कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने पेट्रोल की कीमत कैसे तय की जाती हैं, ये समझाते हुए दावा किया कि राज्य सरकारें केंद्र सरकार के मुकाबले पेट्रोल पर दोगुना टैक्स लगाती हैं. @ragu4bjp सहित कई दूसरे ट्विटर यूज़र्स ने इस दावे के साथ पोस्ट किया है. पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच ये ख़बर भी वायरल है. कई राज्यों में कीमत 100 रुपये पार कर जाने से केंद्र सरकार की आलोचना की जा रही है.

ये दावा फ़ेसबुक पर भी वायरल है.

[वायरल दावा: सभी पेट्रोल पंपों पर इस तरह का एक बोर्ड होना चाहिए:
बेसिक रेट 35.50
केंद्र सरकार 19.50
राज्य सरकार 41.55
डीलर 6.50
कुल 103.05
तब जनता समझ जाएगी कि कौन जिम्मेदार है, इसे अपने ग्रुप और दोस्तों के साथ शेयर करें।]

 

ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर (76000 11160) और मोबाइल ऐप्लिकेशन पर इस दावे की सच्चाई जानने के लिए कई सारी रिक्वेस्ट मिलीं. ऐसी खबरें फ़ॉरवर्ड करने के लिए हमारी मोबाइल अप्लिकेशन डाउनलोड करें. (एंड्राइड के लिए यहां क्लिक करें, iOS के लिए यहां क्लिक करें )

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि इसी तरह का दावा 2017 में ट्विटर यूज़र @1_kewal ने किया था.

फ़ैक्ट-चेक

हाल ही की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल का आयातक है. भारत अपनी ज़रूरत का 84 फ़ीसदी तेल आयात करता है. भारत में हर महीने या हर दिन ईंधन की कीमतें बदलती रहती हैं. इसका एक बाहरी कारण है विश्व स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें. लेकिन कुछ आतंरिक कारण भी घरेलू पेट्रोल कीमतों के लिए जिम्मेदार हैं, जैसे टैक्स और डीलरों का कमीशन.

अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के सेक्शन में पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल (PPAC) ने इस सवाल का ये जवाब दिया, “प्रमुख पेट्रोलियम उत्पाद यानी पेट्रोल, डीजल, PDS केरोसिन और घरेलू LPG की कीमतें कैसे तय की जाती हैं?” PPAC के अनुसार, “पब्लिक सेक्टर ऑइल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) ईंधन की कीमतें तय करती हैं. इन कंपनियों, जैसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड में ईंधन की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार और अन्य बाज़ार की कीमतों पर निर्भर करती हैं.”

भारत सरकार की एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, ICRA लिमिटेड के अनुसार, वित्त वर्ष 2021 में गैर-ब्रांडेड पेट्रोल पर ‘सेस’ टैक्स ₹32.9/लीटर पर स्थिर है. इसे उत्पाद शुल्क भी कहा जाता है जो केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है. ऑल्ट न्यूज़ ने ICRA सह-समूह के प्रमुख और उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ से बात की. उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार ने आखिरी बार मई 2020 में उत्पाद शुल्क में बदलाव किया था. अंतर्राष्ट्रीय ईंधन कीमतों की तरह ये आये दिन बदलता नहीं है. इसे केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया है.”

ईंधन पर लगने वाला कर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के अंतर्गत नहीं आता है. इसलिए भारत में ईंधन की कीमतें एक राज्य से दूसरे राज्य, और यहां तक ​​कि शहर दर शहर अलग होती हैं. मेट्रो शहरों में ताज़ा खुदरा ईंधन की कीमतें PPAC की वेबसाइट की सूची में मौजूद हैं. भारत पेट्रोलियम (BP) के अनुसार, कीमत के ब्रेक-अप को आसानी से समझने के लिए ये आर्टिकल 1 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में ईंधन की कीमतों का विश्लेषण करता है. रिपोर्ट को नीचे लिखे सेक्शन में बांटा गया है:

  • राज्य स्तर पर टैक्स की दर क्या है?
  • दिल्ली में भारत पेट्रोलियम के तहत ईंधन के कीमत निर्धारण को समझना
  • राज्य और केंद्र स्तर पर कर के दरों को समझना
  • जुलाई 2021 में सबसे अधिक टैक्स वाले राज्यों में प्रति लीटर पेट्रोल पर टैक्स क्या है?
  • राज्य स्तर पर टैक्स की दर क्या है?

PPAC की वेबसाइट पर राज्यों में जारी हालिया करों को ‘सेल्स टैक्स’ के सब-सेक्शन के तहत सूचीबद्ध किया गया है. ज़्यादातर राज्यों में टैक्स 20 से 25% के बीच हैं. ईंधन पर सबसे ज़्यादा टैक्स मणिपुर (36.50% VAT) में है, इसके बाद राजस्थान (36% VAT+ ₹1500/KL सड़क विकास सेस) और कर्नाटक (35% सेल्स टैक्स) आते हैं. सबसे कम टैक्स की दर 6% है जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में है. दूसरे किसी भी राज्य में सेल्स टैक्स और VAT की दरें इकाई मूल्यों पर नहीं हैं.

नीचे दिख रहे डेटा में PPAC के अनुसार, राज्य में जारी पेट्रोल पर टैक्स की दरों को देखा जा सकता है.

This slideshow requires JavaScript.

दिल्ली भारत पेट्रोलियम में ईंधन की कीमत के निर्धारण को समझना

भारत पेट्रोलियम के अनुसार 1 जुलाई को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत का निर्धारण नीचे देखा जा सकता है.

  1. डीलरों से ली जाने वाली कीमत (उत्पाद शुल्क और VAT के अलावा): ये वो कीमत है जो OMC डीलर से वसूल करती है. प्रशांत वशिष्ठ ने बताया, “डीलरों से ली जाने वाली कीमत (जैसा कि ऑटो ईंधन के कीमत निर्धारण में बताया गया है) ट्रेड पेरिटी प्राइस पर आधारित है और जिसमें माल ढुलाई की लागत शामिल है. TPP की गणना आयात समता कीमत का 80% और निर्यात समता कीमत का 20% को जोड़कर की जाती है.” PPAC के अनुसार, आयात समता कीमत (IPP) ऐसी कीमत है जिसे आयात करने वाले भारतीय बंदरगाहों पर प्रोडक्ट के असल आयात के मामले में भुगतान करते है. जिसमें FOB मूल्य, समुद्री भाड़ा, बीमा, सीमा शुल्क, बंदरगाह बकाया आदि शामिल हैं. जबकि निर्यात समता कीमत उस कीमत का प्रतिनिधित्व करती है जिसे तेल कंपनियां पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर भुगतान करती है. इसमें FOB मूल्य और एडवांस लाइसेंस बेनिफ़िट (कच्चे तेल के ड्यूटी फ्री आयात के लिए) शामिल हैं.
  2. उत्पाद शुल्क: यह केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाने वाला टैक्स है और जिसकी दर पूरे देश में एक सामान है. 1 जुलाई तक उत्पाद शुल्क ₹32.90 प्रति लीटर है.
  3. डीलर कमीशन: लाइवमिंट के अनुसार, पेट्रोल और डीजल के लिए डीलर कमीशन पेट्रोल पंपों की जगहों के अनुसार अलग-अलग होता है जो ₹2/लीटर से लेकर ₹4/लीटर तक है. वशिष्ठ ने बताया, “ये राशि पेट्रोल पंप मालिकों के पास जाती है.” ऑल्ट न्यूज़ ने दिल्ली में एक पेट्रोल पंप मालिक से बात की जिसने इसकी पुष्टि की और कहा, “ये पेट्रोल पंप मालिकों के लिए लाभ का स्रोत है, ये हमारी परिचालन लागत जैसे वेतन, पानी, बिजली बिल आदि को कवर करता है.”
  4. VAT: ये राज्य द्वारा लगाया जाने वाला टैक्स है. दिल्ली में ये PPAC और BPCL के अनुसार ₹22.81 या 30% है. इसे तीन लागतों (डीलरों से वसूली गयी कीमत, उत्पाद शुल्क और डीलर कमीशन) को जोड़कर आने वाली कीमत पर लगाया जाता है, यानी ₹76.04 का 30% = ₹22.81)

राज्य और केंद्र स्तर पर टैक्स दरों को समझना

दिल्ली में उत्पाद शुल्क और VAT के स्टडी से ये स्पष्ट हो जाता है कि दिल्ली सरकार ईंधन पर केंद्र सरकार से ज्यादा टैक्स नहीं लेती है.

दिल्ली में VAT ₹76.04 = ₹22.81 का 30% है. हमने दिल्ली में उत्पाद शुल्क (VAT से पहले) (32.90/76.04×100) के हिस्से की गणना की, ये 43.27% है.

जैसा कि पहले बताया गया है, मणिपुर में सबसे ज्यादा VAT 36.50 प्रतिशत है. इस प्रकार, कोई भी राज्य सरकार केंद्र सरकार से अधिक टैक्स नहीं लेती है.

इससे पहले भी, इस तरह का एक ग़लत दावा वायरल हुआ था कि केंद्र के 5% के मुकाबले घरेलू एलपीजी पर राज्य सरकारें 55% टैक्स लगाते हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने हाल ही में इस गलत दावे को खारिज करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. घरेलू LPG पर राज्य और केंद्र के बीच समान रूप से 5% GST के तहत टैक्स लगाया जाता है.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged:
About the Author

🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.