एक तस्वीर शेयर की जा रही है जिसमें एक पिता को पुलिस की गाड़ी में ले जाया जा रहा है और वो खिड़की से अपने रोते हुए बच्चे को चुप करवा रहा है. ये तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि इस व्यक्ति को भाजपा के बनाये डिटेंशन सेंटर में ले जाया जा रहा है. बंगाली में वायरल टेक्स्ट कहता है, “मेरे पिता को डिटेंशन कैंप ले जाया जा रहा है. डिटेंशन कैंप जिसे भाजपा ने बनाया है. हमें नहीं मालूम 12 लाख हिन्दू, 2 लाख गोरखा और 5 लाख मुस्लिम कैसे इन डिटेंशन शिविरों में ज़िंदा हैं. भाजपा अगर बंगाल में जीत गयी तो यही होगा. उनके झूठे भाषणों पर विश्वास न करें. वो मां-बाप, बेटी-बेटे सबको एक दूसरे से अलग कर देंगे.”

इसके साथ ही लोग एक अख़बार में छपी ख़बर की तस्वीर शेयर कर रहे हैं. इसमें कहा गया है कि असम में बंगाली हिन्दू चुनाव ख़त्म होने के बाद सख्ते में हैं. इस अख़बार की तस्वीर पर तारीख़ ‘2019/05/11’ लिखा है. यानी, मुमकिन है कि ये आर्टिकल 2019 लोकसभा चुनाव के समय पब्लिश हुआ हो. (पहला और दूसरा पोस्ट)

This slideshow requires JavaScript.

ये तस्वीर फ़ेसबुक पर काफ़ी वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर NCB की एक रिपोर्ट मिलती है जहां यही तस्वीर लगी है और कैप्शन में लिखा है, “29 अगस्त, 2012 को भारत के अहमदाबाद की तस्वीर जिसमें 2002 में हुए धार्मिक दंगे मामले में कोर्ट द्वारा दोषी पाए जाने पर एक व्यक्ति जेल जाते वक़्त बेटे को तसल्ली दे रहा है. पश्चिम भारत की अदालत ने हत्या से लेकर दंगे भड़काने के लिए 32 लोगों को दोषी पाया था. ये धार्मिक दंगे 27 फ़रवरी, 2002 को एक ट्रेन में लगी आग और उसमें 60 हिन्दू तीर्थयात्रियों के मारे जाने के बाद शुरू हुए. हिन्दुओं की मौत का ज़िम्मेदार मुस्लिमों को ठहराया गया था जिसके बाद दो हफ़्तों तक दंगे हुए और हिन्दुओं की भीड़ ने शहर में मुस्लिमों के मकानों और अन्य प्रॉपर्टीज़ जलाये.” इस तस्वीर का क्रेडिट एसोसिएटेड प्रेस (AP) को दिया गया है जो हमें उसकी वेबसाइट पर भी मिली. तस्वीर 29 अगस्त, 2012 को खींची गयी थी.

ऑल्ट न्यूज़ को वो न्यूज़ आर्टिकल भी मिला जो तस्वीर के साथ वायरल है. हमें ये आर्टिकल बंगाली ब्लॉग Banglar Chokh’ (बंगाल की आंखें) पर मई 2019 को पब्लिश हुआ मिला. इसमें कहा गया है कि असम के कुछ बंगाली लोगों को ‘विदेशी’ बताते हुए 2019 के आम चुनाव ख़त्म होने से पहले बांग्लादेश या डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया था. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 6 बंगाली हिन्दू समेत 20 लोगों को बांग्लादेश भेज दिया गया था. हमें इस बारे में अन्य रिपोर्ट्स नहीं मिलीं जिनमें बताया गया हो कि ‘विदेशी’ बताये गये लोगों को बांग्लादेश भेज दिया गया है. लेकिन मई 2019 की कई रिपोर्ट्स हैं जिनके अनुसार असम पुलिस ने 125 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार कर डिटेंशन कैम्प्स में भेजा था. यहां तक कि एक सेवानिवृत्त आर्मी ऑफ़िसर जिन्होंने तीन दशक तक सेना में सेवा दी, उन्हें भी डिटेंशन कैंप में भेज दिया गया. स्क्रॉल ने रिपोर्ट किया था, “गिरफ़्तारियों में ये तेज़ी उसी समय आई जब भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का बयान आया कि कई लोगों को विदेशी घोषित किये जाने के बावजूद वे आज़ाद घूम रहे हैं.” उन्होंने असम के सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया, “डिटेंशन सेंटर में हज़ारों की संख्या में लोग क्यों नहीं है?”

कुल मिलाकर, एक पिता और बेटे की तस्वीर जिसे नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न (NRC) और डिटेंशन कैम्प्स से जोड़ा जा रहा है, वो असल में गुजरात दंगे मामले में हुई एक गिरफ़्तारी की तस्वीर है. पुलिस अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर एक व्यक्ति को जेल ले जा रही है.


हरियाणा के करनाल में हो रही वेब सीरीज़ की शूटिंग के दृश्य को लोगों ने असली घटना बताकर शेयर किया

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.