प्रसिद्ध पत्रकार मार्क टली के नाम से एक लेख सोशल मीडिया में बड़े पैमाने में साझा किया गया है। ‘दीमक लगे पुराने बरगद को खत्म कर रहे मोदी’ शीर्षक के साथ यह लेख, नेहरू खानदान के प्रति आलोचनात्मक है, जिसमें इसे ऐसा “दीमक लगा पुराना बरगद कहा गया है, जो अब भी, किसी को बढ़ने से रोकने की भरपूर कोशिश करेगा कि गिरने से पहले पूरी मिट्टी पलट देगा”। -(अनुवाद) यह लेख पुरानी सुस्त व्यवस्था और कैसे यह यथास्थिति बनाए रखने और सकारात्मक बदलाव को रोकने के लिए कुछ भी करेगा, इसके प्रति सावधान करता है।

इस लेख का पूरा भाग जो कथित रूप से मार्क टली की किताब ‘नो फुल स्टॉप इन इंडिया’ से है, जिसे नीचे दिया गया है। टली बीबीसी, नई दिल्ली के ब्यूरो चीफ थे। उन्होंने 1965 में इस वैश्विक प्रसारक के लिए भारत के संवाददाता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी।

“दीमक लगे पुराने बरगद को खत्म कर रहे मोदी”
– मार्क टली, मोदी पर

कई दशकों से भारत में बीबीसी के संवाददाता रहे मार्क टली, मोदी राज में हो रहे बदलावों के बारे में लिखते रहे हैं।

अपनी पुस्तक ‘नो फुल स्टॉप इन इंडिया’ में बदलाव के बारे में चर्चा करते हुए लिखते हैं कि

भारत में बदलाव में बहुत अधिक समय लगता है। इसकी उत्पत्ति धीमी और शायद दर्दनाक होगी। मेरा मानना ​​है कि यह एक नई व्यवस्था का जन्म हो सकता है जो राज द्वारा पीछे छोड़े गए टूटते हुए स्तम्भों का नहीं, बल्कि विशुद्ध भारतीय है; एक जैसी आधुनिक व्यवस्था लेकिन “दूसरी आधुनिक व्यवस्थाओं की सुस्ता नकल नहीं”।

वह आगे कहते हैं कि – “अपनी सभी महान उपलब्धियों के लिए, नेहरू खानदान भारत के लोगों और संस्थानों को अपनी छाया में रखते हुए, एक बरगद के पेड़ की तरह खड़ा है, और सभी भारतीय जानते हैं कि बरगद के पेड़ के नीचे कुछ भी नहीं बढ़ता”।

जैसा कि मार्क कहते हैं, परिवर्तन धीमा और दर्दनाक होता है, इसलिए जो कोई भी पढ़ता नहीं और धारणा के आधार पर निर्णय लेता है वह काफी समय तक हो रहे इस परिवर्तन को देखने में सक्षम नहीं होगा या तो ऐसा दिखावा करेगा कि कुछ भी बदल नहीं रहा है।

जिस तरह से रेलवे, ऊर्जा क्षेत्र, रक्षा उत्पादन और शासन में बदलाव आ रहे हैं और इस समय, पुरानी ताकतों की नाराज़गी बताती है कि बदलाव की प्रक्रिया धीरे लेकिन मजबूती से शुरू हो गई है और आगे दर्दनाक होने वाली है।

आइए हम इस दीमक लगे पुराने बरगद की क्षमताओं को कमज़ोर ना करें, जो अभी भी किसी को बढ़ने से रोकने के लिए हर हद तक भरपूर कोशिश करेगा कि गिरने से पहले, पूरी जमीन पलट देगा।

एक वर्ष या अधिक समय से हमने खूब दादरी, खूब कन्हैया किया और ओवैसी के स्टाइल में खूब चिल्लाए भी, लेकिन अंत में समाज शांत रहता है, परिपक्वता से कार्य करता है और प्रदर्शन करना जारी रखता है, तो हमारी नैया पार लगेगी और पुरानी ताकतें प्राकृतिक रूप से मरेंगीं।

मुझे इसमें जोड़ने दो– हर दिन यह नया उपद्रवी मीडिया आपके सामने जो पेश करता है, वह सब मोदी सरकार को घेरने की इच्छा रखने वालों के द्वारा किया गया है, क्योंकि मोदी ने उन्हें उखाड़ फेंका है और वे बिन पानी की मछली की तरह हैं।

समय आ गया है कि हम इस आदमी का समर्थन करते रहें और अपने विश्वास को बनाए रखें और हम निश्चित रूप से नया भारत देखेंगे — बेहतर जीवन स्तर वाले लोगों के साथ, पहले से बड़ा, बेहतर, मजबूत, भ्रष्टाचार मुक्त, शांतिपूर्ण, समृद्ध।- मार्क टली (अनुवाद)

कई सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा इस लेख को फेसबुक पर साझा किया गया है। इसे ट्विटर पर भी पोस्ट किया गया है।

किताब में ऐसा कोई अंश नहीं

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि मार्क टली के नाम से लिखा गया यह लेख उनकी पुस्तक ‘नो फुल स्टॉप इन इंडिया’ में कहीं नहीं है। हमने उसके बाद मार्क टली से ही संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि की कि यह तथाकथित लेख/अंश फर्ज़ी है। ऑल्ट न्यूज़ को एक ईमेल में मार्क टली ने लिखा, “यह एक पुराने फर्ज़ी लेख की पुनरावृत्ति है जो वर्षों से प्रचलन में है। मैं आपका बहुत आभारी रहूंगा जो आप किसी भी तरह बता सकें कि मेरे नाम से कथित साझा किया गया यह लेख फर्ज़ी है।” -(अनुवाद)

किसी एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए मार्क टली के नाम का उपयोग किसी लेख/राइट-अप/अंश में किए जाने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले जुलाई 2018 में, जब कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, तब इसी तरीके से मार्क टली के नाम से गांधी परिवार की आलोचना करता हुआ एक ‘लेख’ व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.