भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तस्वीर के साथ एक इन्फ़ोग्राफ़िक्स सोशल मीडिया पर वायरल है. इसमें वित्त मंत्रालय को कोट करते हुए कहा जा रहा है कि 2022 में महंगाई ने गरीबों से ज़्यादा अमीरों को नुकसान पहुंचाया है.

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भारत सरकार की नोडल मीडिया एजेंसी प्रेस इन्फ़ोर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फ़ैक्ट-चेकिंग विंग ने ट्वीट करते हुए वायरल तस्वीर का खंडन किया. फ़ैक्ट-चेक में बताया गया कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तस्वीर वाला ग्राफ़िक फ़ेक है. ग्राफ़िक में वित्त मंत्रालय के हवाले से लिखा है – “2022 में महंगाई गरीबों से ज़्यादा अमीरों को प्रभावित कर रही है.” PIB के फ़ैक्ट-चेक में इसे फ़र्ज़ी करार देते हुए बताया गया कि वित्त मंत्रालय ने ऐसा बयान नहीं दिया है. (आर्काइव लिंक)

वित्त मंत्रालय ने भी PIB के फ़ैक्ट-चेक को रिट्वीट किया है. (आर्काइव लिंक)

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की असलियत पता करने के लिए ट्विटर पर कुछ की-वर्ड्स सर्च किये. हमें ‘मनी कंट्रोल’ के 12 मई का एक ट्वीट मिला. इस ट्वीट में लिखा था कि अप्रैल के आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अमीरों की तुलना में वित्त वर्ष 2022 में बढ़ती कीमतों से गरीबों को कम नुकसान हुआ है. (आर्काइव लिंक) इस ट्वीट में एक आर्टिकल का लिंक भी शेयर किया गया था.

आर्टिकल के हेडलाइन में लिखा था, “वित्त मंत्रालय का कहना है कि वित्त वर्ष 2022 में महंगाई ने गरीबों से ज़्यादा अमीरों को नुकसान पहुंचाया है.” (Inflation hurt rich more than poor in FY22, says Finance Ministry). इस आर्काइव लिंक पर इसे देखा जा सकता है. ध्यान देने लायक बात ये है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तस्वीर के साथ वायरल इन्फ़ोग्राफ़िक में भी उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल हुआ है. लेकिन इसमें बेसिक अंतर ये है कि वायरल इन्फ़ोग्राफ़िक में इसे वित्त मंत्रालय के कोट के तौर पर लिखा गया है. जबकि मनी कंट्रोल के आर्टिकल का हेडलाइन वित्त मंत्रालय के कोट के तौर पर नहीं बल्कि आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट के संक्षिप्त विवरण की तरह लिखा गया है.

अधिक जानकारी जुटाने के लिए हमने आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट से जुड़े कुछ की-वर्ड्स सर्च किये. हमें वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद 2022 के अप्रैल महीने की रिपोर्ट मिली. जब हमने इस रिपोर्ट को पढ़ा तो पाया कि इसके तीसरे पेज पर शब्दसः लिखा है “खपत पैटर्न के साक्ष्य बताते हैं कि भारत में मुद्रास्फीति (Inflation) का उच्च आय वाले समूहों की तुलना में निम्न आय वर्ग पर कम प्रभाव पड़ा है.”

लाइव मिंट और डेक्कन हेराल्ड ने भी मनी कंट्रोल के आर्टिकल के आधार पर आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट को कोट करते हुए आर्टिकल लिखा है. ज्ञात हो कि बाद में मनी कंट्रोल ने आर्टिकल को बदल दिया, अब पुराने आर्टिकल का लिंक नए आर्टिकल पर रिडायरेक्ट होता है.

यानी, वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक अफ़ेयर्स विभाग ने अपने रिपोर्ट में ज़्यादा आय वालों की तुलना में कम आय वाले लोगों पर महंगाई का कम प्रभाव पड़ने की बात की. भारत सरकार की नोडल मीडिया एजेंसी प्रेस इन्फ़ोर्मेशन ब्यूरो की फ़ैक्ट-चेकिंग विंग ने अपने फ़ैक्ट-चेक में दावा कर दिया कि वित्त मंत्रालय ने ऐसा कोई स्टेटमेंट ही नहीं दिया है. जबकि मंत्रालय के इकोनॉमिक अफ़ेयर्स विभाग ने अपने रिपोर्ट में ऐसी जानकारी दी है.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).