दो तस्वीरें एक साथ शेयर करते हुए ये दावा किया जा रहा है कि हाल में चल रहे किसान आंदोलन में शाहीन बाग प्रदर्शनों से मशहूर हुईं बिलकिस बानो ‘दादी’ ने भी हिस्सा लिया है. बॉलीवुड ऐक्टर कंगना रानौत ने एक ट्वीट शेयर किया जिसमें ऐसा दावा किया गया था. उन्होंने लिखा, “ये वही दादी हैं जिसे TIME पत्रिका ने भारत के प्रभावशाली लोगों में शामिल किया था. और ये 100 रुपये में वहां भी पहुंच गयी.” कंगना ने गौतम यादव नाम के एक यूज़र का ट्वीट कोट ट्वीट किया था. इस ट्वीट में लिखा था, “दादी (बिलकिस बानो) खाना, कपड़े अवार्ड और एक्स्ट्रा पॉकेट मनी पर हर दिन के हिसाब से उपलब्ध है. इसके लिए राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और शाहीन बाग में कांग्रेस की ऑफिस से संपर्क किया जा सकता है.” हालांकि कंगना ने बाद में अपना ट्वीट डिलीट कर दिया लेकिन इसका आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
कई मौकों पर ग़लत जानकारी फैलाते हुए देखे जाने वाले गौरव प्रधान ने भी ऐसा ही दावा किया. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
1. Dadi at Shaheen Bagh
2. Dadi as Farmer?Dadi available for hire on per day basis. Food, cloth, award and pocket money extra
CONTACT : @RahulGandhi, @priyankagandhi or at @incindia office, 24, Akbar Road, New Delhi pic.twitter.com/66YfCYL5QG
— Gaurav Pradhan 🇮🇳 (@OfficeOfDGP) November 27, 2020
ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर (+917600011160) पर भी ये तस्वीरें आई हैं जहां लिखा है कि शाहीन बाग वाली दादी आज किसान बनी है.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने बिलकिस बानो के बेटे मंज़ूर अहमद से बात की. उन्होंने बताया, “पीला स्कार्फ़ पहनी महिला मेरी मां नहीं है. सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा ग़लत है.”
अब देखते हैं कि दोनों तस्वीरों की असलियत क्या है. पहली तस्वीर बिलकिस बानो की है जिसे कई मीडिया चैनलों ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है. बिलकिस बानो को TIME पत्रिका ने सितम्बर, 2020 में 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था. बिलकिस शाहीन बाग़ में उन प्रदर्शनकारी महिलाओं में शामिल थी जिन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था.
हमने देखा कि कुछ पत्रकार जैसे ट्रिब्यून की रुचिका एम खन्ना और टाइम्स ऑफ़ इंडिया के नील कमल ने दूसरी तस्वीर को हाल के ‘दिल्ली चलो’ किसान प्रदर्शन से जोड़कर शेयर किया है.
लेकिन इसका रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ये 13 अक्टूबर के एक फ़ेसबुक पेज ‘संत बाबा जर्नेल सिंह जी खालसा भिंड्रांवाले‘ पर और 12 अक्टूबर को ‘सिख रिलीफ़ – SOPW‘ पर पोस्ट किया हुआ मिला. मतलब ये तस्वीर हाल में दिल्ली में चल रहे किसान प्रदर्शन से जुड़ी नहीं है.
वायरल हो रही तस्वीर की बनिस्बत इस फ़ेसबुक पेज पर मिलने वाली तस्वीर साफ़ है इसीलिए इसकी तुलना बिलकिस बानो की तस्वीर से की गयी. मालूम पड़ता है कि दोनों के चेहरे की बनावट अलग है.
बिलकिस बानो की बताकर वायरल हो रही तस्वीर में कई महिलाओं ने पीले रंग का स्कार्फ़ पहन रखा है. इसके अलावा उनके हाथों में दिख रहा झंडा भारतीय किसान यूनियन का है. हमने देखा कि ट्रिब्यून में 27 अक्टूबर को छपे एक आर्टिकल में इस पीले स्कार्फ़ पहने कई औरतें इकट्ठी हुई दिखती हैं. यहां इसे पंजाब के संगरूर में किसानों का प्रदर्शन बताया गया है. इस आर्टिकल के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन के प्रदर्शनकारी मृतक किसान मेघराज नागरी के परिवारवालों के लिए मुआवज़े और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे थे. मेघराज की मौत 9 अक्टूबर को बेनरा गांव के पास कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान हुई थी. ध्यान देने वाली बात है कि मोदी सरकार नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ देश भर में लगभग 2 महीने से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है.
यानी, अक्टूबर महीने की एक तस्वीर को, जहां कई लोगों ने हाल का बताकर शेयर किया वहीं कंगना रानौत और बाकियों ने इसे बिलकिस बानो का बता दिया. कंगना को पहले भी ग़लत दावा करते हुए देखा गया है.
इस आर्टिकल के पब्लिश होने के बाद 1 दिसम्बर को इन्स्ताग्राम यूज़र ने पीले रंग का स्कार्फ़ पहने बुज़ुर्ग महिला का वीडियो शेयर किया.
ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें:
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.