फे़सबुक और ट्विटर यूज़र्स एक महिला की तस्वीर शेयर कर रहे हैं और दावा किया जा रहा है कि ये महिला जेएनयू की छात्रा है. यही नहीं, लोगों ने इस तस्वीर का प्रयोग CAA प्रदर्शनकारियों और वामपंथ पर हमला करने के लिए भी किया.

ट्विटर यूज़र शेफ़ाली तिवारी ने ये तस्वीर शेयर की. उन्होंने जो लिखा वो टूटे-फूटे वाक्य थे लेकिन ऐसा लगता है कि वो जेएनयू और वामपंथ की खासी विरोधी हैं और इन दोनों को ही देश-विरोधी मानती हैं. इस ट्वीट को अबतक 200 से ज़्यादा लोग रीट्वीट कर चुके हैं. (आर्काइव लिंक)

एक फे़सबुक यूज़र सिद्धार्थ गजेरा ने भी ये तस्वीर शेयर की. इनका कैप्शन शेफ़ाली तिवारी के लिखे कैप्शन का सोर्स मालूम देता है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

फ़ोटो आपको समझ नही आएगा….
हम समझाते है…ये #JNU के प्रगतिशील छात्र है इनका विरोध है कि हिन्दू महिलाएं साड़ी, बिंदी, ओर…

Posted by Siddharth Gajera on Thursday, January 2, 2020

इसी तरह कई लोगों ने ये तस्वीर शेयर करते हुए यही कैप्शन कॉपी पेस्ट किया हुआ है.

फै़क्ट-चेक

जब हमने तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया तो एक बंगाली वेबसाइट Khaskhobor मिली जिसके आर्टिकल में इस महिला की तस्वीर है. इस आर्टिकल में बताया गया है कि वायरल तस्वीर में जिन्हें देखा जा सकता है, उनका नाम पांचाली है और उन्हें सोशल मीडिया पर राइट विंग अक्सर निशाना बनाता रहता है.

इससे हिंट लेते हुए हमने दोबारा सर्च किया तो पांचाली की इन्स्टाग्राम और फे़सबुक प्रोफ़ाइल मिली. पांचाली ने इन दोनों ही प्लेटफ़ॉर्म पर 30 दिसम्बर, 2019 को ये तस्वीर शेयर की थी. पांचाली ने इन तस्वीरों की लोकेशन कोलकाता का बाग़बाज़ार बतायी है. उनकी प्रोफ़ाइल के बायो सेक्शन में ऐसी कोई जानकारी नहीं है जिसके आधार पर ये कहा जा सके कि वो JNU की छात्रा हैं.

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हमने इंटरनेट पर उस प्राइड मार्च के बारे में ढूंढा जो बागबाज़ार में 2019 में हुआ था. हमें वेब पोर्टल यूथ की आवाज़ का 31 दिसम्बर, 2019 का एक आर्टिकल मिला जसमें 29 दिसम्बर, 2019 को हुए इस प्राइड मार्च की तस्वीरें हैं. इसमें पांचाली की तस्वीर भी शामिल है. बता दें कि LGBTQ समुदाय समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम और परेड आयोजित करते हैं और इन्हें प्राइड मार्च के नाम से जाना जाता है.

ऑल्ट न्यूज़ ने पांचाली से संपर्क किया और उन्होंने हमें बताया, “ये तस्वीर 2019 से ही शेयर की जा रही है. ये कोलकता प्राइड की है. हां, वहां CAA के खिलाफ़ नारे लगे थे क्यूंकि प्राइड जितना LGBTQIA+ समुदाय के साथ खड़ा है उतना ही बहुसंख्यकवादी सत्ता के खिलाफ़ भी. इस तस्वीर का JNU से कोई लेना देना नहीं है.” उन्होंने आगे कहा, “ये सैकड़ों बार शेयर किया जा चुका है. मैंने पहले भी कई बार इन पोस्ट्स को रिपोर्ट किया था लेकिन अब तंग आकर रिपोर्ट करना बंद कर दिया. ये सब फ़ासिज़्म को सपोर्ट करने वालों के हथकंडे होते हैं…मेरे इग्नोर करने का ये मतलब नहीं है कि ये कोई छोटा मुद्दा है.” पांचाली ने हमें बताया कि वो थिएटर आर्टिस्ट और जेंडर राइट एक्टिविस्ट हैं, और साथ ही LGBTQIA+ समुदाय से हैं.

दिसंबर 2019 में देश भर में ऐंटी CAA प्रोटेस्ट हो रहे थे और इस परेड में लोग इससे जुड़े पोस्टर पकड़े हुए देखे जा सकते हैं. लेकिन ये दावा कि इस तस्वीर का या पांचाली का JNU से सम्बन्ध है, बेबुनियाद है.


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