सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया पर धड़ल्ले से ये दावा किया जा रहा है कि मारे गए गैंगस्टर अतीक अहमद ने 2008 में अमेरिका के साथ भारत के परमाणु समझौते पर विश्वास मत के लिए UPA का समर्थन किया था. ज्ञात हो कि जो कि 2004 से 2008 तक अतीक अहमद समाजवादी पार्टी से सांसद थे. वायरल दावे में आगे कहा गया है कि अतीक अहमद के वोट ने ही ‘UPA सरकार को गिरने से बचाया’ था.

प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (PTI) ने 16 अप्रैल को एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसका टाइटल है, “भारत का अमेरिका के साथ परमाणु समझौता, कैसे 2008 में अतीक अहमद के महत्वपूर्ण वोट ने UPA सरकार को बचाने में मदद की.” रिपोर्ट में कहा गया है कि “2008 में अतीक अहमद सहित 6 आपराधिक राजनेताओं को सिर्फ 48 घंटे के अंदर अलग-अलग जेलों से छुट्टी दे दी गई थी. साथ ही इन ‘बाहुबलीज’ की एक किताब में दावा किया गया था कि सरकार और अमेरिका के साथ भारत का असैन्य परमाणु समझौता पर उनके वोट मुसीबत में फंसे UPA को बचाने के लिए महत्वपूर्ण थे.

17 अप्रैल को आजतक टीवी के होस्ट सुधीर चौधरी ने अपने प्राइम टाइम शो ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ में इस दावे को आगे बढ़ाया.

ऊपर पोस्ट किए गए विडिओ में 5 मिनट 36 सेकेंड पर सुधीर चौधरी कहते हैं कि “वर्ष 2008 में जब UPA की सरकार को संसद में नो-कॉन्फिडेंस मोशन का सामना करना पड़ा था, उस समय उसके लिए एक-एक सांसद का वोट बहुत ज़रूरी था. और इसीलिए तब UPA की सरकार ने ऐसे सांसदो से भी बात की जो सांसद अपराधी थे और उस समय जेल में बंद थे. उन सांसदो में तब अतीक अहमद भी शामिल थे. उस समय अतीक अहमद, फरलो लेकर यानी जेल से कुछ दिनों का छुट्टी लेकर बकायदा संसद में आकर UPA की सरकार के पक्ष में वोट डालने आया था जिससे ये पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी ने भी एक समय में अतीक अहमद की सेवाओं का पूरा फायदा उठाया है और उसकी सेवाएं ली हैं.”

PTI के आर्टिकल के आधार पर डेक्कन हेरल्ड, NDTV, द इकोनॉमिक टाइम्स, द प्रिंट, ऑपइंडिया, इंडिया टुडे, आज तक, अमर उजाला, ABP लाइव, ABP देशम, एशियानेट न्यूज़, TV9 हिंदी, TV9 मराठी, जनसत्ता, दैनिक जागरण और India.com सहित अलग-अलग मीडिया संगठनों ने भी आर्टिकल्स पब्लिश किए हैं.

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इसे अलग-अलग हिंदी न्यूज़ पेपर्स में भी छापा गया था.

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DD न्यूज़ ने शो ‘रीमा पराशर के साथ 5 की पंचायत’ में भी इस वायरल दावे पर रिपोर्ट पब्लिश की. इस आर्टिकल का टाइटल था, “माफिया अतीक अहमद के वोट से बची थी यूपीए सरकार.” हालांकि, वीडियो में पैनलिस्ट प्रमोद सिंह ने कहा कि उन्होंने संसद रिकॉर्ड की जांच नहीं की है और वो इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि अतीक अहमद ने 2008 में UPA सरकार के पक्ष में मतदान किया था या नहीं. (आर्काइव)

ये पोस्ट ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी वायरल है. @HindolSengupta, @neerajdubey, @ManojSr60583090, @MukeshK90199910 और @22pekhatar35756 जैसे ट्विटर यूज़र्स ने भी इसी तरह के दावे ट्वीट किए हैं.

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फ़ैक्ट-चेक

सबसे पहले, ऑल्ट न्यूज़ ने लोकसभा की डिजिटल लाइब्रेरी में विश्वास प्रस्ताव के पार्लियामेंट रिकॉर्ड की तलाश की जिससे 2008 की संसदीय चर्चा का एक PDF ट्रांसक्रिप्ट सामने आया. इसके टाइटल का हिंदी अनुवाद है, “21 जुलाई, 2008 को डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत मंत्रिपरिषद में विश्वास प्रस्ताव पर आगे की चर्चा.” इस डॉक्यूमेंट से विश्वास मत का ब्रेक-अप मिलता है.

डाक्यूमेंट् के पेज 112 में लोकसभा के सभी सदस्यों के नाम ‘NOES’ के नीचे सूचीबद्ध हैं जिसका मतलब है कि ये उनके नाम हैं जिन्होंने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था. इस हिस्से में अतीक अहमद का नाम भी देखा जा सकता है जिसका मतलब है कि उन्होंने 2008 में UPA सरकार के पक्ष में मतदान नहीं किया था.

इसके बाद, हमने गूगल पर की-वर्ड्स सर्च किया. हमें 2008 की न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें कहा गया था कि अतीक अहमद ने UPA सरकार को वोट नहीं दिया था. जुलाई 2008 में इंडिया टुडे द्वारा पब्लिश एक रिपोर्ट में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी ने विश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार के खिलाफ मतदान करने वाले 6 सांसदों को निष्कासित कर दिया था. रिपोर्ट में कहा गया है, “जिन सांसदों को पार्टी से निकाला गया है उनमें जय प्रकाश (मोहनलालगंज), एसपी सिंह बघेल (जलेसर), राजनारायण बुधोलिया (हमीरपुर), अफजल अंसारी (गाजीपुर), अतीक अहमद (फूलपुर) और मुनव्वर हुसैन (मुजफ्फरनगर) शामिल हैं.”

Rediff.com ने भी 2008 में यूपीए सरकार के खिलाफ विश्वास प्रस्ताव में मतदान करने के बाद समाजवादी पार्टी से अतीक अहमद के निष्कासन की ऐसी ही रिपोर्ट पब्लिश की थी.

PTI ने अपनी ग़लती मानी

PTI ने 17 अप्रैल, 2023 को एक और रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें साफ़ किया गया था कि “रविवार को, PTI की एक रिपोर्ट को एक किताब – “बाहुबलिज ऑफ़ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बैलट” से कोट किया गया था – जिसमें दावा किया गया था कि इसमें कोई शक नहीं है कि अतीक अहमद ने “कर्तव्यपरायणता से अपना कीमती वोट संकटग्रस्त यूपीए के पक्ष में डाला था. रिपोर्ट में आगे जोड़ा गया, हालांकि, “संसद के रिकॉर्ड के मुताबिक, ये दावा ग़लत है.” इसके बाद, कुछ मीडिया आउटलेट्स ने ये भ्रामक रिपोर्ट्स हटा दी.

किताब के लेखक ने इसे ऑनेस्ट मिस्टेक कहा

हमने नोटिस किया कि PTI की रिपोर्ट ने इस सूचना के प्राथमिक सोर्स के रूप में राजेश सिंह (रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित) की किताब, “बाहुबलिज ऑफ़ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बैलट” का हवाला दिया.

किताब के आठवें चैप्टर में जिसका टाइटल ‘डॉन इन, डॉन आउटसाइड: अतीक अहमद’ है. लेखक राजेश सिंह ने लिखा कि 2008 में जब सरकार ने USA के साथ सिविल न्यूक्लियर डील पर आगे बढ़ने का फैसला किया था, तब “मनमोहन सिंह सरकार को होने वाले पतन से अतीक अहमद ने बचाया” था. राजेश सिंह ने आगे कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर अतीक अहमद ने “कर्तव्यनिष्ठा से अपना कीमती वोट, संकटग्रस्त यूपीए के पक्ष में डाला था.” लेखक ने इस जानकारी के लिए किसी भी सोर्स का हवाला नहीं दिया.

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ऑल्ट न्यूज़ ने लेखक राजेश सिंह से बात की. उन्होंने कहा, ”अतीक अहमद ने UPA सरकार के पक्ष में वोट नहीं किया था. ये एक ऑनेस्ट मिस्टेक थी. मैंने मान लिया था कि उन्होंने पक्ष में मतदान किया होगा, लेकिन ये मेरी भूल थी.

2008 संसद में विश्वास मत

8 जुलाई, 2008 को लेफ़्ट फ्रंट ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के परमाणु समझौते को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. इसके लिए संसद में विश्वास मत की ज़रूरत थी. दो दिनों की बहस के बाद, UPA के खिलाफ 256 वोट आए और इसके पक्ष में 275 वोट आए जिसके साथ UPA ने फ्लोर टेस्ट जीता था.

बीबीसी ने रिपोर्ट किया कि UPA सरकार के लिए विश्वास मत इतना ज़रुरी था कि सांसदों को बीमार बिस्तर से और यहां तक ​​कि जेल की कोठरी से भी मतदान में भाग लेने के लिए बुलाया गया था. मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने सरकार को समर्थन देने का फैसला किया था. इसलिए, पार्टी ने बाद में प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले सभी 6 सदस्यों (जिसमें अतीक अहमद भी शामिल थे) को निष्कासित कर दिया.

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने “अतीक अहमद: ए ‘शिफ्टी’ पॉलिटिशियन, डिच्ड मुलायम सिंह यादव ऑन न्यूक्लियर डील” टाइटल से एक आर्टिकल पब्लिश किया जिसमें कहा गया है कि 2008 में “अतीक सपा के सांसद थे और मुलायम के करीबी माने जाते थे. लेकिन उन्होंने 22 जुलाई, 2008 को अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव के दौरान केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ वोट देकर पार्टी whip का उल्लंघन किया था.”

कुल मिलाकर, PTI सहित कई मेनस्ट्रीम मीडिया आउटलेट्स ने ये ग़लत सूचना दी कि तत्कालीन समाजवादी पार्टी के नेता अतीक अहमद ने 2008 में अमेरिका के साथ भारत के परमाणु समझौते का समर्थन करने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार के पक्ष में मतदान किया था. हमारे फ़ैक्ट-चेक से पता चला कि अतीक अहमद ने 2008 में अपनी पार्टी के whip का उल्लंघन करते हुए UPA के खिलाफ मतदान किया था जिसके बाद उन्हें मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. वायरल दावा कि अतीक अहमद ने 2008 में मनमोहन सिंह की सरकार को ‘बचाया’ निराधार है.

अबिरा दास ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

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