपी पहनने से इंकार किया”, जबकि पूरी तरह से नए लेख का शीर्षक है, “रोड शो में भीड़ हमारी जीत का स्पष्ट संकेत : अमित शाह”।- (अनुवादित)

इंडिया टुडे ग्रुप के आज तक ने भी इस रिपोर्ट को हटाने का काम किया। दिलचस्प बात यह है कि अपने प्लेटफार्मों से उस कहानी के सभी निशान हटाने के क्रम में इंडिया टुडे ने फेसबुक और ट्विटर से भी, संबंधित पोस्ट हटा दिए, लेकिन वह वीडियो अभी भी उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद है।

यह पहली बार नहीं है कि अमित शाह से संबंधित कोई लेख हटाया गया हो। पूर्व में, अमित शाह की संपत्ति और स्मृति ईरानी की ‘डिग्री’ से संबंधित खबरें टाइम्स ऑफ इंडिया और DNA से गायब हो चुकी हैं। पिछले उदाहरणों की तरह, इस बार भी शायद बिना कोई स्पष्टीकरण लेख वापस लेने का कारण नहीं बताया जाएगा।

पिछले साल जनवरी में, नीता और मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी के उत्साही भाषण को, सोशल मीडिया में उनका मज़ाक उड़ाए जाने के बाद, कई मीडिया संगठनों ने हटा दिया था। प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की खराब रैंकिंग के पीछे ‘मोदी के राष्ट्रवाद के खतरे’ वाली रिपोर्ट  को इकोनॉमिक टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया ने हटा लिया था। कोबरा पोस्ट द्वारा एक वरिष्ठ पेटीएम अधिकारी के स्टिंग ऑपरेशन की रिपोर्ट को भी बिना किसी स्पष्टीकरण के इकोनॉमिक टाइम्स से गायब कर दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में, प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की रैंकिंग लुढ़कती रही है। 2018 में, 180 देशों में, भारत का बेहद खराब 138वां स्थान था।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.