“ये नजारा नेपाल का है। ये एक इसाई था जो वहा के हिन्दुओ को बहला फुसलाकर उनका धर्म बदलवाकर उन्हे इसाई बनाता था। साले का पता चलते ही बीच चोराहे पर जला दिया वहा के हिन्दुओ ने। ऐसा हमारे हिन्दुस्तान मे भी हो रहा है इसको जल्दी नही रोका गया तो हिन्दु धर्म खतरे मे पड सकता है।” इस संदेश के साथ जिसमें ईसाई समुदाय के प्रति हिंसा को भड़काने और भीड़ द्वारा न्याय देने को उकसाने के लिए एक तस्वीर पोस्ट की गयी है। इस तस्वीर में एक व्यक्ति के कपड़े उतार उसे एक खम्भे से बांधकर उसके पैरों के पास आग लगाया जाता है, तस्वीर में व्यक्ति को चिल्लाते हुए देखा जा सकता है।

ये नजारा नेपाल का है। ये एक इसाई था जो वहा के हिन्दुओ को बहला फुसलाकर उनका धर्म बदलवाकर उन्हे इसाई बनाता था। साले का पता…

Posted by सौगंध राम की खाते है हम मंदिर वही बनाएंगे on Wednesday, 2 May 2018

इस तस्वीर को ‘सौगंध राम की खाते है हम मंदिर वही बनाएंगे’ नामक फेसबुक पेज ने अपने 5 लाख से अधिक फॉलोअर्स के बीच 2 मई, 2018 को पोस्ट किया है जिसे अबतक 1000 से अधिक बार शेयर किया जा चूका है। ऑल्ट न्यूज़ ने जब फेसबुक पर इसके वायरल होने की पड़ताल की तो पाया कि यह तस्वीर इसी दावे के साथ साल 2014 में काफी वायरल थी। एक पेज हिन्दू रक्षक दल ने नवंबर, 2014 में इसी तस्वीर को हिंसा भड़काने के लिए यह कहते हुए पोस्ट किया था, “नेपाल में एक इसाई युवक हिन्दुओ को बहका कर इसाई बना रहा था जिसे वहा के हिन्दुओ ने जिन्दा जला दिया ..क्या हमारे देश में ऐसा नहीं हो सकता ??? क्या नेपाल के हिन्दुओ से हम कम ताकतवर है ???” इसी दावे के साथ कई पेजों, ग्रुपों और पर्सनल आईडी से इस तस्वीर को बड़ी संख्या में शेयर किया गया था, जैसा कि नीचे वीडियो में देखा जा सकता है।

इस तस्वीर को एक दूसरे सन्दर्भ में भी यह दावा करते हुए पोस्ट किया गया था कि ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए इस व्यक्ति को जिन्दा जलाया गया था और दुनिया भर से प्रार्थना करने के लिए लोगों को बुलाया गया था। इसी तस्वीर को कई फर्जी दावे के साथ सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है।

सच्चाई क्या है?

आदमी को ज़िंदा आग लगाने वाली यह तस्वीर नेपाल की नहीं बल्कि दक्षिण अमेरिका के इक्वाडोर की है। यह घटना साल 2006 की है जब इस पीड़ित व्यक्ति को कुछ स्थानीय लोगों ने पकड़ा था जो एक संदिग्ध चोर था। राजधानी क्विटो के 75 मील दक्षिण में पेलिलो ग्रांडे में इसे सबक सिखाने के लिए बांधकर पैर में आग लगाई गयी थी। इस पूरी घटना की रिपोर्ट यूके आधारित समाचार प्रकाशन द डेली मेल ने अक्टूबर, 2006 में की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, व्यक्ति को स्थानीय पुजारी और कुछ ग्रामीणों के हस्तक्षेप से बचाया गया था। यह तस्वीर कई सालों से ऑनलाइन अलग-अलग सन्दर्भ से फ़ैल रही है। एक अलग संदर्भ में, इस दावे के साथ फैलाया गया कि इस व्यक्ति को इस्लामी (शरिया) कानून के तहत जिंदा जला दिया गया था।

ऑल्ट न्यूज़ सोशल मीडिया पर फैलाये जा रहे ख़बरों पर नजर रखता है। हमने देखा है कि अक्सर ऐसे वीडियो, फोटो और शब्दों को हेर-फेर कर गलत जानकारी के साथ जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव उकसाने के लिए फैलाये जाते हैं। ऐसे संदेशो के साथ पोस्ट की गई तस्वीर की वजह से अलग-अलग घार्मिक समुदाय के बीच हिंसा, तनाव और सांप्रदायिक भावना फैलता है। यह उदाहरण बहुत ही भयावह और खतरनाक है क्योंकि यह धार्मिक अल्पसमुदाय के खिलाफ हिंसा और क्रूरता का समर्थन करता है।

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