सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें एक बच्चा कार का शीशा साफ कर रहा है. वीडियो में दावा किया गया है कि सफाई करने वाले बच्चे के हाथ में स्कैनर वाली घड़ी है जिससे वो कार के शीशे पर लगे फास्टैग के स्टीकर से पैसे चुरा लेता है.

फ़ेसबुक पेज ‘Baklol Video’ ने ये वीडियो पोस्ट किया. आर्टिकल लिखे जाने तक इस वीडियो को 1.8 लाख से ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका है. इस वीडियो को 36 घंटे के अंदर 2.3 करोड़ से ज़्यादा व्यूज़ मिले हैं. दावा किया गया है कि शीशा साफ करने के बहाने से बच्चा गाड़ी के शीशे पर लगे फास्टैग में घड़ी सटाता है. इसके बाद कनेक्टेड PayTm अकाउंट से पैसे कट जाते हैं.

पंजाब केसरी ने फ़ेसबुक पेज पर इस वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट शेयर की. मीडिया संगठन ने इस वीडियो को सच मानकर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी. ये वीडियो आर्टिकल लिखे जाने तक 23 लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है.

IAS अवनीश शरण ने ये वीडियो ट्वीट करते हुए पूछा कि क्या ये सच है? (आर्काइव लिंक)

कुछ दिनों पहले ऐसा ही दावा ‘Dostcast’ नाम के यूट्यूब चैनल ने किया था. 11 जून 2022 के इस वीडियो में भी FASTag से जुड़ी धोखाधड़ी का ऐसा ही दावा किया गया था. (वीडियो का आर्काइव लिंक) ये वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किया गया था.

फास्टैग से धोखाधड़ी के दावे वाला ये वीडियो फ़ेसबुक और ट्विटर समेत बाकी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर वायरल है.

क्या होता है FASTag?

FASTag एक National Highway Authority of India (NHAI) द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्नश सिस्टम है. इस सिस्टम में गाड़ी के मालिक के प्रीपेड या बचत खाते से Radio Frequency Identification (RFID) टेक्नोलॉजी के ज़रिए टोल का भुगतान किया जाता है.

FASTag (RFID टैग) को वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपका दिया जाता है और इसके ज़रिए ग्राहक के FASTag से जुड़े अकाउंट से टोल का भुगतान किया जा सकता है.

टोल गेटों पर एक FASTag स्कैनर होता है इसकी मदद से नेशनल हाइवे पर टोल बूथों से गुजरने वाले वाहनों के टोल टैक्स का कैशलेस भुगतान किया जा सकता है. इसलिए, जब FASTag से लैस वाहन टोल प्लाज़ा को क्रॉस करता है तो FASTag के जरिए उसका कैसलेश भुगतान खुद-ब-खुद हो जाता है.

फ़ैक्ट-चेक

इस मामले से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने FASTag के पेरेंट ऑर्गेनाइज़ेशन – National Payments Corporation of India (NPCI) – का ऑफ़िशियल ट्विटर अकाउंट चेक किया. NCPI ने वायरल वीडियो का खंडन करते हुए बयान दिया कि इस प्रकार की कोई घटना संभव नहीं है. इसके लिए उन्होंने जनहित में एक नोट जारी किया.

इस नोट में मोटे तौर पर लिखा है कि NETC FASTag 4 पार्टी मॉडल पर बना है जिसमें एक सफल ट्रांज़ैक्शन के लिए NPCI, Acquirer Bank, Issuer Bank, और Toll Plazas का होना अनिवार्य है. इसमें टोल प्लाज़ा का होना ज़रूरी है. बिना इस 4 पार्टी के इनवॉलवमेंट के कोई ट्रांज़ैक्शन नहीं हो सकता. NETC FASTag केवल Person to Merchant (P2M) लेनदेन के लिए संचालित होता है. इसमें व्यक्तिगत लेनदेन की कोई गुंजाइश नहीं है. क्यूंकी ये Person to Person (P2P) पेमेंट मोड को सपोर्ट नहीं करता. इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति पेमेंट प्राप्त नहीं कर सकता है.

PayTm ने भी इस मुद्दे पर अपना बयान जारी कर वायरल वीडियो को फ़र्जी बताया है.

आगे, ऑल्ट न्यूज़ ने फ़ेसबुक पेज ‘बकलोल वीडियो’ की टाइमलाइन चेक की. इस वीडियो में मौजूद 2 व्यक्ति ऐक्टर्स है जिनका नाम अनुभव गोलिया और रितिक वर्मा हैं. ये लोग पहले भी ऐसे वीडियोज़ बनाते रहे हैं और इन्हें फ़ेसबुक पेज पर शेयर करते हैं.

फ़ास्टैग फ़्रॉड से जुड़े वीडियो को लेकर हुए विवाद के बाद, फ़ेसबुक पेज ‘Baklol Video’ ने वीडियो अपडेट कर उसमें डिसक्लेमर जोड़ दिया. इसमें लिखा है, “ये वीडियो स्क्रिप्टिड है जिसे सामाजिक जागरूकता के लिए बनाया गया है.”

यानी, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वायरल वीडियो स्क्रिप्टेड है जिसमें किया गया दावा फ़र्ज़ी है. FASTag से इस प्रकार की धोखाधड़ी संभव नहीं है क्यूंकी ये सिर्फ Person to Merchant (P2M) लेनदेन करता है. इसका मतलब है कि ये पैसा व्यक्तिगत तौर पर कोई नहीं ले सकता.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).