इज़रायली हवाई हमले ने गाज़ा शहर में एक ऊंची इमारत को नष्ट कर दिया जिसमें एसोसिएटेड प्रेस और अन्य मीडिया आउटलेट्स के ऑफ़िस थे. इस ख़बर से जुड़े एक आर्टिकल का स्क्रीनशॉट तेज़ी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें रिपोर्टर अपने माथे पर हमास का बैंड लगाए नज़र आता है. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है – “एसोसिएटेड प्रेस का रिपोर्टर लाइव आने से पहले अपने माथे से हमास का हेडबैंड हटाना भूल गया”.

एक फ़ेसबुक पेज ‘AAP is No More for Aam Aadmi’ ने ये स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए बेतुका कैप्शन लिखा – “यह सच्चाई है कि एक शांतिदूत सिर्फ शांतिदूत ही है वह प्रेस रिपोर्टर पुलिस अधिकारी नेता मंत्री बाद में है

अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस का रिपोर्टर लाइव आ गया लेकिन लाइव आने के पहले उसने हमास के सदस्यों द्वारा सर पर बांधे जाने वाली बैंड हटाना भूल गया और इस तरह से एसोसिएटेड प्रेस का असली चेहरा पूरी दुनिया ने देख लिया

इज़रायल ने जो अल जजीरा का दफ्तर उड़ाया उसी बिल्डिंग में एसोसिएटेड प्रेस काफी दफ्तर था उसे भी उड़ा दिया, अब तमाम पत्रकार जो इसराइल को नसीहत दे रहे थे कि उसने मीडिया पर हमला किया है वह इस पर क्यों खामोश हैं कि एक पत्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ और दुनिया के डेढ़ सौ से ज्यादा देशों में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हमास का सदस्य है, वैसे किसी दिन रवीश कुमार भी हिज्बुल मुजाहिदीन का पट्टा बांधना निकालना भूल जाएंगे और लाइव नजर आएंगे”.

एक ट्विटर यूज़र ने ये स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हुए लिखा, “यह सच्चाई है कि एक शांतिदूत सिर्फ शांतिदूत ही है वह प्रेस रिपोर्टर पुलिस अधिकारी नेता मंत्री बाद में है, अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस का रिपोर्टर लाइव आ गया, लेकिन लाइव आने के पहले उसने हमास के सदस्यों द्वारा सर पर बांधे जाने वाली बैंड हटाना भूल गया”. (आर्काइव लिंक)

आरएसएस के पूर्व प्रचाकर उमेश ने भी ये स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए ऐसा ही दावा किया.

ये स्क्रीनशॉट ट्विटर और फ़ेसबुक पर वायरल है.

कई टेलीग्राम चैनल्स में भी इससे जुड़े आर्टिकल्स शेयर किये गए हैं.

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फ़ैक्ट-चेक

हमने जांच में पाया कि दो अलग-अलग तस्वीरों को जोड़कर एडिट किया गया है जिससे ऐसा लगता है कि रिपोर्टर माथे पर हमास का बैंड लगाए रिपोर्टिंग कर रहा है.

तस्वीर का यांडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें मालूम हुआ कि ये तस्वीर अमेरिकी न्यूज़ चैनल MSNBC के एंकर अयमान मोहेल्दीन की है जो पहले अल-जज़ीरा के संवाददाता थे.

इस तस्वीर से जुड़े 6 फरवरी 2011 को पब्लिश हुए अल-जज़ीरा के 2 आर्टिकल्स मिले जिसमें 2011 में हुई मिस्र क्रांति के बारे में अल-जज़ीरा के लिए रिपोर्टिंग कर रहे अयमान मोहेल्दीन को मिस्र की सेना ने गिरफ़्तार किया था. उन्हें उसी दिन 9 घंटे बाद रिहा भी कर दिया गया था.

वायरल हो रही तस्वीर के बैकग्राउंड को क्रॉप करके जब हमने रिवर्स इमेज सर्च किया तो पाया कि इस बैकग्राउंड इमेज को एक वीडियो से काटा गया है. हमें अर्जेंटीनी अख़बार La Nacion के यूट्यूब चैनल पर वो वीडियो मिला जिसका दृश्य इस वायरल तस्वीर में बतौर बैकग्राउंड इस्तेमाल किया गया है.

मज़ाकिया वेबसाइट

वायरल हो रहे स्क्रीनशॉट में मौजूद हेडलाइन गूगल पर सर्च करने से ‘द बेबीलोन बी’ नामक वेबसाइट का आर्टिकल मिलता है. इस वेबसाइट के अबाउट सेक्शन की पहली लाइन में ही लिखा था कि ये एक मज़ाकिया वेबसाइट है. इसके ट्विटर अकाउंट के 9.5 लाख से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स हैं. और ट्विटर बायो में साफ़ लिखा है, “2016 से व्यंग्य की आड़ में गलत सूचना की तस्करी”.

इसके ट्विटर अकाउंट से भी आर्टिकल ट्वीट किया गया है जिसे 8 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स और 1,800 से ज़्यादा रीट्वीट्स मिले हैं.

इस तरह, हमने पाया कि वायरल हो रही तस्वीर फ़र्जी है जिसे मज़ाकिया वेबसाइट द्वारा व्यंग्य के तौर पर एडिट कर प्रकाशित किया गया था. इसे कई लोगों ने सच मानकर शेयर किया. असल तस्वीर कम से कम 10 साल पुरानी है जिसका हाल में इज़रायल व फ़िलिस्तीन के बीच चल रहे विवाद से कोई संबंध नहीं है.

इससे पहले भी ऑल्ट न्यूज़ ने इज़रायल व फ़िलिस्तीन से जुड़े गलत दावों पर रिपोर्ट्स पब्लिश की है. (पहली रिपोर्ट, दूसरी रिपोर्ट, तीसरी रिपोर्ट)


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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).