“2G मे भ्रष्टाचारियों को छोड़ने वाले माननीय जज साहब ओ.पी. सैनी कांग्रेस के पंजाब से सबसे युवा विधायक अंगद सिंह सैनी के पिता भी हैं” सोशल मीडिया पर उपरोक्त संदेश के साथ फिलहाल एक व्हाट्सऐप मैसेज वायरल हो रहा है। यह दावा किया जा रहा है कि 2जी घोटाले में निर्णय सुनाने वाले जज जिन्होंने ए. राजा, कनिमोजी और अन्य को बरी किया, वह पंजाब के कांग्रेसी एमएलए, अंगद सिंह सैनी के पिता हैं।
आरएसएस विचारक रतन शारदा ने भी अपने ट्विटर एकाउंट से ऐसा ही एक ट्वीट किया था। हालाँकि जब उन्हें पता चला कि वह सूचना जो उन्हें ‘विश्वसनीय सूत्र’ से मिली है, वास्तव में व्हाट्सऐप पर फॉरवर्ड किया गया संदेश है तो बाद में उन्होंने इसे डिलीट कर दिया। उन्होंने ट्वीट किया था, “ओम प्रकाश सैनी, अंगद सिंह सैनी के पिता हैं जो पंजाब (नवाँशहर) से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा विधायक हैं।” रतन शारदा के ट्वीट को बीजेपी प्रवक्ता संजू वर्मा ने भी रीट्वीट किया।
एक ट्वीटर अकाउंट @SirRajnikant द्वारा भी ऐसा ही कुछ पोस्ट किया गया था जिसे 400 से अधिक बार रिट्वीट किया गया
2Gमे भ्रष्टाचारियों को छोड़ने वाले माननीय जज साहब ओ.पी. सैनी
कांग्रेस के पंजाब से सबसे युवा विधायक अंगद सिंह सैनी के पिता भी हैं#VijayRupani#CaringSanta#TuesdayThoughts
— Rajinikant (@SirRajinikant) December 26, 2017
हालाँकि अक्सर किसी एक परिवार के राजनीतिक सूत्र को पूरे परिवार पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इस दावे में क्या वाकई कोई सच्चाई है कि जज ओपी सैनी और अंगद सिंह सैनी पिता-पुत्र हैं? गूगल पर की गई एक आसान खोज से दिखता है कि यह और कुछ नहीं बल्कि गलत सूचना फैलाने का एक और अभियान है। अंगद सिंह के पिता, प्रकाश सिंह सैनी जोकि खुद भी एमएलए थे, 17 नवंबर, 2010 को दिल्ली में दिवंगत हो गए। ट्रिब्यून में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि परिवार के पास श्रद्धांजलि व्यक्त करने वाले प्रमुख कांग्रेसी नेताओं में मौजूदा मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह भी शामिल थे।
अंग्रेजी में भी इसी तरह आश्चर्य व्यक्त करते हुए एक मेसेज वायरल है कि 2G केस में जितने भी आरोप मुक्त किये गए हैं उन सब केस में एक ही जज ओपी सैनी है, “कैसा संयोग है, 21 दिसंबर 2017: जज ओपी सैनी ने कनिमोजी और ए राजा को 2जी घोटाले में सभी आरोपों से मुक्त किया, 2 फरवरी 2017: जज ओपी सैनी ने मारन बंधुओं को 2जी घोटाले में सभी आरोपों से मुक्त किया, 5 फरवरी 2012: जज ओपी सैनी ने चिदंबरम को 2जी घोटाले में सभी आरोपों से मुक्त किया, संयोग? ओम प्रकाश सैनी, अंगद सिंह सैनी के पिता हैं जो पंजाब (नवाँशहर) से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सबसे युवा विधायक है। (अनुवाद)” #2GScamVerdict।
इन सभी मामलों पर फैसला सुनाने वाले सीबीआई जज एक ही व्यक्ति हैं, इस बात को सबसे पहले रेखांकित करने वाले शुरुआती लोगों में श्रीराम नाम का एक शख्स शामिल था जिसे ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी फॉलो करते हैं। हालाँकि उसके ट्वीट में इस झूठे दावे का उल्लेख नहीं किया गया था कि यह जज कांग्रेसी MLA के पिता हैं। श्रीराम के इस ट्वीट को 1600 बार रीट्वीट किया गया था।
Dec 21 2017 : Judge OP Saini clears Kanimozhi and A Raja of all charges in 2G Scam
Feb 2 2017 : Judge OP Saini clears Maran brothers of all charges in 2G Scam
Feb 5 2012: Judge OP Saini clears P Chidambaram of all charges in 2G Scam
Coincidence? # 2GScamVerdict pic.twitter.com/j9ycAIr5dw
— Sriram (@srirambjp) December 21, 2017
फिर से, गूगल पर कुछ बुनियादी खोजबीन से पता चलता है कि इस मामले के लिए ओपी सैनी को चुना गया था और इसलिए एक ही जज द्वारा सभी फैसले सुनाया जाना कोई संयोग नहीं था। 12 नवंबर, 2011 को इंडिया टूडे में छपी एक रिपोर्ट से पता चलता है:
“जस्टिस जी.एस. सिंघवी और ए.के.गांगुली की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इस केस पर विचार करने के लिए सरकार से एक विशेष कोर्ट स्थापित करने के लिए कहा था, इसके बाद सैनी को खास तौर पर 2जी मुकदमे पर विचार करने के लिए चुना गया था। 28 मार्च को दिल्ली सरकार ने उन्हें समस्त 2जी मामलों के मुकदमे के लिए नामित किया था।
नामित सीबीआई जज सैनी ने उस समय तक कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़े मामलों की सुनवाई की थी और सुरेश कलमाड़ी के सहयोगी ललित भनोट, वी.के.वर्मा, के.यू.के.रेड्डी, प्रवीन बख्शी और देवरुखर शेखर को जेल भेज चुके थे। उन्होंने भ्रष्टाचार के एक मामले में नाल्को के चेयरमैन, ए.के.श्रीवास्तव को भी बेल देने से मना कर दिया था। 2जी घोटाले से पहले सैनी के पास सबसे बड़ा मामला लाल किला शूटआउट का आया था जिसमें उन्होंने मुख्य आरोपी मोहम्मद आरिफ को मौत की सजा सुनाई थी और छह अन्य लोगों को उम्रकैद की सजा दी थी। 22 दिसंबर, 2000 को लाल किले पर हुई इस घटना में आरिफ ने अपने साथियों के साथ इस स्मारक पर हमला किया और एक आर्मी कैंप पर हमला करके सेना के तीन जवानों को मार दिया था।” (अनुवाद)
अपने पक्ष में कोई फैसला न आने पर, गलत सूचना का सहारा लेकर न्यायिक प्रणाली के सदस्यों के चरित्र पर सवाल खड़े करने की यह चाल कोई नई बात नहीं है। हाल ही में, जस्टिस अर्जुन कुमार सिकरी जिन्होंने दिवाली के दौरान दिल्ली में पटाखों की बिक्री प्रतिबंधित करने वाला फैसला सुनाया था, उन्हें भी गलत सूचना फैलाने के अभियान का सामना करना पड़ा था। होली के मौके पर कांग्रेसी नेता केपी सिंह देव द्वारा सोनिया गांधी के चेहरे पर गुलाल लगाने वाली फोटो को यह कहकर प्रचारित किया गया कि स्वयं जस्टिस सिकरी इसमें गुलाल लगा रहे हैं। रवीश कुमार से लेकर गुरमेहर कौर तक, झूठी खबरों के माध्यम से लोगों के चरित्र पर कीचड़ उछालने के शिकार कई लोग हुए हैं। फिलहाल यह ट्रेंड जारी है…
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