“देखो दोस्तों कैसे राहुल गांधी का यार कन्हैया कुमार सबके सामने हिन्दू धर्म की बुराई कर सबसे इस्लाम अपनाने की अपील कर रहा है…” यह फेसबुक पर अंबुज शुक्ला नामक यूजर द्वारा प्रसारित एक वीडियो का कैप्शन है। 3 नवंबर को पोस्ट किए गए इस वीडियो को 1.32 लाख से अधिक बार देखा गया और इसके 4,900 शेयर हुए।

दरअसल यह वीडियो इन दिनों फेसबुक पर वायरल है।

ट्विटर पर भी कईयों ने, नकली समाचार वेबसाइट दैनिक भारत का लेख “हिंदू धर्म बुरा है, इस्लामिक धर्म अच्छा है, अल्लाह में ताकत होती है, मुस्लिम बनो : कन्हैया कुमार” को शेयर करके जेएनयू छात्र नेता के बारे में यही दावे किए हैं। यह लेख शेयर करने वालों में वे भी हैं जिन्हें रेल मंत्री पीयूष गोयल के कार्यालय का ट्विटर अकाउंट फॉलो करता है। ट्विटर यूजर यशवीर यादव ने कन्हैया कुमार के कथित वक्तव्य को “हिंदू धर्म के खिलाफ वामपंथी एजेंडा” कहा है।

इस दावे को ट्विटर पर प्रसारित करने वालों में कुछ अन्य, जिन्हें पियूष गोयल फॉलो करते हैं, वे हैं – आई नितिन पाटिल (@INitin_Patil), राणा केदार सी (@RanakedarC) और दीपक सनातन (@Deepak_sanatan)

जनवरी, 2020 से यही वीडियो एक और समान लेकिन अलग दावे से शेयर किया जा रहा है, “कन्हैया कुमार ने बंद दरवाजे में परिवर्तित मुसलमान की अपनी वास्तविक पहचान का खुलासा किया। उसे उजागर करने की जरूरत है।”

वायरल वीडियो क्लिप में कन्हैया कुमार को यह कहते सुना जा सकता है, “हमारा इतिहास यहाँ से जुड़ा हुआ है। हम सारे के सारे लोग अरब से चलकर यहाँ नहीं आए हैं, हम यहीं पे पले हैं बढ़े हैं और उस धर्म की जो खासियत थी और जो पुराने धर्म थे, जिसमें छुआछूत था उसकी वजह से लोगों ने छोड़कर के इस धर्म को अपनाया है क्योंकि यह पीस की बात करता है बराबरी की बात करता है। मस्जिद में जो है ऊंच-नीच नहीं होता है इस आधार पर हम इस धर्म को अपनाए हैं इसको छोड़ कर के हम नहीं जाएंगे। हम खुद को भी बचाएंगे और अपने कौम को बचाते हुए इस देश को भी बचाएंगे ये हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है। अल्लाह के पास बहुत ताकत है अल्लाहताला हमारी रक्षा करेंगे।”

सच क्या है?

ऑल्ट न्यूज़ ने यूट्यूब पर कीवर्ड ‘कन्हैया कुमार मुस्लिम्स’ (Kanhaiya Kumar Muslims) से खोज की तो वन चैनल द्वारा पोस्ट किया गया इसका मूल वीडियो मिला। यह वीडियो 34:31 मिनट लंबा है और इसके 11:50वें मिनट से, कन्हैया कुमार का सोशल मीडिया में वायरल बयान सुना जा सकता है। पुरे वीडियो में से एक एक छोटा हिस्सा काटकर यह दिखाने के लिए पोस्ट किया गया था कि यह बयान कन्हैया कुमार ने दिया है, जबकि वास्तव में, कन्हैया अपने वक्तव्य में मौलाना अबुल कलाम आजाद को उद्धृत कर रहे थे।

कन्हैया, पिछले समय महाराष्ट्र के नांदेड़ में, अगस्त में आयोजित ‘कन्हैया के साथ वार्ता’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह आयोजन ऑल इंडिया तंज़ीम-ए-इंसाफ द्वारा ‘अल्पसंख्यक मुद्दे और उनके समाधान’ विषय पर आयोजित किया गया था। इसमें कुमार को कइयों के बयान प्रथम पुरुष के रूप में उल्लेखित करते सुना जा सकता है। इससे कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने मान लिया कि कन्हैया इस्लाम अपना रहे हैं या लोगों से इस्लाम अपनाने के लिए कह रहे हैं, जबकि वास्तव में वह बात कर रहे थे कि कैसे अल्पसंख्यक अपने खिलाफ आक्षेपों का सामना कर सकते हैं।

इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए कन्हैया ने आजाद को उद्धृत कर कहा, “देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने जामा मस्जिद की सीढी से तकरीर किया और कहा कि ये मुल्क हम सब का है। किसी के कहने पे हम कहीं नहीं चले जाएंगे। इस मुल्क की मिट्टी में हमारा भी खून पसीना है। हमारा इतिहास यहाँ से जुड़ा हुआ है। हम सारे के सारे लोग अरब से चलकर के यहाँ नहीं आए हैं, हम यहीं पे पले हैं बढ़े हैं और उस धर्म की जो खासियत थी और जो पुराने धर्म थे, जिसमें छुआछूत था उसकी वजह से लोगों ने छोड़कर के इस धर्म को अपनाया है क्योंकि यह पीस की बात करता है बराबरी की बात करता है। मस्जिद में जो है ऊंच-नीच नहीं होता है इस आधार पर हम इस धर्म को अपनाए हैं इसको छोड़ कर के हम नहीं जाएंगे। और तब इस देश के मुसलमानों ने इस देश में रहने का फैसला लिया था।”

सोशल मीडिया में वायरल क्लिप में मूल वीडियो के अन्य हिस्सों को भी शामिल किया गया है, जिसमें कुमार कहते हैं – “हम खुद को भी बचाएंगे और अपने कौम को बचाते हुए इस देश को भी बचाएंगे ये हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है। अल्लाह के पास बहुत ताकत है अल्लाहताला हमारी रक्षा करेंगे।” कन्हैया कुमार ने यह कथन प्रथम पुरुष मौलाना आजाद को उद्धृत किया था नाकि इसीलिए क्योंकि उन्होंने इस्लाम को अपना लिया था। वास्तव में वह बात कर रहे थे कि कैसे अल्पसंख्यक अपने खिलाफ आक्षेपों का सामना कर सकते हैं।

वीडियो के 15:03वें मिनट से वह कहना शुरू करते हैं, “कोई भी कौम का रहबर बनके आए और ये कहे कि हम धर्म बचाएंगे तो उनको भी आप बराबर जवाब दीजिये और कहिये हमारे अल्लाह के पास बहुत ताकत है, वह हमारी रक्षा करेंगे” यह उस हिस्से से जुड़ा हुआ था जिसमें कन्हैया कुमार ने अबुल कलाम आजाद का हवाला दिया था और ऐसा लगता था कि वह एक मुसलमान के रूप में बोल रहे हैं।

मूल वीडियो में, कन्हैया कुमार “पुराने धर्म” के बारे में बात करते हैं जिसमें अस्पृश्यता थी। प्रचलित जाति व्यवस्था के कारण इसे हिंदू धर्म के संदर्भ में ही अनुमानित किया जा सकता है। दर्शकों को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि आजाद ने अपने मुस्लिम समर्थकों से कहा कि इस्लाम में समानता स्पष्ट है, जबकि हिंदू धर्म में अस्पृश्यता व्यापक थी; इस कारण से, लोगों ने हिंदू धर्म को त्याग दिया और इस्लाम को अपना लिया।

लेकिन इससे कुछ सवाल भी उठते हैं।

क्या मौलाना अबुल कलाम आजाद ने कुमार द्वारा उद्धृत बयान कभी दिए थे?

भारत के पहले शिक्षा मंत्री और स्वतंत्रता आंदोलन की प्रमुख हस्ती मौलाना अबुल कलाम आजाद ने जामा मस्जिद में भीड़ को संबोधित किया था। कुमार द्वारा संदर्भित भाषण 23 अक्टूबर 1947 को आज़ाद के सबसे मशहूर भाषणों में से एक है, और अंग्रेजी और हिंदी दोनों में आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध है।

भाषण का लिप्यंतरण, कन्हैया कुमार ने जो कहा, पूरी तरह से उससे मेल नहीं खाता। ऑल्ट न्यूज़ ने पुष्टि करने के लिए अबुल कलाम आजाद की जीवनी लेखक और भारतीय शिक्षाविद सैयद हमीद से संपर्क किया। हमीद ने आज़ाद पर दो किताबें लिखी हैं और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU), हैदराबाद की कुलपति भी हैं।

हमीद ने कहा, “आजाद ने कहा था कि मुसलमान इस देश का हिस्सा हैं, उन्होंने यह नहीं कहा कि हिंदू धर्म में अस्पृश्यता के कारण लोगों ने इस्लाम को गले लगा लिया – (अनुवादित)।

उन्होंने कहा, “उन्होंने वास्तव में यह कहा था कि हमने वर्षों से संस्कृति को प्रभावित किया है और हिंदुओं और मुस्लिमों की एक सम्मिलित संस्कृति का हिस्से बन गए हैं। वास्तव में, उन्होंने कुरान की अपनी व्याख्या में, हिंदू धर्म, वेदों, पुराणों के महत्व के बारे में बात की थी। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदू धर्म के बारे में इस्लाम के समान ही आदर और सम्मान के साथ बात की थी – (अनुवादित)।

1947 में, आजाद ने जामा मस्जिद, दिल्ली में उन भारतीय मुसलमानों की एक सभा को संबोधित किया, जो विभाजन के बाद बेघर हो गए थे। आजाद ने देश के विभाजन पर अपनी निराशा, एकता का महत्व और कैसे भारत हर भारतीय से संबंधित था, को व्यक्त किया था – “भारत का विभाजन एक मौलिक गलती थी। जिस तरह से धार्मिक मतभेद उग्र थे, इससे अनिवार्य रूप से होने वाले विनाश को हमने अपनी आंखों से देखा है – (अनुवादित)।

ऑल्ट न्यूज ने कन्हैया कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने हिंदू धर्म में अस्पृश्यता और इस्लाम में स्वीकृति की बात की थी, तब वह आज़ाद को उद्धृत नहीं कर रहे थे। उन्होंने कहा, “भक्ति आंदोलन भारत की ब्राह्मणिक प्रणाली के विरोध के रूप में शुरू किया गया था। यहां तक ​​कि रिचर्ड एम. ईटन (Richard M. Eaton) की पुस्तक ‘द राइज ऑफ इस्लाम एंड द बंगाल फ्रंटियर 1204-1760’ (The Rise of Islam and the Bengal Frontier 1204-1760) भी केंद्रीय तर्क प्रदान करती है कि वर्ण व्यवस्था ने बहुत से लोगों को अलग कर दिया, जिससे उन्होंने इस्लाम को गले लगाया। पुस्तक इस तर्क को खारिज करती है कि लोगों को तलवार की शक्ति पर इस्लाम में परिवर्तित किया गया था – (अनुवादित)।

कन्हैया कुमार के भाषण का मूल वीडियो, यह दिखलाने के लिए कि वह इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे या लोगों से इस धर्म को अपनाने की अपील कर रहे थे, क्लिप किया गया था। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी वायरल दावों की वास्तविकता की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि वे मौलाना अबुल कलाम आजाद को उद्धृत कर रहे थे। ऑल्ट न्यूज ने पाया कि ऐसा बयान मौलाना आजाद ने नहीं दिया था। दूसरी ओर, कन्हैया कुमार ने स्पष्ट किया कि यह खुद उनकी राय थी।

[अपडेट: 17 जनवरी, 2020 को इस लेख में जनवरी में प्रसारित इसी वीडियो का नया उदाहरण शामिल किया गया है।]
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About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.