बालाकोट हवाई हमले के बाद, यह दिखलाने के प्रयास में कि भारतीय वायुसेना की बदले की कार्रवाई में 292 आतंकवादी मारे गए, सोशल मीडिया में विघटनकारी सूचनाओं का प्रसार लगातार दिख रहा है। रक्षामंत्री के बताने के बावजूद के लिए “कोई संख्या नहीं है”, के बावजूद, नकली तस्वीरों का प्रसारित होना लगातार जारी है।

ऑल्ट न्यूज़ को पता चला कि सीमा पार का विध्वंस दिखलाने के लिए, पूर्व में खारिज की जा चुकी तस्वीरें, व्हाट्सएप्प पर व्यापक प्रसारण समेत, सोशल मीडिया में फिर से सामने आ गई हैं। दावों के समर्थन में नकली व्हाट्सएप्प चैट की सहायता ली जा रही है, जिसे ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच के बाद खुद इसके रचनाकार ने हटा लिया था (आर्काइव)।

एक भारतीय और उनके ‘पाकिस्तानी दोस्त’ के बीच नकली व्हाट्सएप्प चैट

ट्विटर यूजर शेखर चहल ने एक कथित पाकिस्तानी, जो उनके दावे के अनुसार बालाकोट में रहते हैं, के साथ व्हाट्सएप्प चैट शेयर किया था। उस ‘दोस्त’ ने सुझाया था कि भारतीय वायुसेना के हवाई हमले में जैश-ए-मोहम्मद के 292 आतंकवादी मारे गए। चहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं।

चैट में चहल के ‘दोस्त’ का कहना था कि उनकी मां ‘बालाकोट मेडिकल यूनिवर्सिटी’ की डीन हैं और मारे गए आतंकियों के शरीर की जांच के लिए जिम्मेवार थीं।

हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ ने पता लगाया कि ‘बालाकोट मेडिकल यूनिवर्सिटी’ नाम का कोई संस्थान ही नहीं है। वास्तव में, सबसे नजदीकी मेडिकल कॉलेज बालाकोट से 40 किमी की दूरी पर है।

इसके अलावा, इस चैट में त्रुटिपूर्ण उर्दू की भरमार इसके झूठे होने का संकेत करती थी। उदाहरण के लिए ‘नज़दीकी (nazdiki)’ को ‘नजदीकी (najdiki)’ लिखा गया था, ‘परेशान(pareshan)’ को ‘परेसान (paresan)’, ‘अल्हम्दुलिल्लाह (Alhamdulillah)’ को ‘अल्लामुद्दीह (Allamuddiah)’ और ‘तशरीफ़ (tashreef)’ को ‘तसरीफ (tasreef)’ लिखा गया था।

ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच के बाद, चहल ने अपनी ट्वीट हटा ली, लेकिन नुकसान हो चुकने के बाद।

पाकिस्तान की भीषण गर्मी में मरने वालों की 2015 की तस्वीरें

नकली व्हाट्सएप्प चैट के साथ, तस्वीरों का एक सेट सफेद कफ़न में लिपटी लाशों को दिखलाता है।

ये सभी तस्वीरें पाकिस्तान में 2015 की भीषण गर्मी से संबंधित हैं, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी। आल्ट न्यूज़ ने सामान्य गूगल रिवर्स इमेज सर्च के जरिये इनकी मूल तस्वीरें गेट्टी इमेजेज (1, 2, 3) और टाइम मैगजीन से खोज निकालीं।

सोशल मीडिया में चल रही एक अन्य तस्वीर सामूहिक कब्रें दिखलाती थी।

हालांकि, आल्ट न्यूज़ इसका सटीक स्रोत नहीं पता कर सका, मगर हमें 2016 का एक लेख मिला जिसमें यही तस्वीर थी।

गूगल रिवर्स इमेज सर्च ने न्यू यॉर्क टाइम्स के 2013 के एक लेख तक भी हमें पहुंचाया जिसमें ऐसी ही तस्वीर थी। उस तस्वीर का स्रोत एसोसिएटेड प्रेस था, जिसने उसका इस रूप में ब्यौरा दिया था, “रविवार, 17 फरवरी 2013, शनिवार को क्वेटा, पाकिस्तान में बमबारी के मृतकों की सामूहिक कब्रें तैयार करते पाकिस्तानी लोग – (अनुवाद)।” यह तस्वीर, वायरल तस्वीर वाले स्थान की ही लगती है, मगर दूसरे एंगल से ली हुई है।

आप इन सभी तस्वीरों पर विस्तृत रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं।

पुरानी, असंबद्ध सेटेलाइट तस्वीरें


ऊपर दिखलाया गया कोलाज, कथित रूप से बालाकोट हवाई हमले के बमबारी स्थल का पहले और बाद का प्रदर्शन करता है। यह दिखलाने की कोशिश की गई कि ‘पहले’ वाली तस्वीर (बाएं) में इमारत खड़ी है, जबकि ‘बाद’ वाली तस्वीर (दाएं) में वही इमारत मलवे के रूप में है। यही तस्वीरें ज़ी न्यूज़ के प्रसारण में भी इस्तेमाल की गईं।

हालांकि, हमने पता लगाया कि ये पुरानी, असंबद्ध तस्वीरें हैं। ज़ी न्यूज़ द्वारा दिखलाया गया स्थान बमबारी स्थल नहीं था बल्कि उस स्थल से , बमबारी स्थल से 5 किमी दूर था। इसके अलावा, सोशल मीडिया और ज़ी न्यूज़ द्वारा इस्तेमाल की गई सेटेलाइट तस्वीरें पांच वर्ष पुरानी थीं। आल्ट न्यूज़ की विस्तृत तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।

/https://vimeo.com/321961389

उन्हीं तस्वीरों को बार-बार प्रसारित करना, लोगों के दिमाग में झूठी धारणा विकसित करने का प्रयास लगता है। पुलवामा आतंकी हमले के लिए भारत की बदले की कार्रवाई के बाद, हवाई हमले में 300 के आसपास आतंकवादियों के मारे जाने को दिखलाने के प्रयास बार-बार दिखे हैं। भारतीय वायुसेना और सरकार द्वारा कोई संख्या बताने से मना करने के बावजूद, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी ऐसे ही दावे किए थे।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.