कई भारतीय मीडिया आउटलेट्स ने अप्रैल की शुरुआत में रिपोर्ट किया कि हार्वर्ड के एक अध्ययन में योगी सरकार की तारीफ़ की गयी है. ये तारीफ़ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बाकि राज्यों की सरकार के मुकाबले प्रवासी मज़दूरों के संकट में किये गए बेहतर काम को लेकर है.
न्यूज़ नेशन के कंसल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया ने लिखा, “हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का कोविड प्रबंधन पर CM योगी आदित्यनाथ को सलाम, @myogiadityanath से विश्व को सीखने की सलाह.”
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का कोविड प्रबंधन पर CM योगी आदित्यनाथ को सलाम, @myogiadityanath से विश्व को सीखने की सलाह।
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) April 9, 2021
ऐसी ख़बर छापने वालों में टाइम्स नाउ, हिंदुस्तान टाइम्स, एशियानेट न्यूज़, जागरण, वन इंडिया, द फ़्री प्रेस जर्नल, मेन्स XP, द तत्त्व, न्यूज़रूम पोस्ट, माय नेशन, स्वराज्य और शॉर्टपीडिया शामिल हैं.
TV9 भारतवर्ष और द न्यूज़ ने अपने यूट्यूब चैनल्स पर इस बाबत वीडियो रिपोर्ट्स भी अपलोड किये.
फ़ैक्ट-चेक
जिस स्टडी की बात हो रही है उसका टाइटल है- “कोविड-19 और प्रवासी संकट का समाधान: उत्तर प्रदेश पर एक रिपोर्ट (COVID-19 & the migrant crisis resolution: A report on Uttar Pradesh).” इसे इंस्टिट्यूट फ़ॉर कम्पेटिटिवनेस (IFC) ने छापा था और न कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने. इसके अलावा, इस अध्ययन में UP सरकार के बारे में जो निष्कर्ष निकाला गया है, मीडिया ने उसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया है.
हार्वर्ड ने नहीं तैयार की ये स्टडी
मीडिया जिस रिपोर्ट का सन्दर्भ दे रही है उसे इंस्टिट्यूट फ़ॉर कम्पेटिटिवनेस (IFC) ने तैयार किया है. इस रिपोर्ट के कवर पेज पर IFC के अलावा माइक्रोइकोनॉमिक्स ऑफ़ कम्पेटिटिवनेस (MOC) का लोगो है जो हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से एफ़िलिएटेड संस्थान है. MOC हार्वर्ड से मान्यता प्राप्त कोर्स है जिसमें प्रतिस्पर्धा और आर्थिक विकास पर पढ़ाया जाता है. इस कोर्स को प्रोफ़ेसर माइकल पोर्टर और उनके साथियों और इंस्टिट्यूट फ़ॉर स्ट्रेटेजी ऐंड कम्पेटिटिवनेस (ISC) से सम्बद्ध संस्थानों ने तैयार किया है.
ISC मैसाचुसेट्स के बॉस्टन में स्थित हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल का एक ग़ैर लाभकारी रिसर्च, शिक्षण और नीति तैयार करने वाला संगठन है. इसके 2021 के प्रॉस्पेक्टस के मुताबिक, “MOC एफ़िलिएट नेटवर्क का मकसद स्थानीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा को समझना, सिखाना और उच्च स्तरीय ढांचे के साथ इसमें बेहतरी लाना है. हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल (HBS) के इंस्टिट्यूट फ़ॉर स्ट्रेटेजी ऐंड कम्पेटिटिवनेस (ISC) ने कोर्स और टीचिंग मटेरियल तैयार किया. साथ ही इस कोर्स को पूरी दुनिया तक पहुंचाने के लिए नेटवर्क भी बनाया. इस नेटवर्क के ज़रिये सम्बद्ध शिक्षण यूनिवर्सिटीज़ MOC पाठ्यक्रम लोगों तक समय खर्च किए आसानी से पंहुचा पाते हैं.”
प्रॉस्पेक्टस में IFC (लाल बॉक्स में) को MOC एफ़िलिएट संस्थान बताया गया है. पूरी दुनिया में कुल 120 एफ़िलिएट संस्थान है जिसमें 4 भारत में हैं (हरे बॉक्स में).
IFC की वेबसाइट के मुताबिक, ये हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल के स्ट्रेटेजी ऐंड कम्पेटिटिवनेस (ISC) के वैश्विक नेटवर्क का भारतीय अंग है. पाठक गौर करें कि IFC ने खुद को हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल का हिस्सा नहीं बताया है. और सबसे ज़रूरी बात, जिस रिपोर्ट का सारा मामला है, वो न ही ISC की वेबसाइट पर है और न ही HBS की वेबसाइट पर.
हार्वर्ड कैनेडी स्कूल की पूर्व छात्रा स्मृति अय्यर ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “जहां तक मुझे जानकारी है, ‘हार्वर्ड स्टडी’ जैसा कुछ है ही नहीं. रिसर्च आमतौर पर संस्थानें, प्रोफ़ेसर्स या हार्वर्ड में केन्द्रित विभिन्न रिसर्च अंग करते हैं. अधिकतर अध्ययनों में यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि इसे तैयार करने वाले लोगों का नाम जाता है. लेकिन कई बार रिसर्च को और विश्वसनीय बनाने के लिए लोग अक्सर इसे हार्वर्ड स्टडीज़ बता देते हैं जो कि भ्रामक है.”
ISC की कम्पेटिटिवनेस ऐंड इकॉनोमिक डेवलपमेंट प्रोग्राम मैनेजर, केटलिन बी. अहेर्न ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “MOC एफ़िलिएट की स्टडी को हार्वर्ड स्टडी बताना सही नहीं है.”
जहां तक बात MOC लोगो की है, केटलिन अहेर्न ने बताया कि सम्बद्ध संस्थानों को आतंरिक उद्देश्यों में लगाने की अनुमति है. लेकिन कोई भी ऐसा लोगो, सील, बिल्ला, शील्ड या अन्य शब्द, नाम या प्रतीक हार्वर्ड (अकेले या किसी और नाम के साथ) या किसी भी हार्वर्ड स्कूल, केंद्र, विभाग या एफ़िलिएट से जुड़े हैं तो उसका इस्तेमाल कोर्स कैटलॉग, विज्ञापन या अन्य प्रमोशन जैसे बाहरी इस्तेमाल के लिए लिखित में अनुमति लेनी होती है. हार्वर्ड के ट्रेडमार्क के बारे में पूरी जानकारी हार्वर्ड ट्रेडमार्क प्रोग्राम पर पढ़ सकते हैं. एक बार फिर दोहरा दें कि MOC एक कोर्स है जिसे हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल के ISC ने बनाया है. इसलिए केटलिन ने जो नियम बताये हैं, वो यहां लागू होते हैं.
केटलिन अहेर्न का जवाब आने के बाद IFC के ऑनरेरी चेयरमैन अमित कपूर ने ऑल्ट न्यूज़ से बात की. उन्होंने ई-मेल के ज़रिये हमें बताया, “MOC की स्टडी को हार्वर्ड स्टडी बताना सही नहीं है.” उन्होंने आगे कहा, “मीडिया रिपोर्ट्स में जो बताया गया है कि यूपी सरकार ने प्रवासियों के संकट को बाकी राज्य से ज़्यादा बेहतर संभाला है, वो सही नहीं है. इस रिपोर्ट में किसी और राज्य से तुलनात्मक विश्लेषण नहीं है. ये उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों और उठाये गए क़दमों का दस्तावेज़ है.”
इस रिपोर्ट के पेज नंबर 70 पर निष्कर्ष लिखा है, “हालांकि यूपी सरकार ने मौजूदा योजनाओं और समझौता ज्ञापन के ज़रिये उन्हें अपने घर के निकट ही आर्थिक मौके उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाये हैं, लेकिन दीर्घकालिक नज़रिए से रोज़गार पैदा किया जाना अभी बाकी है.”
हमने अमित कपूर और केटलिन से आखिरी सवाल किया कि क्या IFC का अपनी इस रिपोर्ट में हार्वर्ड का लोगो इस्तेमाल किया जाना हार्वर्ड ट्रेडमार्क प्रोग्राम का नियम तोड़ता है? केटलिन अहेर्न ने इसका जवाब नहीं दिया है लेकिन अमित कपूर ने कहा कि ये हार्वर्ड ट्रेडमार्क प्रोग्राम का नियम नहीं तोड़ता है. उन्होंने कहा, “ये दस्तावेज़ आतंरिक इस्तेमाल के लिए था न कि सार्वजानिक करने के लिए. इसके अलावा, अगर आप ध्यान दें, इस स्टडी में कहीं भी इसे हार्वर्ड स्टडी नहीं कहा गया है. बल्कि इसे इंस्टिट्यूट फ़ॉर कम्पेटिटिवनेस का काम बताया गया है. हमें अंदेशा नहीं था कि लोग इसे ग़लत समझ लेंगे. इस रिपोर्ट से लोगो को हटा लिया जाएगा ताकि ग़लतफ़हमी न रहे.”
UP सरकार के अधिकारियों के व्हाट्सऐप पर भेजे गये मेसेज को न्यूज़ रिपोर्ट समझा गया
उत्तर प्रदेश के एक पत्रकार ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि व्हाट्सऐप पर पत्रकारों के लिए एक्सक्लूज़िव मेसेज भेजा गया था. प्रशासन के अधिकारियों ने यूपी के बारे में इस स्टडी का मेसेज एक प्रेस नोट के रूप में भेजा था.
इस मेसेज का टाइटल है- ‘परीक्षा की घड़ी में धरती पर प्रवासियों के लिए स्वर्ग.’ और इस मामले पर रिपोर्ट करते हुए न्यूज़रूम पोस्ट ने यही हेडिंग दी.
यानी साफ़ है कि यूपी सरकार और मीडिया ने IFC की रिपोर्ट को हार्वर्ड स्टडी बता दिया. इसके अलावा, IFC के ऑनरेरी चेयरमैन अमित कपूर ने भी ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि इस रिपोर्ट से हार्वर्ड का लोगो हटा दिया जाएगा.
इससे पहले ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसी ही एक अन्य रिपोर्ट के बारे में भ्रामक मीडिया रिपोर्टिंग की सच्चाई बताई थी. कुछ मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्ट किया था कि जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने उत्तर प्रदेश को कोविड प्रबंधन के लिए सर्वश्रेष्ठ काम करने वाले प्रसाशन में गिना है. लेकिन ये रिपोर्ट तैयार करने वालों में शामिल जॉन्स हॉपकिन्स डिपार्टमेंट ऑफ़ इंटरनेशनल हेल्थ के प्रोफ़ेसर डॉ. डेविड पीटर्स ने इस दावे को ख़ारिज किया.
भाजपा सदस्य ने इस भ्रामक रिपोर्ट को शेयर कर योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ की
यूपी सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक शिशिर सिंह ने हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट शेयर की जिसमें कहा गया है कि हार्वर्ड ने योगी आदित्यनाथ सरकार की तारीफ़ की है.
Harvard University study appreciates the deft handling of migrant crisis by @UPGovt under the leadership of @myogiadityanath ji. pic.twitter.com/RHpv2s3xOr
— Shishir (@ShishirGoUP) April 7, 2021
भाजपा दिल्ली के प्रवक्ता तेजिंदर सिंह बग्गा ने तत्त्व की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया जिसकी हेडिंग है, “दुनिया को सीएम योगी से महामारी और प्रवासी संकट का प्रबंधन सीखना चाहिए: हार्वर्ड स्टडी में यूपी सरकार की तारीफ़ की गयी.” उनके ट्वीट को 3,000 से ज़्यादा लोग रीट्वीट कर चुके हैं.
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) April 9, 2021
भाजपा सदस्य मेजर सुरेन्द्र पूनिया (Retd.) ने भी ये स्क्रीनशॉट शेयर किया.
भाजपा सदस्य विनीत गोएंका ने हिंदुस्तान टाइम्स की डिजिटल न्यूज़ स्टोरी शेयर करते हुए लिखा, “जहां एक तरफ़ दिल्ली में कई प्रवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया और आम आदमी पार्टी के मूंह फेरने के बाद लोगों को भारी संख्या में वापस लौटना पड़ा, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जी ने प्रवासी संकट से निपटने में बेहतरीन काम किया. सीएम अरविन्द केजरीवाल को इससे सीख लेनी चाहिये.”
While several migrants were left to fetch for their own in #Delhi leading to exodus due to the apathy of Aam Aadmi…
Posted by Vinit Goenka on Wednesday, April 7, 2021
भाजपा समर्थक डॉ ऋचा राजपूत ने भी हार्वर्ड स्टडी के इस रिपोर्ट को शेयर किया.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का कोविड प्रबंधन पर CM योगी आदित्यनाथ को सलाम, कहा कोविड प्रबंधन योगी जी से विश्व को सीखने की सलाह।
एक योगी किसी भी हॉर्वर्ड वालों पर भारी है ।
— Dr. Richa Rajpoot (@doctorrichabjp) April 9, 2021
ट्विटर यूज़र @nehaltyagi08 और सोशल मीडिया इन्फ़्लूएन्सर ने यही दावा करते हुए लिखा, “East or West, Maharaj is the Best.” इसे 2,000 से ज़्यादा लोग रीट्वीट कर चुके हैं.
East or West, Maharaj is the Best ❤ pic.twitter.com/LI6ARjn9l5
— Nehal Tyagi (नेहल त्यागी) (@nehaltyagi08) April 9, 2021
इसके अलावा, कई प्रो-भाजपा फ़ेसबुक पेज जैसे, नेशन विद नमो, पोस्टकार्ड और पीएमओ इंडिया: रिपोर्ट कार्ड किया ने भी इस स्टडी को हार्वर्ड स्टडी बताते हुए शेयर किया.
हरियाणा के करनाल में हो रही वेब सीरीज़ की शूटिंग के दृश्य को लोगों ने असली घटना बताकर शेयर किया
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