फ़िल्म ‘स्वतंत्र्य वीर सावरकर’ के निर्माताओं ने हाल ही में एक इंस्टाग्राम पोस्ट में दावा किया था कि फ़िल्म को आधिकारिक तौर पर ऑस्कर के लिए पेश किया गया था. पोस्ट में फ़िल्म का एक पोस्टर था जिस पर लिखा था: “ऑफ़िशियली सबमिटेड फ़ॉर द ऑस्कर. थैंक यू फ़िल्म फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया फ़ॉर दिस रिमार्केबल अप्रिसीएशन.”

हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की बायोपिक स्वतंत्र्य वीर सावरकर 22 मार्च 2024 को रिलीज़ हुई. ये रणदीप हुडा के निर्देशन में पहली फ़िल्म थी. वो इसी नाम के नायक की भूमिका भी निभाते हैं. इंस्टाग्राम पोस्ट मंगलवार 24 सितंबर, 2024 को निर्माता संदीप सिंह और आनंद पंडित, अभिनेत्री अंकिता लोखंडे जैन और प्रोडक्शन हाउस लीजेंड स्टूडियो ने शेयर किया था. (आर्काइव)

कैप्शन में लिखा है, “सम्मानित और सविनय! हमारी फ़िल्म स्वतंत्र्यवीर सावरकर को आधिकारिक तौर पर ऑस्कर के लिए पेश किया गया है. इस उल्लेखनीय सराहना के लिए भारतीय फ़िल्म महासंघ को धन्यवाद. ये यात्रा अविश्वसनीय रही है, और हम उन सभी के बहुत आभारी हैं जिन्होंने इस रास्ते में हमारा समर्थन किया है…”

बाद में कई मीडिया आउटलेट्स ने इस बारे में रिपोर्ट दी कि फ़िल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ 97वें अकादमी पुरस्कार की दौड़ में शामिल हो गई है. उनमें से कुछ ने सीधे तौर पर दावा किया कि ये फ़िल्म भारत की ओर से ऑफ़िशियल सबमिशन थी. असम के एक प्रिंट और डिजिटल मीडिया आउटलेट गुवाहाटी प्लस ने दावा किया कि ‘स्वतंत्र्य वीर सावरकर’ को ऑस्कर 2024 के लिए भारत की “ऑफ़िशियल एंट्री” के रूप में पेश किया गया था.

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ये दावा X (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर भी काफी शेयर किया जा रहा है.

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इंस्टाग्राम पर भी, यही दावा (कि सावरकर की बायोपिक ऑस्कर में भारत की ऑफ़िशियल एंट्री है) कई हैंडल्स ने पोस्ट किया है.

 

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फ़ैक्ट-चेक

सबसे पहले, फ़िल्म के निर्माताओं द्वारा इंस्टाग्राम पोस्ट में ‘ऑस्कर 2024’ के ज़िक्र का कोई मतलब नहीं है. ऑस्कर 2024, अकादमी पुरस्कारों का 96वां संस्करण, मार्च 2024 में आयोजित किया गया था. यूनाइटेड किंगडम की ‘द जोन ऑफ़ इंटरेस्ट‘ ने सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फ़ीचर फ़िल्म का पुरस्कार जीता. यानी ये सब हो गया और ये बीती हुई बात है.

वहीं 97वां अकादमी पुरस्कार समारोह रविवार 2 मार्च, 2025 को हॉलीवुड के डॉल्बी थिएटर में आयोजित किया जाएगा.

अकादमी पुरस्कार 2025 के लिए भारत का ऑफ़िशियल सबमिशन ‘लापता लेडीज़’ है 

फ़िल्म फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (FFI) ने 23 सितंबर 2024 को चेन्नई में घोषणा की कि किरण राव द्वारा निर्देशित ‘लापता लेडीज’ को सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फ़ीचर फ़िल्म श्रेणी में ऑस्कर 2025 के लिए भारत के ऑफ़िशियल सबमिशन के रूप में चुना गया है.

न्यूज़ एजेंसी ANI ने इसकी घोषणा करते हुए फ़िल्म फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (FFI) के प्रशस्ति पत्र को ट्वीट किया. (@ANI)

कोट में कहा गया है, “…लापता लेडीज (हिंदी) एक ऐसी फ़िल्म है जो न सिर्फ भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महिलाओं को आकर्षित, मनोरंजन और सार्थक बना सकती है.”

अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फ़ीचर फ़िल्म केटेगरी हर देश को सिर्फ एक फ़िल्म पेश करने की अनुमति देती है. और चयन एक एप्रूव्ड आर्गेनाइजेशन द्वारा किया जाना है जो भारत में FFI है. आगे, अकादमी नियमों का सबंधित सेक्शन देखा जा सकता है (डेट्स को नजरअंदाज करना है):

इस बारे में की-वर्ड्स सर्च करने से हिंदुस्तान टाइम्स और FFI अध्यक्ष रवि कोट्टाकारा के बीच की बातचीत की एक रिपोर्ट मिली. हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि जब कोट्टाकारा को सावरकर फ़िल्म के निर्माताओं के दावे के बारे में बताया गया तो वो हंसे और स्पष्ट किया कि FFI ‘स्वतंत्र्य वीर सावरकर’ के निर्माताओं द्वारा की गई घोषणा में शामिल नहीं था. रवि कोट्टाकारा ने कहा, “उन्होंने (सावरकर के निर्माताओं ने) कुछ ग़लत मैसेज दिया है. मैं इस बारे में एक बयान भी जारी करने जा रहा हूं.’ भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर सिर्फ ‘लापता लेडीज़’ को ऑस्कर के लिए भेजा गया है. 

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने भी इसी तरह की रिपोर्ट दी.

इसके बावजूद, दुनिया में कहीं से भी कोई भी फ़िल्म निर्माता स्वतंत्र रूप से अपनी फ़िल्म अकादमी को पेश कर सकता है. लेकिन इसे सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म केटेगरी में उस देश की ऑफ़िशियल एंट्री नहीं मानी जाएगी.

FFI अध्यक्ष ने इंडिया टुडे डिजिटल को एक इंटरव्यू में बताया, “हालांकि, कोई भी अपनी फ़िल्में स्वतंत्र रूप से अकादमी में पेश कर सकता है. फ़िल्म निर्माताओं के लिए ऐसा करने का प्रावधान है. हालांकि, वो भी सिर्फ एक समर्पण है. लेकिन इसका फ़ेडरेशन से कोई लेना-देना नहीं है. हमने पहले ही एक बयान जारी कर अपनी पसंद की घोषणा कर दी है…”

आगे, अकादमी के नियमों का वो सेक्शन दिया गया है जो इस पर विचार करता है:

‘लापता लेडीज’ का चयन कैसे हुआ?

चयन प्रक्रिया तब शुरू होती है जब FFI की कार्यकारी समिति मूल्यांकन के लिए आवेदकों द्वारा सिनेमाई कामों को जूरी के सामने पेश करने के लिए आमंत्रित करती है. इस साल आवेदन विंडो 15 अगस्त से 10 सितंबर तक खुली थी.  

FFI के अपने एलेजिबिलिटी क्राइटेरिया हैं जिनका पालन सबमिशन करते समय किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, इसे 1 नवंबर, 2023 और 30 सितंबर, 2024 के बीच रिलीज़ किया जाना चाहिए और किसी व्यावसायिक थिएटर में कम से कम सात दिनों के लिए सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए. फिर अकादमी के नियम हैं जिनका पालन करना होगा. उदाहरण के लिए, अकादमी एक अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म को एक ऐसी फ़िल्म के रूप में परिभाषित करती है जो “संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके क्षेत्रों के बाहर मुख्य रूप से (50% से ज़्यादा) गैर-अंग्रेजी संवाद ट्रैक के साथ निर्मित एक फ़ीचर-लंबाई वाली मोशन पिक्चर (40 मिनट से ज़्यादा) है.” 

फ़िल्म, उसके क्रू और अन्य सबमिशन के डिटेल्स के साथ FFI को 1.25 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. एक प्रेस रिलीज़ में FFI ने लिखा, “हम इस साल ऑस्कर में भारत की प्रविष्टि के रूप में नामांकित होने की दौड़ में भाग लेने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा फ़िल्मों का स्वागत करते हैं.” इसमें कहा गया है कि ये “निर्माताओं को एक सुचारू, लोकतांत्रिक और पारदर्शी नामांकन प्रक्रिया के लिए हर सहायता प्रदान करेगा.”

इस साल FFI जूरी का नेतृत्व असमिया फ़िल्म निर्देशक जाह्नु बरुआ ने किया था. 

जाह्नु बरुआ ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा, ”हम 7-8 दिनों के लिए चेन्नई में थे और हम वो 29 फ़िल्में देख रहे थे जो हमें भेजी गई थीं. इस पूरे दौर में हम फ़िल्मों के बारे में गहन चर्चा करते रहे.” इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया कि जूरी के चयन मानदंडों पर जाह्नु बरुआ ने कहा कि फ़िल्म को “भारत की सामाजिक प्रणालियों और लोकाचार” का प्रतिनिधित्व करना चाहिए.

जाह्नु बरुआ ने कहा, “भारतीयता बहुत महत्वपूर्ण है”, और इस वजह से जूरी ने 97वें अकादमी पुरस्कारों के लिए आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में लापता लेडीज़ को चुनने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया.

क्या ‘स्वतंत्र्य वीर सावरकर’ पर कभी विचार हुआ था?

हां, ये फ़िल्म 29 सबमिशन में से एक थी.

इस साल की सूची में पायल कपाड़िया की कान्स विजेता ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट, आनंद एकराशी की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता आतम, स्पोर्ट्स ड्रामा मैदान, चंदू चैंपियन, आर्टिकल 370, श्रीकांत, सैम बहादुर, किल, गुड लक, एनिमल, कल्कि 2898 एडी, थंगलान, वाज़हाई, कोट्टुक्कली, जामा, जिगरथंडा डबल एक्स, उल्लोझुक्कू, आभा, घरत गणपति, स्वर्गंधर्व सुधीर फड़के, महाराजा, मंगलावरम और हनु-मान के साथ-साथ लापता लेडीज और स्वतंत्र्य वीर सावरकर जैसी फ़िल्में शामिल थीं.

अब क्या होगा?

सभी सबमिशन में से शुरूआती समिति द्वारा वोटों के माध्यम से 15 फ़िल्मों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है. फिर एक नामांकन समिति शॉर्टलिस्ट की गई 15 फ़िल्मों को देखती है और वोट करती है और पांच नामांकन की सूची का चयन करती है. आखिर में अकादमी के सदस्य इन पांच नामांकनों में से विजेता के लिए मतदान करते हैं. अंतिम नामांकन की घोषणा 17 जनवरी, 2025 को की जाएगी.

सिर्फ तीन बार कोई भारतीय फ़िल्म इस केटेगरी में आखिरी नामांकन तक पहुंची है. ये हैं मदर इंडिया (1957), सलाम बॉम्बे (1988) और लगान (2001). पिछले साल, केरल बाढ़ पर बनी मलयालम फ़िल्म ‘एवरीवन इज ए हीरो’ ऑस्कर के लिए भारत की ऑफ़िशियल एंट्री थी. हालांकि, फ़िल्म को नामांकन नहीं मिला.

कुल मिलाकर, ‘स्वतंत्र्य वीर सावरकर’ निश्चित रूप से 97वें अकादमी पुरस्कारों के लिए भारत की “ऑफ़िशियल” एंट्री नहीं है. इंस्टाग्राम पोस्ट भ्रामक है जिसमें कहा गया है कि इसे आधिकारिक तौर पर ऑस्कर के लिए पेश किया गया था, और फिर इसकी सराहना के लिए FFI को धन्यवाद दिया गया. 

2023 में फ़िल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने X (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर झूठा दावा किया कि ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ को ‘द एकेडमी की पहली सूची’ में ऑस्कर 2023 के लिए ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया था. उन्होंने ये भी कहा कि ये उन पांच भारतीय फ़िल्मों में से एक थी जिनका नाम सूची में रखा गया था. इस मामले पर ऑल्ट न्यूज़ की फ़ैक्ट चेक रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

अंकिता महालनोबिश ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

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