दिल्ली के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र 22 दिसंबर को रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण के बाद भाजपा के चुनाव प्रचार में तेज़ी आयी है। यहां, अन्य बयानों के अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकता संसोधन अधिनियम, राष्ट्रिय नागरिक रजिस्टर और CAA-NRC के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को लेकर विस्तार से अपनी बात रखी है।
हालांकि, विपक्ष पर हमला करते हुए उन्होंने देश में हुई हिंसा का ज़िम्मेदार प्रदर्शनकारियों को ठहरायाऔर कहा कि नागरिको को क़ानूनी तौर पर गुमराह किया जा रहा है, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि प्रधानमंत्री का भाषण झूठा, अर्धसत्य और काल्पनिक दावों से भरा हुआ था।
पहला दावा: CAB को दलित, पीड़ित और शोसित सभी वर्ग के फायदे के लिए संसद में पारित किया गया
अपने भाषण में लगभग 25 मिनट पर प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत की इस संसद में, लोकसभा और राज्यसभा में, आपके उज्जवल भविष्य के लिए दलित, पीड़ित, शोषितो के भविष्य के लिए, सभी सांसदों ने इस बिल को पास करने के लिए मदद की है। आप खड़े होकर देश की संसद का सम्मान कीजिये।”
तथ्य जांच
इस दावे की पड़ताल करना सबसे आसान था, इसके लिए प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद।
जनता को सम्बोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि CAB को “आपके” फायदे के लिए पारित किया गया है, इस प्रकार यह सुझाव देने की कोशिश की गई है कि इसका दूरगामी प्रभाव है। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस कानून से भारत की एक बड़ी आबादी जिसमें दलित और पीड़ित व्यक्ति भी शामिल है, उन्हें लाभ मिलेगा। हालांकि, भाषण में 20 मिनट के बाद उन्होंने अपने कुछ देर पहले के विपरीत बयान दिया कि इस कानून का भारतीय नागरिक से कोई लेना-देना नहीं है।
भाषण में 48:45 मिनट पर, उन्होंने आगे बताया, “सिटीजन अमेंडमेंड कानून, ये भारत के किसी नागरिक के लिए, चाहे वह हिन्दू हो या मुसलमान, ये कानून उसके लिए है ही नहीं। ये पार्लामेंट में बोला गया है और पार्लमेंट में गलत बयानबाज़ी अलाव नहीं होती है। ये कानून इस देश के अंदर 130 करोड़ लोग रह रहे हैं उनका इस कानून से कोई वास्ता नहीं हैं।”
प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए भाषण के उपरोक्त हिस्से को नीचे वीडियो में देखा जा सकता है।
दूसरा दावा: भाजपा ने 2014 से NRC को लेकर चर्चा नहीं की
भाषण के दौरान 51:45 मिनट पर प्रधानमंत्री मोदी को कहते हुए सुना जा सकता है, “मेरी सरकार आने के बाद 2014 से आज तक, मैं 130 करोड़ देशवासियो को कहना चाहता हूं, कहीं पर भी NRC शब्द पर कोई चर्चा नहीं हुई है, कोई बात नहीं हुई है। सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ने जब कहा तो वह सिर्फ असम के लिए करना पड़ा। ”
तथ्य जांच
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के बारे में कई बार सत्ताधारी भाजपा के सदस्यों ने बात रखी है, यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कई बार इसके बारे में बात की है।
Modi: NRC? What’s that? Why are Urban Naxals scaring you about NRC? We never said anything about all-India NRC. pic.twitter.com/l5OYhgaYiI
— Shivam Vij (@DilliDurAst) December 23, 2019
2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के मैनिफेस्टो में NRC के बारे में बात रखी गयी थी।
भाजपा के मैनिफेस्टो में 13 नंबर के पृष्ठ पर घुसपैठियों की समस्या का समाधान के उपशीर्षक के तहत लिखा है, “घुसपैठ से कुछ क्षेत्रों की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान में भारी परिवर्तन हुआ है और स्थानीय लोगों की आजीविका तथा रोज़गार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे क्षेत्रों में प्राथमिकता पर NRC का कार्य किया जायेगा। देश में चरणबद्ध तरीके से चिन्हित करके इसे लागु करेंगे।”
NRC के मुद्दे को संसद में भी उठाया गया था, जो कि प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए भाषण से विपरीत है। 20 नवंबर को राज्य सभा को संबोधित करते हुए, गृह मंत्री अमित शाह ने सदन से वादा किया कि NRC को देश भर में लागू किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के तहत असम में NRC की प्रक्रिया हाथ में ली गई थी।
NRC की प्रक्रिया जब पूरे देश में होगी, तो असम में भी ये फिर से की जाएगी।
किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है।
सारे लोगों को NRC के अंदर समाहित करने की व्यवस्था है: श्री अमित शाह, राज्य सभा में pic.twitter.com/eJ3YIcPWFT
— BJP (@BJP4India) November 20, 2019
वास्तव में गृहमंत्री ने वादा भी किया था कि देश भर में 2024 के चुनावों से पहले NRC लागू कर दिया जाएगा।
#Watch | “I assure you NRC will be implemented across the country and all infiltrators identified and expelled before 2024 polls,” Amit Shah said at a rally in Jharkhand ahead of the second phase elections. pic.twitter.com/xF0KmQBLte
— The Indian Express (@IndianExpress) December 2, 2019
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने असम में NRC को लेकर लाचारी दर्शाने –“इसे सर्वोच्च न्यायलय के निर्देश के तहत लागू करना पड़ा।” – का दावा गलत है और यह पार्टी के 2019 चुनावों को लेकर जारी किए गए संकल्पों में से एक था, जिससे यह बात साफ साबित होती है।
तीसरा दावा: भारत में कोई भी हिरासत केंद्र (डिटेंशन सेंटर) नहीं है।
अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने कई बार इस बात को दोहराया है कि भारत में कोई हिरासत केंद्र नहीं है, तक़रीबन 52 बार। उन्होंने कांग्रेस और ‘अर्बन नक्सल’ को भारत में डिटेंशन सेंटर होने की झूठी बात फ़ैलाने के लिए दोषी ठहराया।
तथ्य जांच
27 नवंबर को राज्यसभा में, टीएमसी सांसद संतनु सेन ने गृह मंत्रालय से सवाल किया था कि असम में हिरासत केंद्र की संख्या कितनी है और इन हिरासत केंद्रों में कितने लोगों को रखा गया है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस सवाल के लिखित उत्तर में बताया था कि, “असम राज्य सरकार ने 22.11.2019 को बताया कि असम में 6 हिरासत केन्द्रो में 988 विदेशी लोग रखे किये गए है।”
असम में एक और सबसे बड़े हिरासत केंद्र का निर्माण हो रहा है, जो कि देश का सबसे बड़ा हिरासत केंद्र बनेगा। असम सरकार की वेबसाइट के स्क्रीनशॉट को नीचे शामिल किया गया है।
इसके अलावा, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भी कई हिरासत केंद्र बनने की खबरें सामने आई है। कर्नाटक और बैंगलोर में हिरासत केंद्र अपने निर्माण के अंतिम चरण में है।
चौथा दावा: कांग्रेस और ‘अर्बन नक्सल’ ने दावा किया कि सभी मुस्लिम को हिरासत केंद्र में भेजा जाएगा
तथ्य जांच
उपरोक्त भाषण में, प्रधानमंत्री ने काल्पनिक बयान किया कि वह लोग जो CAA के खिलाफ है, वह झूठ का प्रचार रहे हैं।
कांग्रेस ने यह दावा कभी नहीं किया कि सभी मुस्लिमों को हिरासत केंद्र में भेजा जायेगा। कांग्रेस ने 22 दिसंबर के ट्वीट में यह साफ लिखा था कि, “जिस भारतीय नागरिक के पास आवश्यक कागज़ात नहीं है उसे अदालत ले जाया जाएगा और शायद उसे हिरासत केंद्र भी भेजा जाए।” (अनुवाद)
Given the precedent the Assam NRC has given us, an Indian citizen without the requisite documents will be forced to suffer the ordeal of several court cases & may eventually end up in a detention camp completely Stateless. pic.twitter.com/vv8FwWee7h
— Congress (@INCIndia) December 22, 2019
वास्तव में, कांग्रेस ने कहा कि CAA भेदभावपूर्ण है, उन्होंने यह सुझाव नहीं दिया कि सभी मुस्लिमों को हिरासत केंद्रों में भेजा जाएगा। पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने लोक सभा में इस बिल का विरोध करते हुए नोटिस देकर कहा कि, “यह बिल सभी धर्म के लोगों में सिर्फ एक धर्म के लोगों को छोड़कर छह धर्म को भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अवसर देकर धर्म के आधार पर भेदभाव करता है।” (अनुवाद)
विपक्ष के प्रमुख नेता ने भी यह बयान नहीं दिया कि सभी मुस्लिमों को हिरासत केंद्र भेजा जाएगा। CPI(M) नेता सीताराम येचुरी ने अपनी ट्वीट में लिखा, “कइयों की ज़िंदगी हिरासत केंद्र में कटेगी, खास करके गरीब और हाशिये के लोगों के।” (अनुवाद)
प्रधानमंत्री ने “अर्बन नक्सल” शब्द का प्रयोग भी किया है और दावा किया कि ये लोग ऐसे दावों का प्रसार करते हैं। ऑल्ट न्यूज़ इस दावे की पड़ताल नहीं कर सका है क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि “अर्बन नक्सल” का अर्थ क्या होता है और इसका इस्तेमाल किन लोगों के लिए किया जाता है।
पांचवां दावा: गरीबों से हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के लिए CAA प्रदर्शनकारी ज़िम्मेदार। इस हिंसा का शिकार पुलिस हुई है।
लगभग आधे भाषण के बाद पीएम मोदी ने CAA का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों से भावुक निवेदन किया।“आपका जितना गुस्सा है, मोदी पर निकालो, गरीब ऑटो वालों, गरीब बस वालों को मारकर, पीटकर आपको क्या मिलेगा?”
इसके बाद उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों के पथराव से पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पीएम मोदी ने पुलिस के लिए ‘हिंसा का शिकार’ शब्द का उपयोग किया और कहा कि उनको मारा जा रहा है।
तथ्य-जांच
यह भी आधा सच है। हालांकि, CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों की तस्वीरें और वीडियो सामने आने की खबर छपी है, लेकिन पीएम ने पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता की खबरों को अनदेखा किया है।
दिल्ली के सीलमपुर से आज की तस्वीर…
पूरी स्टोरी- https://t.co/MiJdTPgJ4W
(तस्वीर: REUTERS) #seelampur pic.twitter.com/7qll4sOc1P— BBC News Hindi (@BBCHindi) December 17, 2019
CAA का विरोध पूरे भारत में हो रहा है, जिसमें भाजपा शासित और गैर-भाजपा शासित राज्य दोनों शामिल हैं। गैर-भाजपा शासित राज्यों में जो विरोध प्रदर्शन हुए हैं, उनमें से कुछ में थोड़ी हिंसा देखने को मिली है। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों के इकठ्ठा होने के बावजूद, इन क्षेत्रों में आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है। हालांकि, भाजपा शासित राज्यों में धारा 144 लगाए जाने के बावजूद विरोध प्रदर्शन हुआ है। भाजपा शासित राज्यों में हुई हिंसा में 25 लोगों की मौत की खबरें आयी हैं, सिर्फ उत्तरप्रदेश में 18 लोगों की मौत हुई है, असम में यह संख्या 5 और कर्नाटक में 2 है। असम में कम से कम 4 और कर्नाटक में हुई 2 मौतों के लिए पुलिस फायरिंग को ज़िम्मेदार ठहराया गया है। विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है।
उल्लेखनीय है कि एक भी पुलिसकर्मी की मौत की कोई खबर सामने नहीं आई है।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री ने पुलिस के जख़्मी होने की खबर को सी सिर्फ उजागर किया, जबकि वास्तविक स्तिथि कुछ और है। यह स्पष्ट है कि गैर-भाजपा शासित राज्यों ने भाजपा शासित राज्यों की तुलना में कुशलता से विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित किया है, यह प्रशासन और पुलिस के कार्य पे सवाल खड़े करती है।
छठा दावा: मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था, “हमें बांग्लादेश से आए उन लोगों को नागरिकता देनी चाहिए, जिनका आस्था की वजह से उत्पीड़न हो रहा है।”
नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोगों के अनुसार इस अधिनियम की सबसे बड़ी खामि इसकी भेदभावपूर्ण प्रकृति है, जिसमें हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी और सिख शरणार्थी, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन मुस्लिम ऐसा नहीं कर सकते। हाल के संबोधन में पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए एक भाषण का हवाला दिया। हालांकि, पीएम मोदी ने यह उल्लेख नहीं किया कि मनमोहन सिंह ने नागरिकता विधेयक के पक्ष में बात तो की थी, लेकिन पड़ोसी देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को स्वीकार करते हुए उनके धर्म के आधार पर किसी भी समुदाय को बाहर नहीं किया था।
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2003 की चर्चा करते हुए पूर्व-पीएम ने कहा “हमारे देश के विभाजन के बाद, बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों ने उत्पीड़न का सामना किया है, और हमारा नैतिक दायित्व है कि यदि हालात लोगों को मजबूर करते हैं और इन बेसहारे लोगों को हमारे देश में शरण लेने के लिए आना पड़े। तो इन लोगों को नागरिकता देने का हमारा दृष्टिकोण अधिक उदार होना चाहिए।”
संयोग से BJP ने भी उनके भाषण को ट्वीट किया है, जिसे नीचे देखा जा सकता है।
In 2003, speaking in Rajya Sabha, Dr Manmohan Singh, then Leader of Opposition, asked for a liberal approach to granting citizenship to minorities, who are facing persecution, in neighbouring countries such as Bangladesh and Pakistan. Citizenship Amendment Act does just that… pic.twitter.com/7BOJJMdkKa
— BJP (@BJP4India) December 19, 2019
मनमोहन सिंह “बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों” का उल्लेख करते हैं, उन्होंने किसी एक समुदाय को अलग रखने की बात नहीं की है।
NRC, CAA और इससे संबंधित विरोध प्रदर्शनों को लेकर रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में किए गए कई दावे तथ्यों की बुनियाद पर खरे नहीं उतरते हैं। पीएम मोदी ने कई झूठे, भ्रामक दावे और बयान दिए जो पूरी तरह काल्पनिक थे।
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