[इस स्टोरी में हिंसा के दृश्य हैं.]
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ननकाना साहिब में शनिवार, 11 फ़रवरी को भीड़ ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया. भीड़ ने थाना परिसर में धुसकर ईशनिंदा के एक कथित आरोपी को उसकी कोठरी से पकड़ कर उसे बाहर किया और पीट-पीटकर मार डाला.
पुलिस थाने में भीड़ के घुसने का एक वीडियो पाकिस्तानी मल्टीमीडिया पत्रकार शिराज हसन ने ट्वीट किया था. शिराज ने लिखा, “बिल्कुल पागलपन!!! ननकाना साहिब में गुस्साई भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया. कथित तौर पर ईशनिंदा के एक आरोपी को भीड़ ने मार डाला और उसके शरीर को जला दिया. जाहिर तौर पर पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ थी.”
Total madness!!! An angry mob attacked the police station in Nankana Sahib. Reportedly an accused of blasphemy was killed and body burnt by the mob. Apparently police was unable to control the situation. pic.twitter.com/1kdNGFmqro
— Shiraz Hassan (@ShirazHassan) February 11, 2023
इस घटना के संदर्भ में कई सोशल मीडिया हस्तियों ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें भीड़ जश्न मना रही है और वहां एक शव जलता हुआ दिख रहा है. दावा है कि वीडियो उसी घटना का है और पीड़ित ईसाई समुदाय से है जो पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हैं.
ये वीडियो ट्विटर पर पोस्ट करते हुए भाजपा समर्थक राईट विंग मीडिया पर्सनालिटी, मेजर सुरेंद्र पूनिया ने लिखा, “वारिस इस्सा, पाकिस्तान के ननकाना साहिब में ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार एक ईसाई. इस्लामिक भीड़ ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया, उसे सड़कों पर घसीटा और अल्लाह-ओ-अकबर के नारे के साथ आग लगा दी. ट्वीट देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक किया जा सकता है.
ट्विटर ब्लू के सब्सक्राइबर खालिद उमर ने यही क्लिप शेयर करते हुए इन्ही पंक्तियों के साथ दावा किया कि एक ईसाई व्यक्ति को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला.
इसी तरह के दावे के साथ इस क्लिप को शेयर करने वाले अन्य यूज़र्स में स्वाति गोयल शर्मा, दीपा तिवारी और पालकी अग्रवाल शामिल हैं. स्वाति के मुताबिक, पीड़ित, गैर मुस्लिम था.
फ़ैक्ट-चेक.
ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर की-वर्ड्स सर्च किया और हमें 12 फ़रवरी को पब्लिश द गार्डियन की एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट के मुताबिक, ईशनिंदा का आरोपी असल में मुहम्मद वारिस नाम का एक मुस्लिम व्यक्ति है जिसकी उम्र 30 से 35 साल के आसपास थी.
द गार्डियन से बात करते हुए एक पुलिसवाले ने कहा, “गुस्से में भीड़ ने लकड़ी की सीढ़ी का इस्तेमाल करके पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया, उसे बाहर खींच लिया और पीट-पीट कर मार डाला. लिंचिंग के बाद भी वे संतुष्ट नहीं हुए और उसके शरीर को जलाने की कोशिश की.” पुलिस का बयान पत्रकार शिराज हसन द्वारा ट्विटर पर शेयर किए गए विज़ुअल्स से मेल खाता है.
ऑल्ट न्यूज़ ने पत्रकार शिराज हसन से बात की जिन्होंने हमें बताया कि पीड़ित वारिस एक मुसलमान था. BBC उर्दू की एक रिपोर्ट में पीड़ित की मां नूरान बीबी के नाम का ज़िक्र है. मां के मुताबिक, वारिस की पहली शादी की असफलता ने उसे परेशान कर दिया था, साथ ही वो मानसिक रूप से बीमार था. BBC और स्थानीय मीडिया आउटलेट, दोनों ने पीड़ित की पहचान वारिस अली के रूप में की न कि मुहम्मद वारिस के रूप में.
इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ ने पत्रकार शेर अली खल्ती से बात की जिन्होंने ये साबित करने में हमारी मदद की कि पीड़ित एक मुस्लिम था और उसका नाम वारिस अली था जैसा कि कुछ मीडिया संगठनों ने भी बताया है.
हमें एक न्यूज़ रिपोर्ट भी मिली जिसमें कहा गया था कि पोस्टमॉर्टम पूरा होने के बाद वारिस का परिवार उसके शव पर दावा करने के लिए आगे नहीं आया. रिपोर्ट में ये भी ज़िक्र किया गया है कि उसकी पहली पत्नी ने उसे तलाक दे दिया था और दूसरी पत्नी उससे अलग रहती थी.
घटना की पृष्ठभूमि
एरे न्यूज़ के संवाददाता के मुताबिक, वारबर्टन पुलिस थाना क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि वारिस ने कुरान के पन्नों को खराब कर दिया और उन्हें सड़क पर फेंक दिया. पुलिस को जैसे ही इस बात का पता चला उन्होंने आरोपी को अपनी हिरासत में ले लिया. इसके बाद सैकड़ों की संख्या में लोग थाने के बाहर जमा हो गए और आरोपी को पकड़ने के लिए जबरदस्ती परिसर में घुस गए.
डॉन के मुताबिक, पुलिस ने तुरंत वारिस को थाने के बाथरूम में बंद कर दिया क्योंकि इमारत के बाहर और लोग जमा होने लगे थे. स्थानीय मस्जिदों ने घोषणा की कि वो कानून अपने हाथ में न लें. घटना से पहले के दिनों में वारबर्टन पुलिस को कुरान के कथित अपमान पर तीन कॉल प्राप्त हुए. रिपोर्ट में ज़िक्र किया गया है कि “आखिरी कॉल में, स्थानीय निवासियों ने दावा किया कि उन्हें पवित्र कुरान के जले हुए पेज और वारिस की पहली पत्नी की तस्वीर मौके पर मिली है.”
#ننکانہ صاحب
واربرٹن میں اھل محلہ نے توھین مزھب کا الزام لگا کر وارث نامی شھری کو قتل کردیا۔واقع کی اطلاع ملنے کے فوری بعد ڈی آئی جی شیخوپورہ رینج بابر سرفراز الپہ تھانہ واربرٹن میں پھنچے اور حالات کنٹرول کرنے کعبد میڈیا نمائیندگان سے گفتگو کررھے ھیں۔
Posted by واربرٹن ورلڈ نیوز on Saturday, 11 February 2023
एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वारिस को 2019 में दर्ज ईशनिंदा के एक मामले में 2022 में जेल से रिहा किया गया था.
हत्या के इस मामले में अब तक 50+ गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं और पुलिस अन्य अपराधियों के खिलाफ़ कार्रवाई करने के लिए सैकड़ों वीडियो फ़ुटेज की समीक्षा कर रही है.
कुल मिलाकर, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ईशनिंदा के आरोपी एक मुस्लिम व्यक्ति को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. घटना का वीडियो शेयर करते हुए कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने ये झूठा दावा किया कि पीड़ित ईसाई था.
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