2 मार्च को, ट्विटर यूजर @IndianInterest ने दो सेटेलाइट तस्वीरें ट्वीट की और दावा किया कि खबरों के अनुसार, तस्वीर में दिख रही इमारत बालाकोट में भारतीय वायु सेना की बमबारी में ध्वस्त की गई थी। तस्वीर के स्रोत का उल्लेख व इससे समन्वय के साथ उन्होंने शृंखलाबद्ध ट्वीट किए।

इस यूजर के अनुसार, बायीं तरफ की तस्वीर Google Maps से ली गई थी, जबकि दायीं तरफ वाली को Zoom Earth से लिया गया था। उनका कहना था कि बायीं ओर वाली तस्वीर हवाई हमले से पहले की है, जबकि दाहिने वाली उसी इमारत की है जो हमले के बाद अब ‘मलवे’ के रूप में है।

ज़ी न्यूज़ का प्रसारण

वही तस्वीरें, जिन्हें Indianinterest ने पोस्ट किया था, उनका इस्तेमाल ज़ी न्यूज़ ने 3 मार्च 2019 को एक प्रसारण में किया। ज़ी न्यूज़ के एंकर ने कथित बमबारी स्थल जाबा, बालाकोट की इन सेटेलाइट तस्वीरों को प्रस्तुत करते हुए कहा, “बड़ी खबर हम आपको दिखा रहे है जी हाँ, हम आपको सॅटॅलाइट इमेजेज दिखा रहे है बालाकोट स्ट्राइक की। यह जवाब है उन लोगो को जो सबूत मांगते है।” इस प्रसारण के अनुसार, बायीं ओर की तस्वीर, जिसमें इमारत की छतें बरकरार हैं, 23 फरवरी 2018 को ली गई थी, जबकि उसी इमारत की दाहिनी ओर वाली तस्वीर में छत ध्वस्त है, जो 26 फरवरी 2018 की है। पूरे प्रसारण में दावा किया गया कि ये सेटेलाइट तस्वीरें, भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए हवाई हमले के बाद अब ध्वस्त पड़े बमबारी स्थल की हैं।

हमेशा FAQ देख लिया करें

ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रसारित सबसे हाल की सेटेलाइट तस्वीर, ज़ूम अर्थ से ली गई थी, जो बिंग मैप के दृश्यों का उपयोग करता है। लगता है, ज़ी न्यूज़ ने ज़ूम अर्थ का ‘सर्वाधिक पूछे जाने वाले प्रश्न’ (FAQ) अनुभाग नहीं देखा, जिसमें बताया गया है, “केवल नासा की तस्वीरें (जिनमें बादल दिखते हैं) प्रतिदिन अपडेट की जाती हैं। बिंग मैप्स की तस्वीरें (जिनमें इमारतें दिखती हैं) प्रतिदिन अपडेट नहीं होतीं और कई वर्ष पुरानी हैं।”

FAQ से यह स्पष्ट है कि क्लोजअप तस्वीरें जिनमें इमारतें और दूसरी संरचनाएं दिखती हैं, जिनका पहले @IndianInterest ने, और बाद में ज़ी न्यूज़ ने इस्तेमाल किया, तुलना किए जाने लायक सही तस्वीरें नहीं हैं, क्योंकि ये तस्वीरें कई वर्ष पुरानी हो सकती हैं।

इस लेख में आगे हम समझेंगे कि कैसे हम इसकी पुष्टि कर पाए कि वास्तव में पुरानी सेटेलाइट तस्वीरों को हालिया तस्वीरों के रूप में चलाया गया, और जिनके आधार पर दावा किया गया कि वह स्थान हवाई हमले में ध्वस्त हो गया।

तथ्य-जांच

हमने अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र की (ज़ूम-आउट) सेटेलाइट तस्वीरें, जिन्हें ज़ी न्यूज़ के प्रसारण में दिखलाया गया, तुलना करने के लिए नीचे रखी हैं।

ऊपर दिए कोलाज में, बायीं ओर की तस्वीर Google Maps से ली गई थी, जबकि दायीं ओर की Zoom Earth से ली गई थी। दाहिनी ओर का दृश्य 25 अप्रैल 2018 का है, जबकि ज़ी न्यूज़ के प्रसारण में इसे 23 फरवरी 2019 के दृश्य के रूप में प्रस्तुत किया गया था।

आसपास की इमारतों की तुलना

यह पता लगाने के लिए, कि तस्वीरें कितनी पुरानी हैं, हमने उस स्थल जिसे ज़ी न्यूज़ ने बमबारी स्थल बताया था, के नजदीक वर्षों से मौजूद इमारतों में हुए परिवर्तनों को देखने के लिए उन इमारतों की तस्वीरों से तुलना की। नीचे दी जा रही तस्वीर, सवालिया स्थल के आसपास के क्षेत्र की गूगल अर्थ द्वारा ली गई सबसे हाल की सेटेलाइट तस्वीर है। इसे 25 अप्रैल 2018 को लिया गया था।

यह उसी स्थल की ज़ूम अर्थ सेटेलाइट तस्वीर है जिसकी कोई तारीख उल्लिखित नहीं है। इस तस्वीर में स्पष्ट लिखा है, “यहां हर दिन की तस्वीरें उपलब्ध नहीं हैं”।

यह समझकर कि ज़ूम अर्थ सेटेलाइट तस्वीर में पुराना दृश्य है, हम ऊपर की तस्वीरों में ‘2’ के रूप में चिह्नित इमारत की तुलना करेंगे और दिखलाएंगे की कैसे कुछ वर्षों में इनमें परिवर्तन हुए।

GHS-JABA बिल्डिंग

कुछ वर्षों में, दिखलाई गई इमारत की छत में व्यापक परिवर्तन हुए। बायीं ओर से पहली तस्वीर जिसमें प्लेन छत है, वह 27 अप्रैल 2014 की है। 2016 में आगे बढ़ते हुए, हम छत पर अंकित पाकिस्तानी झंडा और “GHS-JABA” देख पाए। इसी प्रकार, 25 अप्रैल 2018 की उपलब्ध सबसे हाल की तस्वीर में भी वही पाकिस्तानी झंडा और वही शब्द अंकित है। ये तीनों तस्वीरें तुलना करने के लिए नीचे अगल-बगल पोस्ट की गई हैं।

ज़ी न्यूज़ द्वारा इस दावे के साथ प्रसारित तस्वीर, कि इसे हवाई हमले के बाद लिया गया, उसमें समतल छत है और पाकिस्तानी झंडा व कोई शब्द अंकित नहीं है। वास्तविकता यह है कि ज़ूम अर्थ की समतल छत वाली उपरोक्त सेटेलाइट तस्वीर, दर्शाती है कि यह 2013-2014 की उस समय की है, जब यह स्थल निर्माणाधीन था।

Paul Neave, जिन्होंने ज़ूम अर्थ एप्लिकेशन की रचना की, उन्होंने शृंखलाबद्ध ट्वीट करके दोहराया कि इस वेबसाइट पर उपलब्ध तस्वीरें कई वर्ष पुरानी हैं।

हमला स्थल भी नहीं

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के उन सदस्यों ने भी, जिन्होंने उस स्थान से रिपोर्टिंग कर रखी है, दावा किया कि ज़ी न्यूज़ द्वारा बताया गया बमबारी स्थल, वास्तव में, बमबारी स्थल है ही नहीं।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करने वाले पत्रकार जेरी डोयल (Gerry Doyle), जो जाबा, बालाकोट के वास्तविक बमबारी स्थल की सेटेलाइट तस्वीरों पर एक लेख के सह-लेखक भी हैं, ने एक ट्वीट में कहा, “मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, दाहिनी तरफ वाली वह एक, हमले के बाद की नहीं है। फिर से, पेड़ों के कवर की एकदम कमी, राह दिखलाती है।”

ऑल्ट न्यूज़ ने, रॉयटर्स के लेख में दी गई गूगल मैप्स की सेटेलाइट तस्वीरों को खोज निकाला।

हमने पाया कि ज़ी न्यूज़ के प्रसारण में हमला स्थल के रूप में दिखलाया गया स्थान, लक्षित स्थल से कम से कम 5 किलोमीटर दूर है।

सोशल मीडिया में झूठे दावे

4 मार्च को, भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने ज़ी न्यूज़ प्रसारण की एक न्यूज़ क्लिप यह कहते हुए ट्वीट की, “यह तस्वीरें साफ-साफ बता रही है कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी आतंकी ट्रेनिंग कैंप के परखच्चे उड़ा दिए।”

भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष रंजन राय और गौरव प्रधान, जिन्होंने पूर्व में कई बार भ्रामक सूचनाओं को बढ़ाया है, ने भी यही दावे किए।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.