केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ़ (निरसन) विधेयक, 2024 का प्रस्ताव रखा, जिसमें वक्फ़ बोर्ड्स के मौजूदा कामकाजी प्रोटोकॉल में संशोधन करने की मांग की गई. इस विधेयक ने एक विवाद को जन्म दिया है, समुदाय के नेताओं, कार्यकर्ताओं, विपक्षी हस्तियों और कानूनी विशेषज्ञों के एक वर्ग ने इस आधार पर इसकी आलोचना की है कि इसका ग़लत इस्तेमाल हो सकता है और अल्पसंख्यक अधिकारों को खतरा हो सकता है. वक्फ़ अधिनियम में प्रस्तावित बदलावों की समीक्षा के लिए 31 सांसदों – 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्यों – की एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया है, जिसके लिए समिति ने आम जनता, गैर सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों, हितधारकों और संस्थान से लिखित सुझाव मांगे हैं.
इस संदर्भ में भारत सरकार की नोडल एजेंसी, प्रेस सूचना ब्यूरो ने वक्फ़ संशोधन विधेयक के संबंध में एक एक्सप्लेनर जारी किया. इस एक्सप्लेनर में कई सेक्शन हैं जैसे – “वक्फ़’ का क्या अर्थ है?”, “वक्फ़’ की अवधारणा की उत्पति क्या है?”, “वक्फ़ अधिनियम के माध्यम से भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में प्रमुख विधायी परिवर्तन और विकास क्या हैं?”, आदि. एक्सप्लेनर में “क्या सभी इस्लामिक देशों में वक्फ़ संपत्तियां हैं?” इस टाइटल सेक्शन के अंदर लिखा है कि कई इस्लामिक देशों के पास वक्फ़ संपत्तियां नहीं हैं. इसमें आगे लिखा है, ”तुर्की, लीबिया, मिस्र, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक जैसे इस्लामिक देशों में वक्फ नहीं हैं. हालांकि, भारत में वक्फ बोर्ड न केवल सबसे बड़े शहरी भूस्वामी हैं बल्कि उनके पास कानूनी रूप से उनकी सुरक्षा के लिए एक अधिनियम भी है.”
सोशल मीडिया पर भी कई यूज़र्स ने यही दावा शेयर किया. नीचे कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं.
फ़ैक्ट-चेक
ब्रिटैनिका के मुताबिक, ‘वक्फ़’, इस्लामी कानून में, “ट्रस्ट में रखी गई एक धर्मार्थ बंदोबस्ती है.”
“वक्फ़ की स्थापना की औपचारिक प्रक्रिया में, डोनर (वक्फ़) एक विशिष्ट धर्मार्थ मकसद के लिए संपत्ति (मौक़िफ़) को समर्पित करता है. एक बार बंदोबस्ती पूरी हो जाने के बाद संपत्ति के कानूनी स्वामित्व पर इस्लामिक न्यायविदों में मतभेद है: कई लोग बताते हैं कि स्वामित्व अल्लाह को “वापस” कर दिया जाता है (जिसके विधान ने इसे पहले डोनर को दिया था), जबकि अन्य बताते हैं कि स्वामित्व डोनर के पास ही रहता है. इसके बावजूद, संपत्ति निर्दिष्ट मकसद के लिए अनंत काल तक समर्पित रहती है. डोनर स्वामित्व से जुड़े ज़्यादातर अधिकारों को ज़ब्त कर लेता है, और संपत्ति का प्रबंधन एक संरक्षक (मुतवल्ली) द्वारा किया जाता है. हालांकि, दानकर्ता बंदोबस्ती पूरी करते समय खुद को संरक्षक के रूप में नामित कर सकता है.
वायरल दावे को वेरिफ़ाई करने के लिए, हमने PIB एक्सप्लेनर के उपर्युक्त सेक्शन में उल्लिखित सभी देश के लिए सबंधित की-वर्डस सर्च किया. हमने पाया:
तुर्की
एक साधारण कीवर्डस सर्च हमें संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के तहत महानिदेशालय की वेबसाइट मिली. ‘अबाउट अस‘ सेक्शन में वेबसाइट ‘वक्फ़’, जिसे ‘नींव’ कहा जाता है, के मतलब और इतिहास और इससे जुड़े लक्ष्यों का ज़िक्र किया गया है. पेज में आगे ज़िक्र किया गया है कि इन ऐतिहासिक नींवों की कानूनी स्थिति का ध्यान फ़ाउंडेशनों के सामान्य निदेशालय द्वारा रखा जाता है.
वेबसाइट में ‘फ़ाउंडेशन इन टर्की‘ नामक एक समर्पित सेक्शन भी है जहां वक्फ़ संपत्तियों से संबंधित विवरणों का पूरी तरह से ज़िक्र किया गया है.
यानी, ये साफ़ है कि तुर्की में वक्फ़ हैं जिन्हें देश के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है.
लीबिया
अरबी कीवर्डस के साथ सर्च करने पर, हमें “कुरान, बंदोबस्ती (वक्फ़), मस्जिदों और इस्लामी मामलों से संबंधित मामलों के लिए ज़िम्मेदार सरकारी संस्थान” का ऑफ़िशियल X (पूर्व में ट्विटर) पेज (@Awqafoflibya) मिला.
हमें इस पेज द्वारा ‘अवकाफ़ और इस्लामी मामलों के सामान्य प्राधिकारी’ की घोषणाओं और अपडेट के बारे में किए गए कई ट्वीट्स मिले. नीचे कुछ उदाहरण हैं. (आर्काइव 1, 2)
X पेज में सरकारी निकाय की ऑफ़िशियल वेबसाइट का लिंक भी है. हालांकि, पेज ने मुताबिक, “साइट अभी विकसित हो रहा है.”
मिस्र
अरबी में की-वर्डस सर्च करने पर, हमें मिस्र का एक सरकारी निकाय मिला, जिसे ‘मिस्र की बंदोबस्ती मंत्रालय जनरल ब्यूरो’ कहा जाता है. इससे हमें मिस्र की ऑफ़िशियल सरकारी वेबसाइट मिली, जहां ‘बंदोबस्ती मंत्रालय’ सूचीबद्ध था. ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि वक्फ़ का हिंदी अनुवाद बंदोबस्ती होता है.
यानी, ये साफ़ है कि PIB प्रेस रिलीज में बताई गई जानकारी से उलट, मिस्र में भी वक्फ़ संपत्तियां हैं.
सूडान
हमें सूडानी सरकार के बंदोबस्ती मामलों के मंत्रालय से संबद्ध कोई भी वेबसाइट या सोशल मीडिया पेज नहीं मिला. हालांकि, हमें सूडानी न्यूज़ आउटलेट्स से कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें मंत्रालय से संबंधित न्यूज़ शामिल थे.
हमें सूडान न्यूज़ एजेंसी के साथ डॉ. ओसामा हसन अल-बथानी का एक इंटरव्यू मिला जिन्हें धार्मिक मामलों और बंदोबस्ती मंत्री के रूप में नामित किया गया था. एक अन्य उदाहरण में, हमें सूडानी अखबार अल्ताघयेर पर बंदोबस्ती और धार्मिक मामलों के मंत्रालय से संबंधित कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं.
सीरिया
अरबी में संबंधित की-वर्डस सर्च करने पर हमें सीरिया के बंदोबस्ती मंत्रालय की ऑफ़िशियल वेबसाइट मिली. मंत्रालय से संबंधित सभी अपडेट वेबसाइट पर पोस्ट किए जाते हैं. यानी, सीरिया में देश के वक्फ़ से संबंधित मामलों को संभालने वाली एक सरकारी संस्था यहां भी है.
जॉर्डन
इसी तरह, हमें जॉर्डन के अवकाफ़ और इस्लामिक मामलों और पवित्र स्थानों के मंत्रालय की ऑफ़िशियल वेबसाइट भी मिली. ‘मंत्रालय के बारे में’ के एक सेक्शन के तहत, पेज में ज़िक्र किया गया है, “जैसे ही मंत्रालय के काम में अवाकाफ मामलों के अलावा कई इस्लामिक मामलों को शामिल करना शुरू हुआ, 1969 का कानून संख्या (5) जारी किया गया, जिसने वाक्यांश को रद्द कर दिया: (मूल कानून के पाठ से संविधान के अनुच्छेद (107) के अनुसार जारी किया गया) इससे ये साफ हो जाता है कि जॉर्डन में भी वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए समर्पित एक मंत्रालय है.
लेबनान
लेबनान के मामले में हमने पाया कि एक इस्लामी धार्मिक प्राधिकरण, दार अल-फ़तवा, “लेबनान में धार्मिक और बंदोबस्ती मामलों की देखरेख, निर्देशन और प्रबंधन करता है जिसमें बंदोबस्ती, मस्जिद, जकात, धर्मार्थ और सामाजिक कार्य, धार्मिक शिक्षा फतवा और सामान्य मार्गदर्शन के मामले शामिल हैं.”
‘भगवान की संपत्ति: इस्लाम, दान और आधुनिक राज्य‘ में, टोरंटो विश्वविद्यालय में धर्म के अध्ययन विभाग और निकट और मध्य पूर्वी सभ्यताओं के विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर, नादा मुमताज, वक्फ़ के इतिहास के बारे में बात करते हैं. ओटोमन साम्राज्य के बाद से और ये 21वीं सदी में लेबनान की राजधानी बेरूत शहर में कैसे विकसित हुआ.
इसके अलावा, हमने पाया कि शिया समुदाय के लिए वक्फ़ मामलों को शिया धार्मिक निकायों द्वारा अलग से संभाला जाता है. हमें एक दस्तावेज़ मिला जिसमें लेबनान में शिया वक्फ़ के कानूनों की रूपरेखा बताई गई है. हमें ‘एंडोमेंट्स एंड श्राइन्स ऑफ द शिया इस्लामिक संप्रदाय इन लेबनान’ नाम से एक फ़ेसबुक पेज भी मिला. पेज का बायोडाटा कहता है: “ये पेज समुदाय की बंदोबस्ती और धार्मिक स्थलों से संबंधित है, उनकी वास्तविकता और भूमिका का परिचय देता है और उन्हें पुनर्जीवित करने और उनकी गतिविधियों को सक्रिय करने के लिए सामूहिक रूप से काम करता है.”
इराक
इराक में, 2003 में बंदोबस्ती और धार्मिक मामलों के मंत्रालय (MERA) के विघटन के बाद – जो मुस्लिम और गैर-मुस्लिम बंदोबस्ती दोनों की देखरेख करता था – कई धार्मिक कार्यालय स्थापित किए गए जिनमें सुन्नी बंदोबस्ती कार्यालय (OASE) और धार्मिक स्वायत्तता को बढ़ावा देने के लिए शिया बंदोबस्ती (OSHE) कार्यालय शामिल थे.
सुन्नी बंदोबस्ती दीवान की भूमिका इराक में सुन्नी समुदाय से जुड़ी मस्जिदों और अन्य बंदोबस्तों की देखरेख करना है. जबकि शिया या शिया बंदोबस्ती कार्यालय शिया संस्कृति को बढ़ावा देने और मस्जिदों, मंदिरों, पुस्तकालयों, स्कूलों और अन्य अचल संपत्ति सहित समुदाय की विरासत के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है.
हमें सुन्नी बंदोबस्ती दीवान की ऑफ़िशियल वेबसाइट मिली जिसमें ‘बंदोबस्ती नियम‘ को समर्पित एक पेज था. हालांकि, जब हमने पेज को खोलने की कोशिश की तो उसमें एरर आ रहा था. हमें इराकी सुन्नी अफ़ेयर्स का एक फ़ेसबुक पेज भी मिला, जिसमें हमें वक्फ़ से संबंधित कई पोस्ट मिलीं. नीचे कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं.
इसी तरह, हमें इराक में शिया मुस्लिम समुदाय से संबंधित मामलों को संभालने वाली धार्मिक संस्था की ऑफ़िशियल वेबसाइट भी मिली. साइट पर एक पुस्तिका थी जिसमें शिया बंदोबस्ती कार्यालय के गठन और मंत्रिपरिषद के निर्णय द्वारा जारी इसकी शक्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल थी.
यानी, ये साफ है कि इराक में वक्फ़ संपत्तियां मौजूद हैं और कई दशकों से प्रचलन में हैं.
ट्यूनीशिया
हमें ट्यूनीशिया के धार्मिक मामलों के मंत्रालय की एक वेबसाइट मिली, हालांकि, जब हमने इसे खोलने की कोशिश की तो वेबसाइट लोड नहीं हुई. सबंधित की-वर्डस सर्च से, हमें 2018 का एक रिसर्च पेपर मिला जिसका टाइटल था: “ट्यूनीशिया में वक्फ़ संपत्तियों का मामला अध्ययन” जो ट्यूनीशिया में अवकाफ़ के इतिहास की पड़ताल करता है. पेपर के सार में, ये ज़िक्र किया गया है कि 31 मई, 1956 को पूर्व राष्ट्रपति हबीब बोरगुइबा द्वारा अवकाफ़ को रद्द कर दिया गया था. ये उन कारकों के बारे में भी बात करता है जिन्हें देश में अवकाफ़ के पुनरुद्धार के लिए ध्यान में रखा जाना चाहिए.
इसके अलावा, हमें मार्च 2016 में पब्लिश अल जज़ीरा की एक न्यूज़ रिपोर्ट मिली जिसमें ट्यूनीशिया में वक्फ़ के इतिहास और उसकी वापसी की बात की गई है.
हमें देश में वक्फ़ प्रणाली फिर से चालू करने के संबंध में कोई हालिया रिपोर्ट नहीं मिली.
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