सोशल मीडिया प्लॅटफॉर्म पर कुछ तस्वीरें इन दावों के साथ साझा की जा रही है कि, यह तस्वीरें तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्त्ता द्वारा विद्यासागर जी की प्रतिमा का खंडन करने की है। उनके मुताबिक ये तस्वीरें विद्यासागर कॉलेज की CCTV फुटेज द्वारा ली गई तस्वीरें है। इन तस्वीरों में कुछ लोग एक सफ़ेद मूर्ति को तोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।
CCTV के फुटेज से स्पष्ट पता चल गया कि बंगाल में ममता बनर्जी के तालीबानी कट्टरपंथियों ने ही विद्यासागर की मूर्ति को तोड़ा था ,जबकि ममता अपने इस कुकृत्य को भाजपा के मत्थे मढ़ रही थी । pic.twitter.com/46Yy85J0qh
— 🇮🇳Chowkidar🇮🇳Arunesh pandey❤❤ (@Arunesh71842540) May 17, 2019
इसी दावे के साथ इन तस्वीरों को फेसबुक और ट्वीटर पर भी साझा किया गया है।
तथ्य जांच
ऑल्ट न्यूज़ द्वारा जब इन तस्वीरों की पुष्टि के लिए गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया गया, तो मालूम हुआ ये तस्वीरें मोसुल शहर, इराक़ की है। यह घटना साल 2015 की है। इस खबर को “द गार्जियन “ ने प्रकाशित किया था। “द गार्जियन” के लेख के मुताबिक, वीडियो में जो लोग मूर्ति का खंडन कर रहे है उन्हें साफ बोलते हुए सुन सकते है कि,”मेरे पीछे मूर्ति और प्रतिमाओं का खंडहर हैं, अल्लाह के बजाय जिनकी लोग आराधना करते है।भगवान ने हमें बनाया है ताकि हम उसकी पूजा कर सके, ना की मूर्तिओं की। ” – अनुवाद। “द गार्जियन” के लेख के मुताबिक, ISIS ने नबी यूनुस की कब्र और 12वीं-13वीं सदी के इतिहासकार अबू अल-हसन अल-जज़ारी की कब्र को निशाना बनाया था।
इसके अलावा इस ख़बर को “CNN न्यूज़ चैनल” द्वारा भी चलाया गया था।
उपरोक्त वीडियो में आप देख सकते है कि ISIS द्वारा किस तरीके से प्रतिमा को तोड़ा जा रहा है। CNN ने भी यह घटना इराक़ के मोसुल शहर की बताई है, हालांकि दोनों लेख में मूर्ति को लेकर किया हुआ दावा अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों लेख के मुताबिक यह घटना भारत की नहीं है।
इन तस्वीरों को दैनिक भास्कर द्वारा भी फैक्ट चेक किया गया है।
इन तथ्यों के आधार पर मालूम होता है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें विद्यासागर कॉलेज से संबधित घटना की नहीं बल्कि इराक़ की है।
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