4 अक्टूबर को, भारतीय वायु सेना (IAF) ने बालाकोट हवाई हमले पर एक प्रमोशनल वीडियो जारी किया, जो इस साल फरवरी में पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद किया गया था। इसके बाद, कई मीडिया संगठनों ने इस वीडियो को पाकिस्तान में भारतीय वायुसेना के हवाई हमले के “वास्तविक” फुटेज या “सबूत” के रूप में रिपोर्ट किया।

मीडिया संगठनों की गलत खबर

रिपब्लिक टीवी ने फुटेज को “IAF के बालाकोट सबूत” के रूप में प्रकाशित किया। इनके संपादक मेजर गौरव आर्या ने भारतीय वायुसेना के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, “यह सही समय है जब हम अपने कार्यों के बारे में बताना शुरू करें..अभी के इस वक़्त में, जहां सोशल मीडिया और मुख्यधारा के मीडिया खूब सक्रीय है, जो एक हथियार भी है…मैंने वीडियो नहीं देखा है लेकिन मुझे इसके बारे में पता है…उन्हें ऐसे ज़्यादा वीडियो बनाने चाहिए और लोगों में और दुश्मनों के बीच जागरूकता फैलानी चाहिए क्योंकि उन्हें प्रोपोगैंडा का आहार कुछ हद तक प्राप्त होता है”-अनुवादित।

हालांकि, ना ही एंकर या ना ही मेजर आर्या ने यह बताया कि प्रसारित किया गया वीडियो प्रमोशनल है, चैनल ने बालाकोट हमले को “सबूत” बताते हुए कुछ समय के लिए “प्रमोशनल वीडियो” फ़्लैश किया था।

ABP न्यूज़ ने वीडियो “”एक्सक्लूसिव फुटेज” कहा और बताया, “पाकिस्तान कहता था कि केवल पेड़ ही गिरे हैं, लेकिन आप आतंकी शिविरों में भारतीय वायुसेना द्वारा किये गए हमले के बाद के विनाश को देख सकते है…यह वीडियो सबूत है।” हालांकि, चैनल द्वारा कुछ समय के लिए एक विवरण प्रसारित किया गया था, अनजाने में या जानबूझकर कि यह वीडियो प्रमोशनल है।

ज़ी न्यूज़ ने भी गलत खबर प्रकाशित की थी। उनके ट्वीट और लेख के शीर्षक में इसे बालाकोट हवाई हमले के “सबूत देने वाली पहली फुटेज” बताया है। ज़ी न्यूज़ ने अभी अपने लेख में इसे “प्रोमोशनल” बताते हुए अपडेट किया है, हालांकि, इसके लिए उन्होंने कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दी है।

ज़ी एमपी-छत्तीसगढ़ और ज़ी उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड ने इस वीडियो को “एक्सक्लूसिव वीडियो” बताया था। वनइंडिया हिंदी ने इसे भारतीय वायुसेना के हमले का “सबूत” कहा।

पंजाब केसरी  की  हैडलाइन के अनुसार -“बालाकोट airstrike का वीडियो जारी, देखिये कैसे पाकिस्तान में घुस कर मारे थे आतंकी।” “प्रमोशनल” शब्द लेख के अंदर उपशीर्षक में दिखाई देता है।

फ़र्स्टपोस्ट और बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे मीडिया संगठन द्वारा प्रकाशित PTI कॉपी में दावा किया गया है कि,“प्रेस कॉनफरेन्स में, IAF ने बालाकोट हमले की वीडियो क्लिप भी दिखाई।”-अनुवाद। लेख में “प्रमोशनल” शब्द कहीं नहीं दिखाई दिया।

गुजराती मीडिया संगठन गुजरात समचार और टीवी 9 गुजराती ने भी अपने शीर्षकों में “प्रमोशनल” का कोई उल्लेख नहीं किया है। बाद में लेख में यह बात बताई गई है कि यह वीडियो “प्रमोशनल” था लेकिन इसमें “असली” हमले की फुटेज शामिल की गई है, टीवी 9 की पूरी रिपोर्ट में इस वीडियो को हमले की वास्तविक फुटेज बताई गई है। आश्चर्य के तौर पर, चैनल द्वारा की गई फेसबुक और यूट्यूब पोस्ट में “प्रमोशनल” शब्द का प्रयोग किया गया है।

कुछ मराठी मीडिया संगठन – News18 लोकमत और लोकसत्ता – ने भी गलत सूचना को प्रसारित किया है।

इंडिया टुडे द्वारा प्रसारित वीडियो में, “प्रमोशन” शब्द का उपयोग करते हुए इसे बालाकोट हवाई हमले का “सबूत” भी बताया है।

द ट्रिब्यून के अजय बनर्जी ने इस फुटेज का वर्णन करते हुए कहा है कि – “बालाकोट के आतंकी कैंप को नष्ट करने वाले अपने [IAF] विमानों का ग्राफिक शॉट।”-अनुवादित।

टाइम्स नाउ ने अपने प्राइमटाइम एंकर राहुल शिवशंकर के साथ एक पोस्टर ट्वीट करते हुए लिखा है –“.@IAF_MCC ने बालाकोट वीडियो जारी किया। ‘संदेहियों’ ने PM @NarendaModi पर विश्वास नहीं किया था। क्या वे वर्दी पर भी संदेह करेंगे?”-अनुवाद।

प्रमोशनल वीडियो, असली फुटेज नहीं

WION के साथ एक रक्षा संवाददाता, सिधांत सिब्बल ने ट्वीट किया कि एयर चीफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट रूप से यह बताया था-“वीडियो में बालाकोट के हमलों का कोई वीडियो नहीं था।”-अनुवादित।

BBC के पत्रकार जुगल आर पुरोहित ने भी एक ट्वीट में वायु सेना प्रमुख के बयानों को दोहराया है।

ANI ने भी भारतीय वायुसेना द्वारा जारी की गई फुटेज को साझा करते हुए यह स्पष्ट रूप से बताया है कि यह वास्तविक हमले की फुटेज नहीं है मगर एक प्रोमोशनल वीडियो है।

एक प्रमोशनल वीडियो, जिसे वार्षिक वायुसेना दिवस (8 अक्टूबर) के प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी किया गया था, मुख्यधारा के मीडिया संगठन और उनकी क्षेत्रीय शाखाओं द्वारा बालाकोट हवाई हमले के वास्तविक फुटेज के रूप में प्रसारित किया गया। इनमें से ज़्यादातर मीडिया संगठन ने “प्रमोशनल” शब्द का प्रयोग नहीं किया है, यह शब्द कुछ मीडिया संगठन की रिपोर्ट में लेख के अंदर दिखाई देता है, जबकि शीर्षक में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है। कुछ मीडिया संगठन ने इस वीडियो को बालाकोट हवाई हमले के “सबूत” के तौर पर प्रकाशित किया है और दूसरी तरफ इस वीडियो को “प्रमोशनल” भी बताया है।

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.