क्या पी.वी. नरसिम्हा राव कांग्रेस पार्टी से पहले प्रधानमंत्री थे, जो गांधी परिवार से संबंधित नहीं थे? टाइम्स नाउ की प्रबंध संपादक और प्राइम टाइम शो न्यूज़ ऑवर (Newshour) की एंकर नविका कुमार के अनुसार, हाँ। 16 नवंबर, 2018 को नविका कुमार कुछ ऐसा ही अपने प्राइम टाइम शो में लाइव बोल रही थीं।
Navika Kumar on #ModiChaiwalaDare
Posted by TIMES NOW on Friday, 16 November 2018
जैसा कि उपरोक्त वीडियो में 1:20वें मिनट से 2:13वें मिनट तक नविका कुमार को यह कहते सुना जा सकता है, “प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कहा है कि वे इस तथ्य से निकल ही नहीं पा रहे हैं कि एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन गया है – (अनुवादित)।” नविका कहना जारी रखती हैं, “अगर नेहरू ने इस देश में ऐसे ही प्रजातांत्रिक प्रयासों से संरचनाएं बनाई हैं, तो इस देश में गैर-गांधी प्रधानमंत्री इतने कम क्यों हैं? क्यों नेहरू ने केवल अपनी बेटी इंदिरा गांधी को अपना उत्तराधिकारी निमित किया? क्यों कोई और नहीं था जो नेहरू के नक्शे-कदम पर आगे बढ़ पाया? पी.वी. नरसिम्हा राव, जो इस देश के पहले गैर-गांधी प्रधानमंत्री बने, उनसे वैसा व्यवहार क्यों किया गया; जब उनकी मृत्यु हुई, उनके मृत शरीर को कांग्रेस के कार्यालय के अंदर भी नहीं लाया गया – (अनुवादित)?”
यहां यह ध्यान देने योग्य है कि नविका कुमार ने जाहिर तौर पर प्रधानमंत्री को उद्धृत किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में अपने बारे में उल्लेख किया था और उनके प्रधानमंत्री बन जाने पर कांग्रेस पार्टी की नाराजगी के बारे में बात की थी। उन्होंने पी.वी. नरसिंह राव या कांग्रेस पार्टी से गैर-गांधी प्रधानमंत्री का कोई संदर्भ नहीं दिया। ये नविका कुमार के खुद के शब्द हैं। वह प्रधानमंत्री मोदी को उद्धृत करने से शुरू होती हैं और फिर अपने अनुमानित विचार बताने लगती हैं।
नविका कुमार का यह एकालाप हाल ही कांग्रेस नेता शशि थरूर द्वारा दिए गए बयान के संदर्भ में था। थरूर ने कहा था कि यह नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी द्वारा स्थापित संस्थागत संरचना थी, जिसने एक ‘चाय वाले’ के लिए देश का प्रधानमंत्री बन जाना संभव कर दिया।
क्या नरसिम्हा राव पहले गैर-गांधी कांग्रेस पीएम थे?
नविका कुमार का बयान, कि पी.वी. नरसिम्हा राव, जो 1991 में प्रधानमंत्री बने, देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने जो गांधी परिवार के नहीं थे, झूठा है। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा प्रदान करने वाले राजनेताओं की सूची प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उसका स्क्रीनशॉट नीचे पोस्ट किया गया है।
कालानुक्रमिक रूप से, जवाहरलाल नेहरू 15 अगस्त, 1947 से लेकर, मृत्युपर्यन्त, 27 मई, 1964 तक प्रधानमंत्री थे। नेहरू के बाद गुलजारी लाल नंदा ने 27 मई, 1964 से 9 जून, 1964 तक 13 दिनों के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में काम किया था। 9 जून, 1964 को नंदा की जगह पर लाल बहादुर शास्त्री आ गए, जिन्होंने 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी थी।
गुलजारी लाल नंदा और लाल बहादुर शास्त्री दोनों कांग्रेस पार्टी के थे, और नेहरू-गांधी परिवार के नहीं थे। नंदा ने दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी थी (1966 में शास्त्री की मौत के बाद उन्होंने 13 दिनों के लिए फिर से शपथ ली थी)। शास्त्री पूर्णकालिक प्रधानमंत्री थे जिन्होंने जून 1964 से जनवरी 1966 तक सेवा दी थी।
भारत के प्रधानमंत्री के बारे में जानकारी निःशुल्क और आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध है। अगर कोई स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास से अनजान है तो केवल बुनियादी शोध की जरूरत है। प्रधानमंत्री को कांग्रेस पार्टी के ‘कुलीनवाद’ के निशाने पर दिखलाने की हड़बड़ी में, टाइम्स नाउ ने गलत और पक्षपातपूर्ण जानकारी से दर्शकों को गुमराह किया।
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