फिल्म पद्मावत पर उठे विवाद और उसके बाद कई राज्यों में फैली हिंसा टेलीविजन पर प्राइम टाइम की सबसे बड़ी खबर थी और शायद ऐसा ठीक ही है। कानून व्यवस्था चरमराना एक गंभीर चुनौती है। अनियंत्रित गुस्से और तोड़फोड़ जिससे राज्य की वैद्यता और अधिकार के लिए खतरा पैदा होता है को रेखांकित करना मीडिया का काम है। इस खबर की रिपोर्ट करते हुए करणी सेना जैसे संगठनों और समूह को बार-बार फ्रिंज कहा गया। फ्रिंज अब एक देशव्यापी खतरा बन गया है हालांकि मुख्यधारा मीडिया के एक हिस्से के लिए यह अभी भी फ्रिंज है।
फ्रिंज को ‘किसी क्षेत्र समूह या गतिविधि के दायरे के बाहरी हाशिए या उग्र हिस्से’ के तौर पर परिभाषित किया गया है। इस खास संदर्भ में इस शब्द का मतलब संगठनों के उन उग्र तत्वों से है जो अपने नजरिए और दृष्टिकोण में रूढ़िपंथी हैं। जब भी उन्हें इनमें से किसी समूह द्वारा आगजनी और हिंसा की रिपोर्ट देनी होती है तो शब्द फ्रिंज टेलीविजन न्यूज चैनलों के लिए बहुत आसान शब्द बन जाता है इसी परिभाषा से पता चलता है कि ये तत्व इसी ‘क्षेत्र’, ‘समूह’ या ‘गतिविधि के दायरे’ के ‘बाहरी’ या ‘हाशिए पर रहने वाले’ तत्व हैं इसलिए यह मुख्यधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। टीवी चैनलों द्वारा फ्रिंज के तौर पर बताए गए ऐसे समूह और संगठन हैं करणी सेना, हिंदू युवा वाहिनी, हिंदू सेना, हिंदू मक्कल कच्ची आदि। इनके अलावा विभिन्न धार्मिक तबकों से संबंधित अन्य समूह और संगठनों को भी फ्रिंज बताया गया है ।
तो क्या ये समूह वाकई फ्रिंज हैं या वे व्यापक प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं? ऑल्ट न्यूज़ ने इन समूहों और उनके राजनीतिक सम्बंधों के इतिहास पर नजर डाली।
1. राजपूत करणी सेना
मुख्यधारा के मीडिया के अनुसार करणी सेना देश का सबसे नया फ्रिंज संगठन है। लेकिन क्या यह वाकई फ्रिंज संगठन है या इस समूह के सदस्य सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए हैं। सीएनएन न्यूज़ 18 ने करणी सेना को फ्रिंज बताया है।
[OPINION] Is this the #NewIndia that we want to showcase to the rest of the world? CNN-News18's @Zakka_Jacob pens an open letter to 'Fringe AKA Karni Sena' #IWillSeePadmaavat #PadmaavatRow #Padmaavat https://t.co/dR62VwdIti
— News18 (@CNNnews18) January 25, 2018
राजपूत करणी सेना के संस्थापक अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह कालवी जिन्हें फिर से फ्रिंज नेता बताया गया है, भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे। रिपब्लिक टीवी ने हैशटैग #IndiavsFringe के साथ करणी सेना प्रमुख के रूप में कालवी को रखते हुए खबर प्रस्तुत की।
#IndiaVsFringe | WATCH: Arnab confronts Karni Sena chief Lokendra Kalvi over Padmaavat violence. Watch the full interview here – https://t.co/4pqlzr1ONM pic.twitter.com/FTTA760zTN
— Republic (@republic) January 24, 2018
कालवी बाड़मेर से बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवार थे लेकिन वह हार गये। 2008 में वे कांग्रेस से जुड़े लेकिन 2014 में फिर से BJP में शामिल कर लिए गए जिसे राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मास्टर स्ट्रोक कहा था। ऑल्ट न्यूज़ ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसे यहां पढ़ा जा सकता है। किसी भी टीवी चैनल ने बीजेपी के साथ उसके रिश्तों का जिक्र नहीं किया।
रिपब्लिक टीवी ने करणी सेना के नेता सूरजपाल अमू को फ्रिंज नेता बताया।
#NetasBackFringe | WATCH: Aisi baat karne se pehle main logo ka muh band kar deta hoon: Suraj Pal Amu threatens Republic TV for its coverage of #Padmaavathttps://t.co/yHW2jt8wNV
— Republic (@republic) January 25, 2018
यह ध्यान देना गौरतलब है कि कुछ ही समय पहले तक अमू भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा इकाई के मुख्य मीडिया संयोजक थे। उनकी विवादास्पद टिप्पणी जिसमें उन्होंने पद्मावती की अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और निर्देशक संजय लीला भंसाली के सिर पर इनाम घोषित किया था, उसके बाद मचे हंगामे के कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दिया था। जैसी कि उम्मीद थी, भारतीय जनता पार्टी ने उनसे किनारा कर लिया और उन्होंने स्वयं कहा कि यह टिप्पणी ‘व्यक्तिगत रूप’ से दी थी। अमू बीजेपी के साथ 1984 में जुड़े थे।
2. हिंदू युवा वाहिनी
#BREAKING: Fringe strikes in U.P, youth abused and thrashed as he was accused of 'love jehad', cops remain mute spectators pic.twitter.com/OTRjdCnm0i
— TIMES NOW (@TimesNow) January 14, 2018
ऊपर दिए गए वीडियो क्लिप के साथ के ट्वीट में कहा गया है ”यूपी में फ्रिंज तत्वों ने हमला बोला, युवा के साथ गाली-गलौज और धक्का-मुक्की हुई क्योंकि वह ‘लव जिहाद’ का आरोपी था। ट्वीट में जो बताने से रह गया था, उसे एंकर ने बताया जिसने कहा कि लव जिहाद के बहाने से युवा पर हमला करने के लिए यूपी पुलिस ने हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों को गिरफ्तार किया था। हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों को टाइम्स नाउ द्वारा फ्रिंज कहा गया है। हिंदू युवा वाहिनी हिंदू युवाओं का उग्र दस्ता है जिसकी स्थापना 2002 में यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई थी। इस संगठन पर इसकी स्थापना के समय से ही दंगा, आगजनी, अपहरण और जातिगत हिंसा करने के आरोप लगते रहे हैं और यह ‘लव जिहाद’ और ‘घर वापसी’ जैसे मुद्दों की वजह से लगातार खबरों में बना रहता है।
Fringe group Hindu Yuva Vahini strikes again in UP’s Bulandshahr; Muslim man beaten to death over kidnapping of Hindu girl #HateVahini pic.twitter.com/ghhxVpPuhL
— TIMES NOW (@TimesNow) May 3, 2017
यहां पर तर्क स्वयं गलत साबित हो जाता है, उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री द्वारा स्थापित और राज्य में पूरी तरह सक्रिय कोई संगठन कैसे फ्रिंज कहा जा सकता है।
3. बजरंग दल
बजरंग दल को भी फ्रिंज संगठन के तौर पर बताया गया है। 2016 में टाइम्स नाउ ने संगठन द्वारा संचालित ‘प्रशिक्षण शिविर’ पर एक स्टोरी प्रसारित की थी जिस शिविर का मकसद ‘राष्ट्र को राष्ट्र विरोधी ताकतों से सुरक्षित रखना’ बताया गया था। इस स्टोरी में बजरंग दल को फ्रिंज आर्मी कहा गया था।
Are Bajrang Dal training camps deliberate attempt to polarise society in UP ahead of assembly elections in 2017? Join the debate #FringeArmy
— TIMES NOW (@TimesNow) May 24, 2016
बजरंग दल, व्यापक संघ परिवार के प्रमुख विंग में से एक है। यह विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की युवा शाखा है। 1984 में स्थापित यह संगठन सांप्रदायिक हिंसा और नफरत की कार्रवाइयों में लगातार शामिल होता रहा है। बजरंग दल के एक प्रमुख सदस्य विनय कटियार बीजेपी से जुड़े जो अब एक राज्य सभा सदस्य है फिर भी TV न्यूज़ चैनलों के लिए यह संगठन तथा नेता दोनों फ्रिंज है।
Fringe groups VHP & Bajrang Dal write to Bengaluru Police seeking cancellation of Shafqat Amanat Ali concert in Bengaluru pic.twitter.com/wDedzsT47u
— TIMES NOW (@TimesNow) September 28, 2016
इनमें से कई संगठनों का जन्म बीते कुछ वर्षों के दौरान अचानक हो गया है। इन संगठनों के बीच में एक व्यापक विचारधारात्मक समानता है जो बहुसंख्यकों के वर्चस्व और बाहुबल को व्यक्त करती है। हालांकि हिंसा की घटना होने पर व्यापक परिवार द्वारा बहुत सुविधाजनक तरीके से इनसे पल्ला झाड़ लिया जाता है।
मोहम्मद अखलाक द्वारा बीफ खाने की अफवाह पर हुई दादरी घटना में भी इन्हीं फ्रिंज तत्वों का हाथ होना बताया गया।
It's time to take a stand, because India can't be controlled by the fringe #FlashpointDadri pic.twitter.com/tzgvM8uXiL
— TIMES NOW (@TimesNow) October 7, 2015
इस बारे में सभी कयास तब गलत साबित हो गए जब सम्मान प्रकट करने की एक सार्वजनिक गतिविधि में संस्कृति व पर्यावरण राज्य मंत्री महेश शर्मा ने दादरी में मोहम्मद अखलाक के हत्यारे पर तिरंगा डाला। आरएसएस नेता मनमोहन वैद्य ने कहा था कि दादरी घटना फ्रिंज संगठनों का काम था और संघ को इसमें नहीं खींचा जाना चाहिए। यह ध्यान देने लायक बात है कि अखलाक हत्या मामले में एक आरोपी स्थानीय बीजेपी नेता का बेटा है।
उत्तर प्रदेश का बीजेपी एमएलए संगीत सोम जोकि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों का आरोपी है और जिसने पश्चिमी यूपी में सांप्रदायिक तनाव को बनाए रखने में मुख्य भूमिका निभाई है और साध्वी निरंजन ज्योति जो एक केंद्रीय मंत्री हैं, उनको BJP के प्रवक्ताओं और नेताओं द्वारा फ्रिंज बताया गया है हालांकि ये लोग पार्टी और सरकार के प्रमुख सदस्य हैं।
फिर हैदराबाद के गोशमहल विधानसभा क्षेत्र से राजा सिंह, एमएलए जैसे बीजेपी नेता हैं जो अल्पसंख्यकों और दलितों के खिलाफ नफरत भड़काने वाले भड़काऊ बयान देने के लिए कुख्यात हैं। राजा ने कई मौकों पर खुलेआम सांप्रदायिक और जातिगत बयान दिए हैं। उन्होंने ऊना, गुजरात में दलितों के खिलाफ हिंसा को सही ठहराया और हाल ही में ‘पद्मावत’ की रिलीज पर सिनेमाघरों में आग लगाने की चेतावनी दी। राजा अभी भी विधायक है।
सत्ताधारी पार्टी के सदस्य और इन तथाकथित फ्रिंज संगठनों के सदस्य के बीच नजदीकी रिश्ते को ध्यान में रखते हुए मुख्यधारा के मीडिया ने इस समस्या को किस तरह सुलझाया? टेलीविजन न्यूज चैनलों द्वारा की गई खबर में इन संगठनों और राज्य के बीच एक स्पष्ट विभाजन किया जाता है। टीवी न्यूज़ चैनलों द्वारा पूछे गए कुछ प्रश्नों के नमूने प्रस्तुत है:
‘क्या राज्य सरकार फ्रिंज गुंडागर्दी की मूकदर्शक है?’
‘क्या वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों ने फ्रिंज तत्वों को खुली छूट दी हुई है?
‘हिंसक धमकियों के बावजूद भी फ्रिंज तत्वों पर सरकार का रुख नरम क्यों है?’
‘क्या मुख्यमंत्रियों को जनता द्वारा इसलिए वोट दिया गया कि वह फ्रिंज तत्वों को खुली छूट दें?
‘फ्रिंज तत्वों को खुली छूट देकर क्या राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया?
इन सभी प्रश्नों से ऐसे सभी समूहों के बीच एक स्पष्ट विभाजन पैदा होता है जो कानून को अपने हाथ में लेते हैं और जो राज्य सरकारें तथा सत्ताधारी निकाय के राजनेता हैं। यहां मुख्य तर्क यह है कि ऐसे संगठन राज्य के विपरीत होते हैं। यहां तक की #IndiavsFringe और #FringevsPadmaavat जैसे हैशटैग और ‘अल्पसंख्यक भीड़ बनाम बहुसंख्यक शक्ति’ जैसे शीर्षकों का प्रयोग करने वाले न्यूज़ चैनल भी इनके बीच साफ विभाजन दिखाने के एक गंभीर प्रयास को छलपूर्वक पेश करते हैं। इस मामले पर मुख्यधारा के समाचार संगठनों द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट बेहद सजगता से लिखी जाती है। मुख्य सवाल कि इन ‘फ्रिंज’ समूहों और सत्ताधारी पार्टी के बीच क्या संबंध है? ये सवाल पूछने से टीवी चैनल्स क्यों कतराते है जबकि उक्त निकटता को बताने के लिए सार्वजनिक दायरे में पर्याप्त सामग्री मौजूद है। ऐसी स्थिति में राज्य द्वारा कानून का शासन बनाए रखने और कार्रवाई करने की इच्छा दिखाने की उम्मीद किस प्रकार की जा सकती है।
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