भाजपा ने आगामी आम चुनाव में अभिनेत्री कंगना रनौत को हिमाचल प्रदेश के मंडी से अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाया है. उनकी उम्मीदवारी की ख़बर 24 मार्च को घोषित की गई थी. 2 अप्रैल को मंडी की बल्ह घाटी में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कंगना ने कहा कि उन्हें ‘महिला आरक्षण बिल’ के कारण भाजपा का टिकट दिया गया है. इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया गया था.

 

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फ़ैक्ट-चेक

सबंधित की-वर्ड सर्च करने पर, हमें महिला आरक्षण विधेयक के संबंध में कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं. 22 सितंबर, 2023 को द हिंदू की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि महिला आरक्षण बिल या नारी शक्ति वंदन अधिनियम को 20 सितंबर को लोकसभा द्वारा पारित करने के बाद राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था. रिपोर्ट में ये भी ज़िक्र किया गया है कि विधेयक सिर्फ पारित किया जाएगा. जनगणना और परिसीमन अभ्यास यानी निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 2029 तक इसे लागू किया जाएगा.

हमने असली बिल को एक्सेस किया. बिल में कहा गया है कि ये “संविधान (एक सौ छठा संशोधन) अधिनियम, 2023 के शुरू होने के बाद की गई पहली जनगणना के सबंधित आंकड़े पब्लिश होने के बाद परिसीमन की कवायद शुरू होने के बाद प्रभावी होगा.”

जब लोकसभा में बिल पर बहस हो रही थी, तब गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि जनगणना और परिसीमन 2024 के लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद शुरू होगा.

परिसीमन में संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को समायोजित करना शामिल है.

इससे नवीनतम जनसंख्या डेटा के अनुरूप निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या में विस्तार होता है. इसलिए, परिसीमन की प्रक्रिया जनगणना के बाद आयोजित की जाएगी. देश में आखिरी बार परिसीमन की कवायद 2002 में लागू की गई थी. क्यूंकि 2021 की COVID-19 महामारी की वजह से जनगणना नहीं की जा सकी थी, और 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ, 128वां संशोधन बिल सिर्फ इससे पहले ही प्रभावी हो सकता है. जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 2029 के आम चुनाव होंगे.

कुल मिलाकर, ये साफ है कि महिला आरक्षण विधेयक अभी तक लागू नहीं किया गया है जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करेगा और इसलिए कंगना रनौत का ये दावा बिल्कुल ग़लत है कि बिल की वजह से वो उम्मीदवार बनी हैं.

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