“तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ बयान करती है। ममता बनर्जी ने अपने माँ के धर्म को अपना लिया है इस बात का सबूत है यह तस्वीर जिसमें वो बासु का स्वागत आदाब से कर रही है। उनकी मास्टर्स की डिग्री भी इस्लामिक इतिहास से है। वो हिन्दू विरोधी है, उनके भाषण भी हिन्दू विरोधी रहे है, इससे यह साबित होता है की उनकी भक्ति मुसलमानों के प्रति है।” (अनुवाद)- इस संदेश को नीचे दी गई तस्वीर के साथ आप पढ़ सकते है, जिसमे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बासु है। इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि ममता बनर्जी की माँ मुसलमान थी और उन्होंने भी अपनी माँ के धर्म को अपना लिया है। इसलिए वह बासु का अभिवादन आदाब से कर रही है। आगे इस पोस्ट में दावा किया गया कि बनर्जी ने अपनी मास्टर्स डिग्री इस्लामिक इतिहास में की है।
कई अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस तस्वीर को ट्विटर और फेसबुक पर भी साझा किया है।
तथ्य जांच
हम तस्वीर के बारे में गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च से पता लगाने में सफल रहे। इस तस्वीर को टाइम्स कंटेंट्स वेबसाइट ने अपलोड किया था। वेबसाइट पर तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा गया है, “केंद्रीय युवा, खेल और बाल कल्याण राज्य मंत्री सुश्री ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बासु को 1 जुलाई, 1991 को राइटर्स बिल्डिंग के पास “नमस्कार” करते हुए।”
सोशल मीडिया के दावे
सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीर में बनर्जी जब बासु का अभिवादन करती हैं तब उनकी मुद्रा आदाब जैसी दिख रही है, जो अक्सर मुस्लिम समुदाय द्वारा उपयोग किया जाता है। इस तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया में दो दावे किये गए है।
1. ममता बनर्जी की माँ मुसलमान है और उन्होंने अपनी माता का धर्म अपना लिया है।
2. उन्होंने अपना मास्टर्स इस्लामिक इतिहास से किया है।
यह दावा कि ममता बनर्जी ने अपनी मास्टर की डिग्री इस्लामिक इतिहास को कलकत्ता विश्वविद्यालय से की है, यह सच है और प्रमाणित भी है।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि दूसरा दावा जिसमें ममता बनर्जी की माता को मुसलमान बताया गया है, गलत है। गायत्री देवी, ममता बनर्जी की माता की मृत्यु 81 वर्ष की उम्र में 17 दिसम्बर, 2011 को हुई थी। ऑल्ट न्यूज़ ने एक टीएमसी कार्यकर्ता से बात की, उन्होंने इस दावे को ख़ारिज कर दिया और कहा कि,“हम इस तरह के दावों का जवाब देकर ऐसी बातो को हवा नहीं देना चाहते।”
ऑल्ट न्यूज़ से बातचीत के दौरान, लेखक और ममता बनर्जी के जीवनी लेखक शुतापू पॉल ने कहा, “मेरी रिसर्च में ऐसी कोई बात सामने नहीं आयी है कि वह मुस्लमान है। ममता बनर्जी द्वारा हर वर्ष आयोजित की जाने वाली काली पूजा से सब वाकिफ है, जिससे वह अपना कर्तव्य पूर्ण करती है। यह पूजा कई वर्षो से ममता के घर पर करवाई जाती है। सामान्य रूप से, ममता इसे अपनी क्षमता के हिसाब से हर जगह करवाती है, जिसमें राजनीति, व्यापार, खेल और सिनेमा की दुनिया से लोग भाग लेते हैं। ममता श्लोकों के उच्चारण में माहिर है और अक्सर अपनी रैली में चंडीपाठ के मंत्रो का उच्चारण करती है। मेंने उनकी स्कूल, कॉलेज कई जगहों के उनके टीचर से बातचीत की है, किसी ने भी उनकी मुसलमान होने की बात नहीं कहीं है।”
इसके अलावा ऑल्ट न्यूज़ ने गायत्री देवी, प्रोमिलेस्वर बनर्जी की पत्नी और ममता बनर्जी की माता के अंतिम संस्कार में पाया कि सारी विधियां हिन्दू रीती रिवाज़ के मुताबिक की गई थी। द हिन्दू द्वारा 17 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, गायत्री देवी को अंतिम संस्कार के लिए बनर्जी के निवास से श्मशान घाट ले जाया गया।
नीचे दिया गया वीडियो ममता बनर्जी की माता को शमशान घाट ले जाने का दृश्य है। जिस तरीके से वीडियो में अंतिम संस्कार के रीती रिवाज दिखाई दे रहे हैं, वे हिन्दू रीती रिवाज़ के समान है।
एक पुरानी तस्वीर को गलत तरीके से साझा किया गया, जिससे यह दिखाया जा सके कि ममता बनर्जी इस्लाम की अनुयायी हैं।
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