इराक़ के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन का एक वीडियो खूब शेयर हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि अमेरिका ने 1990 में इराक़ को कोरोना वायरस की धमकी दी थी. और ये वीडियो एक सबूत के तौर पर दिखाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि ये “Covid-19 अमरीकी जैविक हथियार है.”

@Africarevolt नाम से एक ट्विटर हैंडल ने ये वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “सद्दाम हुसैन को सुनिये. ये वीडियो1990 के कैबिनेट मीटिंग के दौरान का है. वो बता रहे हैं कि कैसे अमेरिका ने इराक को कोरोना वायरस की धमकी दी थी.” यहां ये ध्यान देने वाली बात है कि COVID-19 को गलती से CORVID-19 लिखा गया है. CORVID पक्षियों का एक परिवार है.

फ़ेसबुक और ट्विटर पर कई यूज़र्स ने ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा किया है.

कई लोगों ने ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियल ऐप और व्हाट्सैप नंबर पर इसकी पड़ताल के लिए रिक्वेस्ट भेजे हैं.

ये वीडियो पाकिस्तानी सोशल मीडिया में भी उर्दू मेसेज के साथ शेयर हो रहा है.

फ़ैक्ट-चेक

इनविड टूल (Invid) की सहायता से ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो को कई फ़्रेम्स में तोड़ा. इनमें से एक फ़्रेम को यांडेक्स (Yandex) पर सर्च करने से हमें एक वीडियो मिला. ये वीडियो एसोसिएट प्रेस के यूट्यूब चैनल पर 21 जुलाई, 2015 को अपलोड किया गया था. हमने वीडियो को फ़्रेम-दर-फ़्रेम देखा और हम स्थापित कर पाए कि ये वही वीडियो है. हमने दोनों वीडियो के फ़्रेम नीचे एक साथ रखे हैं. एक AP के वीडियो से लिया गया है और दूसरा फ़्रेम वायरल वीडियो का है.

अगर कोई वायरल वीडियो के ऑडियो को कम्प्रेस कर ओरिजिनल वीडियो से इसकी तुलना करे तो पता चलता है कि असली वीडियो में 1 मिनट 18 सेकंड के बाद के हिस्से को बार-बार चलाकर 2 मिनट 3 सेकंड का वीडियो बनाया गया है. इसके अलावा ये भी पता चलता है कि वायरल वीडियो में ऑडियो को अलग से डाला गया है. इसे इस तरह से पेश किया गया है कि सद्दाम हुसैन ने 1990 में कोरोना वायरस शब्द का ज़िक्र किया था. असली वीडियो में एक बार भी ‘वायरस’ शब्द का ज़िक्र नहीं किया गया है जबकि एडिटेड वीडियो में कई बार ‘वायरस’ शब्द को सुना जा सकता है.

नीचे के वीडियो में 30 सेकंड के बाद से वो हिस्सा देखा जा सकता है जो कि सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. हुसैन की हंसी से पहले का हिस्सा वायरल वीडियो में बार-बार रिपीट होता है. इसके अलावा वायरल वीडियो में हुसैन की आवाज़ असली वीडियो की आवाज़ से मेल नहीं खाती है.

सद्दाम हुसैन ने ‘वायरस’ या ‘कोरोना वायरस’ शब्द का ज़िक्र नहीं किया है, इस बात की पुष्टि एसोसिएटेड प्रेस के वीडियो के डिस्क्रिप्शन से भी किया जा सकता है. AP के ट्रांसक्रिप्शन के मुताबिक सद्दाम हुसैन ने कहा है – “ख़ुदा की अगर यही इच्छा है कि हमें दुश्मन के पीछे भागना है, तो हम ये करेंगे.” यहां ये ध्यान देने वाली बात है कि वीडियो के समय, तारीख और जगह का पता नहीं लगाया जा सका है.

2003 में अमेरिका के निशाने पर प्रमुख नामों में से एक इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन थे. 1982 में दुजैल शहर में 148 शियाओं की हत्या का आदेश देने के आरोप में हुसैन को 2006 में फांसी पर लटका दिया गया था.

इस तरह सद्दाम हुसैन को दिखाता हुआ एक वीडियो एडिट कर के शेयर किया गया. इसके साथ गलत दावा किया गया कि 1990 में अमेरिका ने ‘जैविक हथियार’ COVID-19 से ईराक़ को धमकी दी थी. AP के वीडियो में एक बार भी ‘वायरस’ शब्द का ज़िक्र भी नहीं किया गया है.

जबसे कोरोना वायरस के संक्रमण की ख़बर फैली है, तबसे इस तरह की अफ़वाह शेयर हो रही हैं कि ये कोई जैविक हथियार है. जबकि वैज्ञानिक रिसर्च में पता चला है कि ये प्राकृतिक कारणों से हुआ है. ‘द लैंसेट‘ में स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के एक समूह ने कहा – “हम साथ मिलकर ऐसी अफ़वाहों की कड़ी निंदा करते हैं जो कहती हैं कि COVID-19 का कारण प्राकृतिक नहीं है. कई देशों के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस 2 (SARS-CoV-2) पर रिसर्च की है. वो इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इसकी उत्पति जंगल में रहने वाले जीवों से हुई है.” ऐसी संभावना है कि वुहान के पशु बाज़ार में संक्रमित चमगादड़ और/या पैंगोलिन इस वायरस के मूल स्रोत हैं.

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