इस साल की शुरुआत में साहित्यकार पाउलो कोएल्हो ने भारत का एक वीडियो ट्वीट किया था. ये एक CCTV फ़ुटेज था जिसमें भीड़-भाड़ वाली सड़क पर एक दिव्यांग व्यक्ति साइकिल की चेन चढ़ाने की कोशिश कर रहा है. ये व्यक्ति काफी परेशान दिख रहा है. लेकिन कोई इसकी मदद नहीं करता है. हालांकि, दो स्कूली बच्चे उसे परेशान होते देख उसकी मदद करते हैं. ये बच्चे ट्राइसाइकिल पर चढ़ने में भी इस व्यक्ति की मदद करते हैं.
पाउलो कोएल्हो ने लिखा, “भारत के दो बच्चों का ये वीडियो आपके परेशानी भरे दिन को अच्छा बना देगा.” इसे 20 लाख से ज़्यादा व्यूज़ मिले. वीडियो पर किये गए जवाब से ऐसा लगता है कि बहुत से लोग इसे एक असली घटना मान रहे हैं. जबकि ये वीडियो नाटकीय है और कई लोगों ने भी इस बात का ज़िक्र किया है.
Two boys from India to brighten your complicated day pic.twitter.com/KfVep2IwAv
— Paulo Coelho (@paulocoelho) February 25, 2022
पाउलो कोएल्हो ऐसा वीडियो पोस्ट करने वाले पहले प्रभावशाली शख्सियत नहीं हैं. हमने देखा कि दिसंबर 2020 के बाद ऐसे पोस्ट की संख्या काफी ज़्यादा हो गई है. नीचे दिया गया स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टूल CrowdTangle का है. [यदि आपके पास CrowdTangle की पहुंच है तो आप इस लिंक पर जाकर सर्च रिज़ल्ट देख सकते हैं.]
पिछले दो सालों में कई वेरीफ़ाईड फ़ेसबुक एकाउंट्स से नाटकीय वीडियो क्लिप पोस्ट किए गए हैं. इन वीडियोज़ के ज़रिये बच्चों के अपहरण, मोबाइल के इस्तेमाल या पार्टियों में दोस्तों से सावधान रहने जैसे विषयों पर एक अच्छा और ज़रूरी पब्लिक सर्विस मेसेज दिया जाता है. नीचे दिए गए टेबल में भारत में वेरीफ़ाईड फ़ेसबुक एकाउंट्स द्वारा पोस्ट किए गए 19 सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले नाटकीय वीडियोज़ हैं.
[table id=9 /]सकारात्मक सुधार लाने के मकसद से बनाए जाने वाले कंटेंट का खूब ग़लत इस्तेमाल भी हो रहा है. चूंकि लोग मानते हैं कि ये वीडियो असली हैं, इसलिए कई वीडियोज़ ग़लत संदर्भ के साथ और मुख्य रूप से भारतीय मुस्लिम समुदाय को टारगेट करते हुए शेयर किये जाते हैं. अक्टूबर 2021 में हमने इस घटना पर अपनी पहली फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट पब्लिश की थी. विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के समर्थक हरिओम राजावत ने इस तरह के नाटकीय वीडियो को असली बताते हुए शेयर किया था. साथ ही ये भी दावा किया कि एक मुस्लिम युवक ने अपनी हिंदू महिला दोस्त की शराब में नशे वाली दवाई मिलाकर रेप करने की योजना बनाई थी. इसके बाद से अब तक ऑल्ट न्यूज़ ने 10 ऐसी रिपोर्ट पब्लिश की है जिनमें नाटकीय ‘CCTV’ वीडियोज़ ग़लत जानकारी के साथ शेयर की गई थीं. इनमें से आधे वीडियोज़ में मुसलमानों को निशाना बनाया गया है. [स्प्रेडशीट देखें]
लोग इसे असली क्यों समझते हैं?
वीडियो असली न होने के कई दावों के बावजूद, कई लोग ऐसे वीडियो को असली समझते हैं. ऐसा क्यों होता है? इसका कारण है धोखे में रखने वाला डिस्क्लेमर. ऐसे एकाउंट्स वीडियो के डिस्क्रिप्शन में या वीडियो क्लिप के अंतिम कुछ फ़्रेमों में एक “डिस्क्लेमर” ऐड करते हैं. ताकि फ़ेसबुक की नीतियों का उल्लंघन न हो. आइए इन डिस्क्लेमर का बारीकी से निरीक्षण करें.
धोखे में रखने वाला वीडियो डिस्क्रिप्शन
लगभग सभी ऐसे वीडियो क्लिक-बिट टाइटल के साथ पोस्ट किए जाते हैं जिनमें इमोजी भी शामिल हैं. इसके कुछ उदाहरण हैं – ‘दिस इज अमेजिंग ❤️❤️🙏🙏,’ डोंट जज सो क्विकली ❤️❤️🙏🏻🙏🏻, और ‘बी केयरफ़ुल 😨😨🙏🏻🙏🏻’. नीचे स्क्रीनशॉट में ऐसे और कई उदाहरणों की लिस्ट है.
वीडियो देखने से पहले डिस्क्लेमर देखने के लिए वीडियो डिस्क्रिप्शन में ‘सी मोर बटन’ पर क्लिक करना होगा. डिस्क्लेमर आमतौर पर सिर्फ अंग्रेजी में होता है. नतीजतन जिन लोगों को अंग्रेजी समझने में दिक्कत होती है उन्हें ये पता ही नहीं चलेगा कि ये वीडियो असली घटना का नहीं है.
नीचे वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह डिस्क्लेमर देखने के लिए दर्शक को ‘सी मोर’ बटन पर क्लिक करना चाहिए.
धोखे में रखने वाला वीडियो डिस्क्लेमर
“देखने के लिए धन्यवाद! कृपया ध्यान रखें कि इस पेज में स्क्रिप्टेड ड्रामा और पैरोडी भी हैं. ये शॉर्ट फ़िल्में केवल मनोरंजन और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं .” ये डिस्क्लेमर सिर्फ एक सेकंड के लिए आता है और इसका फ़ॉन्ट इतना छोटा है कि इसे मुश्किल से पढ़ा जा सकता है. नीचे वीडियो में एक नाटकीय वीडियो के आखिरी कुछ सेकंड को दिखाया गया है. यदि आप डिस्क्लेमर नहीं देख पाए तो ये आपकी गलती नहीं है. वीडियो को फिर से फ़ुल स्क्रीन पर देखें और हाथ जोड़े जाने के ठीक नीचे ध्यान से देखें.
नीचे स्लाइड शो में ऐसे नाटकीय वीडियो पर किए गए कुछ कमेंट्स हैं जिन्हें 100 मिलियन से ज़्यादा बार देखा गया है. हालांकि इनमें से कुछ लोग ये देख समझ पा रहे हैं कि ये वीडियो असली नहीं है. लेकिन ज़्यादातर लोगों का मानना है कि ये वीडियो असली घटनाओं का है.
इस तरह के वीडियो लिंक्डइन जैसे जॉब हंटिंग पोर्टल्स पर भी शेयर किए जा रहे हैं. एक प्रमुख पीआर पेशेवर गुरुदत्त बिस्वाल जिन्हें 2021 और 2020 में PR30 अंडर 30 की लिस्ट में रखा गया था, उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “ये वीडियोज़ जरूरतमंद लोगों के साथ सहानुभूति रखने की मानवीय ज़रुरत को पूरा करते हैं. मुझे लगता है कि ऐसे वीडियो पूरी तरह से प्रेरित करने के लिए शेयर किए जा रहे हैं, भले ही वे नाटक हों. मुझे ऐसा लगता है कि लिंक्डइन यूज़र्स ऑनलाइन इंगेजमेंट बढ़ाने के लिए ऐसे वीडियोज़ पोस्ट करते हैं. हालांकि, कई लोग फ़ेसबुक पर इस तरह के वीडियो पोस्ट कर कमाई भी कर रहे हैं.”
“नाटकीय-ड्रामा” को पूरी तरह सच समझने की अर्थव्यवस्था
CrowdTangle का इस्तेमाल करके ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि कौन से एकाउंट्स से इस तरह वीडियोज़ पोस्ट किए जाते हैं. नीचे दिए गए डेटा में सिर्फ वेरीफ़ाईड एकाउंट्स हैं.
- वेरीफ़ाईड फ़ेसबुक एकाउंट्स का एक नेटवर्क है जो डिस्क्लेमर के साथ स्क्रिप्टेड वीडियो पोस्ट करता है. 2018 से अब तक लगभग 300 वीडियो को 400 करोड़ से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. इस PDF में ऐसी सभी पोस्ट का डॉक्यूमेंटेशन किया गया है.
- इस तरह के वीडियो को अक्सर पोस्ट करने वाले एकाउंट्स में बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा [2.5 मिलियन फ़ॉलोअर्स], मॉडल हम्सा नंदिनी [3 मिलियन से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स], अभिनेत्री पूनम बाजवा [13 मिलियन फ़ॉलोअर्स], गायिका प्रिया [8.5 मिलियन फ़ॉलोअर्स] और मॉडल संजना गलरानी [4 मिलियन फ़ॉलोअर्स] शामिल हैं.
- नीचे दिए गए चार्ट में भारत में वेरीफ़ाईड फ़ेसबुक एकाउंट्स द्वारा नाटकीय वीडियो पोस्ट की संख्या देखी जा सकती हैं.
दूसरे एकाउंट्स से अलग, ज्वाला गुट्टा की प्रोफ़ाइल में उस कंपनी को मेंशन किया गया है जो उनका प्रोफ़ाइल मैनेज करती है – LemonadePR.
कंपनी की वेबसाइट पर हमें ट्विटर का लिंक दिखा जो एक बसंत जैन के प्रोफ़ाइल का है. इनके बायो में लिखा है कि वो ज्वाला गुट्टा और अन्य हस्तियों के एजेंट हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने ट्विटर पर ज्वाला गुट्टा से संपर्क करने की कोशिश की ताकि हमें उनकी प्रोफ़ाइल पर नाटकीय वीडियो पोस्ट करने के पीछे की वजह और उनका तर्क पता चल सके. लेकिन हमें उनकी और से कोई जवाब नहीं मिला. LemonadePR के एक सदस्य के साथ टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत में हमें पता चला कि इन वीडियो से कमाई की जा रही है. कर्मचारी ने ये भी बताया कि कंपनी ये वीडियो नहीं बनाती है, बल्कि उन्हें आउटसोर्स करती है. जब हमने उनसे कंपनी की पहचान करने के लिए कहा तो उन्होंने कहा, “कंपनी के साथ हमारा नॉन- डिसक्लोजर अग्रीमेंट है.”
ऑल्ट न्यूज़ ने ये पूछने के लिए फ़ेसबुक के एक प्रवक्ता से भी संपर्क किया कि क्या सोशल मीडिया की ये दिग्गज कंपनी उन एकाउंट्स के खिलाफ़ कार्रवाई कर सकती है, जिन्होंने इन नाटकीय वीडियो को ग़लत सांप्रदायिक दावों के साथ शेयर किया? प्रवक्ता ने जवाब दिया, “स्क्रिप्टेड वीडियो के संबंध में आपके ईमेल पर टीम ने एक आंतरिक जांच की और (जैसा कि अनुमान लगाया गया था और पिछले सप्ताह हमारे बातचीत के दौरान शेयर किया गया था कि वीडियो में डिस्क्लेमर है) वीडियो हमारी नियमों का उल्लंघन नहीं करता.”
कुल मिलाकर, फ़ेसबुक पर नाटकीय वीडियोज़ असली बताकर ग़लत दावों से शेयर किए जाना जारी रहेगा. लेकिन हम अपने पाठक से अनुरोध करते हैं कि अगली बार जब आप CCTV “एक्सपोज़” दिखाने वाले वीडियोज़ देखें तो “सी मोर” बटन पर क्लिक करके क्लिप के डिस्क्रिप्शन को चेक करना न भूलें.
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